रायपुर : रामकृष्ण को डेयरी उद्यमिता योजना और राजीव गांधी गोधन न्याय योजना से मिला लाभ

Update: 2021-10-22 16:12 GMT

रायपुर जिले के अभनपुर विकासखंड के ग्राम संकरी के रामकृष्ण टण्डन कुछ वर्षों पूर्व तक सामान्य पशुपालक की तरह पशुओं को पालकर अपना सामान्य जीवनयापन करते थे, लेकिन वर्ष 2019 में राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना का लाभ लेकर गिर, साहीवाल, जर्सी एवं एच. एफ. क्रास के 15 उन्नत नस्ल के गौ पालन करने तथा राजीव गांधी गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर की बिक्री करने से उनके जीवन में व्यापक बदलाव आया है, उनके गायों का कुटुम्ब बढ़ा है, आय बढ़ी है और उनका गांव में रूतबा भी बढ़ा है। श्री रामकृष्ण टण्डन पिता श्री जटा शंकर टण्डन ने 10 वर्ष पूर्व एक देशी भैंस एवं दो देशी गाय से पशुपालन का कार्य शुरू किया था। वर्ष 2019 में उन्होंने राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत केनरा बैंक अभनपुर से दस लाख रूपये ऋण और स्वयं की 2 लाख रूपये की राशि मिलाकर 15 उन्नत नस्ल के पशुओं का क्रय किया। उनके गांव संकरी में पशु औेषधालय की सुविधा उपलब्ध हैं जहां उनके पशुओं को निःशुल्क उपचार, टीकाकरण एवं पशुपालन संबंधी महत्तवपूर्ण जानकारी मिलती है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान योजना से गाए एवं भैस में कृत्रिम गर्भाधान कार्य कराके उन्नत नस्ल के पशुओं का संवर्धन भी किया जाता है। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए यहां डॉ. आर. के. सिंह, डॉ. वर्षारानी गिलहरे, श्री टी.डी. मानिकपुरी स्थानीय सहायक पशु चिकितसा क्षेत्र अधिकारी के द्वारा आवश्यक औषधी एवं अन्य चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इन सबका लाभ लेने के बाद अब श्री टण्डन के पास 19 उन्नत नस्ल की गाए, 6 संकर नस्ल की भैंस तथा 11 उन्नत नस्ल के बछड़ा-बछिया हो गया है। इस तरह तीन पशुओं से शुरू उनका पशुपालन का कारवां तीन दर्जन उन्नत किस्म के पशुओं तक हो गया है।

टण्डन को दुग्ध विक्रय से प्रतिवर्ष डेढ़ लाख रूपये का लाभ होता है। कुछ समय पहले उन्होंने राजीव गांधी गोधन न्याय योजना के अंतर्गत 28 हजार 485 किलोग्राम गोबर का विक्रय किया था, जिससे उन्हें 56 हजार 970 रूपये की अतिरिक्त आय हुई। इसके अलावा उनके काम के प्रति सर्मपण और लगन को देखते हुए उन्हें ग्राम में संचालित सहकारी दुग्ध संग्रहण समिति के सचिव का भी दायित्व मिला। इससे भी उन्हें अतिरिक्त आय होती है। इसी तरह कृत्रिम गर्भाधान के बाद उत्पन्न हुए उन्नत नस्ल के बछिया एवं बछड़े के विक्रय से भी अतिरिक्त लाभ मिला। 

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