दो दिन में 20 हजार तक का मुनाफा, छिन्दकासा से सुन्दर टोकरी बना रही है स्व-सहायता समूह की महिलाएं
जशपुर। कासांबेल विकासखंड के कोटानपानी की पांच महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं छिन्दकांसा से टोकरी, बनाने का कार्य कर रही है। समूह में स्माईल आरती समूह, पूजा समूह, हरियाली समूह, ज्ञानगंगा समूह और तुलसी समूह शामिल है। कासांबेल विकासखंड के जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एल.एन.सिदार के मार्गदर्शन में गोठानों को स्वावलम्बी बनाने के लिए सार्थक कार्य किया जा रहा है। एनआरएलएम के ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर कमलेश श्रीवास ने बताया कि महिलाएं छिन्दकासा से टोकरी बनाने के लिए पांच महिला समूह को वन विभाग के द्वारा एक माह का प्रशिक्षण दिया गया है। इसके साथ ही जनपद पंचायत कांसाबेल के द्वारा आरएफ से 15 हजार की राशि और सीआईएफ से 60 हजार रुपए की राशि की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने बताया कि महिलाओं के द्वारा हाथों से बनाई गई सुन्दर और आकर्षक टोकरी और अन्य सामानों का बाजारों में काफी मांग है। और हाट-बाजारों में समूह का सामान, हाथों हाथ विक्रय हो जाता है।
महिलाएं स्थानीय हाट-बाजारों के साथ ही रायपुर के हाट-बाजारों में भी विक्रय करने के लिए टोकरी भेजती है। जिससे उनको अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है। समूह की महिलाओं ने बताया कि रायपुर के हाट-बाजार में विक्रय करने से दो दिन में लगभग 20 हजार रुपए का लाभ कमा लेती है। और प्रत्येक समूह को माह में लगभग 10-10 हजार का लाभ हो जाता है। उन्होंने बताया कि रोजगार से जुड़ने से उनको आर्थिक लाभ होने के साथ ही अपने परिवार की सहायता कर पा रही है। टोकरी बनाने के लिए कच्चा माल उन्हें स्थानीय स्तर पर ही आसानी से मिल जाता है।
कांसाबेल विकासखंड के आजीविका गतिविधियों के संचालनकर्ता बलराम सोनवानी बताया कि जशपुर जिला वनांचल जिला होने के कारण यहां बड़ी संख्या में छिन्द और कांसा शिल्प का पौधा आसानी से मिल जाता है। जिसका उपयोग टोकरी बनाने के लिए किया जाता है। महिलाओं को बाजार से कच्चा माल खरीदने के लिए बहुत कम आवश्यकता होती है। खर्च कम होने के कारण टोकरी विक्रय करने से बाजार से अच्छा खासा लाभ उनको मिल जाता है। सभी समूह की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा उन्हें आर्थिक लाभ उपलब्ध कराया है। जिसके कारण वे आगे बढ़ सकी है।