ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
बात हो रही है मोवा ओवरब्रिज की जहाँ पिछले दिनों डामरीकरण का काम चल रहा था और चलने की बारी आई तो दूसरे दिन ही डामर उखडऩे लगा फिर से वही पुरानी स्थिति में आ गई ओवरब्रिज। सोशल मीडिया में लोग खूब मजे ले रहे हैं, एक शक्स ने लिखा कि ठेकेदार मर्डर न करे तो सडक़ थैले में भर कर घर ले जाएं , क्योंकि पिछले दिनों बस्तर में पत्रकार के मर्डर के बाद सब डरे हुए है ंंठेकेदारों के खिलाफ बोलने के लिए। हालांकि सोशल मीडिया में जानकारी आने के बाद लोनिवि के अफसर सक्रीय हुए और पैबंद लगाकर दुरुस्त कराया। जनता में खुसुर फुसुर है कि पांच दिन जनता परेशानी झेलने के बाद चलने की बारी आई तो फिर वही ढांक के तीन पांत। अब अफसर सफाई देने में लगे रहे कि डामर क्यों उखड़ा। बस्तर के पत्रकार की हत्या के बाद ठेकेदार को लगा था कि पत्रकार अब हमारी कारगुजारियों को उजागर नहीं करेंगे इसी भ्रम में भ्रष्टाचार की हदें पार कर दी। लेकिन पत्रकार तो पत्रकार हैं उसको तौैलना आसान नहीं। जान दे देंगे लेकिन सच्चाई उजागर करना नहीं छोड़ेंगे। इसी बात पर किसी ने ठीक ही कहा है कि तन के खड़ा हुआ था, जड़ से उखड़ गया, वाकिफ नहीं था पेड़ हवा के मिजाज़ से ।
अब प्रशासक से उम्मीद
नगर निगम में अब प्रशासक बैठ रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि पूर्व में बैठे प्रशासक ने शास्त्री बाज़ार जैसे बहुत बड़े बाजार को बसा दिया था, और भी कई काम करवा दिए थे जिसे लोग अब भी याद रखते हैं , जनता में खुसुर फुसुर है कि अब बैठे प्रशासक कम से कम ट्रेफिक और अवैध कब्ज़ा से ही मुक्ति दिला दें लोग बरसों याद रखेंगे , राजधानी की सबसे बड़ी समस्या अभी अवैध कब्ज़ा और ट्रेफिक बनी हुई है।
भ्रष्टाचार किया उसका सिम निकाल दो, मोबाइल बन गया जेबाइल
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी अपने फायदे के सरकार के नियम कायदे को ताक में रख कर जेब भरने में कोताही नहीं बरतते है। 6 साल पुराने एक मामले में ्हिला बाल विकास के अधिकारियों ने एक खेला किया जिसमें गलत टीप देकर अमानक मोबाइल खरीदी कर सरकार को साढ़े 6 करोड़ का चूना लगया औऱ उसे आज तक किसी ने पकड़ा तक नहीं है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये वो अधिकारी है जो मोबाइल की जगह जेबाइल चलाते है। मोबाइल तो खरीद कर जेब भर लिए साथ ही 160 वाले सिम को 252 रुपए में खरीदी कर भुगतान भी कर दिया ताकि जांच हो तो भ्रष्टाचार का रायता तक कोई पहुंच ही नहीं सके। महिला विभाग के कबाड़ में पड़े 18536 मोबाइल चीख -चीख कर कह रहे है कि हमारे साथ अन्याय क्यों हो रहा है । वो सिम लगाकार हितग्राहियों को बांट दो या जिसने भ्रष्टाचार किया उसका सिम निकाल दो। वो तो भला हो खोजी पत्रकारों का जिन्होंने अंदर खाने तक जाकर मामले को उजागर किया वरना लोग इसको भी भूल जाते।
मेंटल फिट रहने के लिए नेताओं ने चुप रहना ही छोड़ दिया
डिग्री गर्ल्स कालेज में मनोविज्ञान विभाग में हुए मेंटल फिट रहने की कार्यशाला का असर छात्रों के साथ नेताओं पर ज्यादा पड़ता दिखाई दे रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार हो या नगरीय निकाय चुनाव को लेकर नेताओं ने किसी भी मुद्दे पर अपने बिना सिर पैर के बयान जारी कर अपने मेंटल फिट होने की सत्यता को प्रमाणित कर रहे है। जब से नगरीय निकाय चुनाव में 5 महिलाओं को लिए महापौर का पद आरक्षित हुआ है तब से अपने -अपने धर्मपत्नी को सबसे सक्षम दावेदार के रूप में पेश कर रहे है। जनता में खुसुर फुसुर है कि मेंटल फिट का इस तरह असर हुआ कि अब महिला नेत्रियों मे मोर्चा संभाल लिया है औऱ नेता घऱ में चौका चूल्हा के साथ बच्चों को स्कूल छोडऩे और लाने का काम कर रहे है। चौक -चौराहो में जब दोनों पार्टी के नेता मिलते है तो वही पर एमआईसी की बैठक शुरू कर देते है। भैया देखना भाभी जी खड़ी हो रही है सपोर्ट करना, तुम्हारे बच्चों के लिए मैं स्कूल लाने औऱ ले जाने के लिए रिक्शा लगवा देता हूं।
इसे कहते है एक पंथ दो काज
प्रदेश में राजनीतिक आंदोलनों से संबंधित दर्ज प्रकरणों को वापस लेने की तैयारी हो गई है। मंत्रि परिषद का बैठक में इस पर निर्णय लिया जाना। इस बैठक में विभिन्न जिलों से प्राप्त विशुद्ध राजनीतिक आंदोलनों से संबंधित प्रकरणों की समीक्षा के बाद निर्णय लिया गया है। जनता में खुसुरृ-फुसुर है कि जब -जब सरकार बदलती है सत्ता धारी पार्टी के नेताओं पर लगे सारे प्रकरणों की वाशिंग मशीन की तरह धुलाई हो जाती है। नेता फिर पांच साल तक उन आंदोलनों की आड़ में सत्तासुख के अधिकारी बन जाते हैं। सत्ता से जुड़े कोई न कोई प्रकोष्ठ में जगह बनाकर बेदाग छवि का नेता बनकर उन आंदोलनों में खाए डंडे राजनीतिक मल्हम पट्टी करवा कर अपनी नेता गिरी चमकाता है। जबकि सैकड़ों लोग बेगुनाहगार होते हुए भी जेल में सजा काटते रहते है, इन पर कोई नजरे इनायत नहीं करता है। इसे कहते है एक पंथ दो काज ।
सख्ती..सख्ती औऱ सख्ती के बाद भी टाय-टाय फिस्स..
नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ डिप्टी सीएम औऱ गृहमंत्री ने पुलिस अधिकारियों को चेतावनी दी है कि नशे के अवैध कारोबार करने वाले लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई करें दोषी पाए जाने पर तत्काल उनकी संपत्ति कुर्क करे। यदि कोई पुलिस अधिकारी या कर्मचारी इस अवैध कारोबार में संलिप्त पाया जाता है तो उसे तुरंत बर्खास्त किया जाए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि हाल ही में मध्यप्रदेश के एक आऱटीओ्ं सिपाही के घऱ आयकर ने छापामार कर 24 किलो सोना और करोड़ों रुपए नकदी जब्त की है। इससे पता चलता है कि पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का काले कारोबारियों से साथ कैसा याराना होता होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। मध्यप्रदेश तो छत्तीसगढ़ का बड़ा भाई है। जब बड़े भाई का अवैध कारोबारियों से सीधा इनवालमेंट है तो यहां के अवैध कारोबारियों के हाथ कहां तक हो सकते है कैसे पता लगाया जाए।
तो फिर नई नीति का क्या होगा
पुलिस विभाग में अधिकारियों और कर्मचािरयों को लेकर एक नई तबादला नीति तत्काल लागू होने वाली है। जिसमें स्थानांतरण प्रक्रिया को पारदर्शिता और निष्पक्ष बनाए जाने की कवायद चल रही है। जिसमें विभागीय कार्यक्षमता में सुधार की गुंजाइश होने की बात कही जा रही है। राज्य स्तरीय साइबर थाने की कार्यप्रणाली के साथ अपराध नियंत्रण पर लंबी चौड़ी बात हुई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जो परिपाटी अविभाजित मध्यप्रदेश चली आ रही है उसे एकाएक कैसे बदला जा सकता है, अधिकारियों की परेशानी बढ़ जाएगी वो जहां चाहेंगे अपने मनपसंद जगह पर ट्रांसफर नहीं करा पाएँगे। वहां से आया एक नियम आज भी जीवित है जिसमें प्रावधान है कि नियमों को शिथिल कर चाही गई जगह पर स्थानांतरण करें. तो फिर नई नीति का क्या होगा।