2023 की तैयारी, भाजपा ने खेला ओबीसी कार्ड

Update: 2022-08-19 06:08 GMT

आगामी विस चुनाव के लिए राजनीतिक बिसात बिछाई, आगामी चुनाव की तैयारी जोरों पर

भाजपा हाई कमान ने अध्यक्ष के बाद बदला नेता प्रतिपक्ष

पुराने दिग्गज नेताओं का उपयोग कर सकती है चुनाव के समय

कुर्मी और साहू जाति समीकरण को अपना मुख्य हथियार बनाने में भाजपा ने चुनावी समीकरण को अपने पाले में लाने की कोशिश

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। भूूपेश बघेल के ओबीसी कार्ड को टक्कर देने के लिए भाजपा ने ओबीसी कार्ड की बिसात बिछाने के साथ सत्ता में वापसी की कवायद रायपुर से दिल्ली तक शुरू कर दी है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता में रहने के बाद ओबीसी वोटर्स वाला परंपरागत वोट भी नहीं मिल पाया था, जिसके कारण भाजपा पिछड़ कर सत्ता से बाहर हो गई । अब इस कमी को पूरा करने के लिए भाजपा ने एक ऐसा राजनीतिक बिसात बिछाई है जिसमें ओबीसी वोटरों की भाजपा की ओर रूझान बढऩा तय मान रही है। इस रणनीति के चलते अगले साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में ओबीसी कार्ड का इस्तेमाल करेगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिलासपुर सांसद अरूण साव को भाजपा ने एकाएक अध्यक्ष बनाने का फैसला नहीं लिया है। इसके पीछे ओबीसी वर्ग का साहू वोट जो 2018 के चुनाव के समय भाजपा के हाथ से निकल गया था, उसे वापस पाने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत अरूण साव को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया गया है। जिससे साहू मतदाता आकर्षित हो सके। वहीं नेता प्रतिपक्ष बदलने के पीछे भी यहीं कहानी है, 2018 में भाजपा को ओसीबी वर्ग से सात प्रतिशत वोट कम मिला था। जिसके कारण भाजपा को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। इस खाई को पाटने के लिए कुर्मी नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। जिससे रायगढ़-जांजगीर-चांपा सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में रहने वाले कुर्मी समाज को साधने का बिसात बिछाया है। नेता प्रतिपक्ष के दौड़ में नारायण चंदेल से भी वरिष्ठ कई चुनावों में भाजपा को जीत दिलाने वाले नेता भी शामिल थे। जिसमें बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा जैसे धाकड़ नेता जो सरकार के नाक में दम करने का माद्दा रखते है, उन्हें मौका इसलिए नहीं दिया क्योंकि वो दो नेता उच्च वर्ग से है, और कुर्मी नेता अजय चंद्राकर को रोक कर रखा गया है। येन चुनाव के समय अजय चंद्राकर को महत्वपूर्ण पद देकर बचे कुर्मी वोटों को साधा जाएगा। अजय चंद्राकर कुर्मी वोट जुटाने में सफल खिलाड़ी साबित हो सकते है। इसलिए नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया गया। उससे भी महत्वपूर्ण पद देकर येन चुनाव के समय भाजपा धमाका कर सकती है।

वहीं राजनीतिक जानकारों का यह कहना है कि डा. रमनंिसंह के गुट को कमजोर करने के पीछे एक लंबी सोची समझी रणनीति रही है। जिसमें हाई कमान ने महसूस किया कि पिछले साढ़े तीन साल में रमनसिंह गुट धारदार विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पाई। धरना प्रदर्शन के अलावा बड़े भ्रष्टाचार, घोटालों के मुद्दे पर फिसड्डी साबित हुई जो सबसे बड़ा माइनस कारण है। साढ़े तीन साल में ऐसे -ऐसे भ्रष्टाचार के और घोटाले सामने आए उसे उठा सकती थी, जिसे भाजपा मजबूती से न सदन में उठा सकी और न सदन के बाहर सड़क पर उठा सकी। जिससे भाजपा हाईकमान ने दो साल पहले ही नाराजगी जता चुकी थी। फिर डी पुरंदेश्वरी को भाजपा का प्रदेश प्रभारी बनाकर रमन सरकार में मंत्री रहे नेताओं की कुंडली का आंकलन किया। जिसके आधार पर यह माना जा रहा था कि छत्तीसगढ़ में भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के बदले बिना भाजपा में धार नहीं आएगी। इसलिए हाईकमान ने ताबड़तोड़ फैसला लेते हुए ओबीसी वर्ग को साधने ओबीसी वर्ग से अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बनाकर एक मजबूत बुनियाद रखने की शुरूआत की। क्योंकि आने वाले सवा साल में ये नेता ओबीसी वर्ग के साथ अन्य समाज को जोडऩे के लिए काम करेंगे जो चुनाव में वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल होगा।

भाजपा ओबीसी कार्ड तो खेल चुकी है और इसे धारदार बनाने के लिए आने वाले सवा सालों तक सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, घोटलों के मामलों को लेकर मजबूती से सड़क पर उतर कर जनता का विश्वास हासिल करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ेगी। जिसके लिए भाजपा के ब्लाक, मंडल, तहसील, जिला स्तर पर आंदोलनों की रणनीति बनाने में जुट गई है। वहीं पुलिस परिवार के मामले,कर्मचारियों के महंगाई भत्ता के खिलाफ सोमवार से शुरू हो रहे कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के अनिश्चितकालीन हड़ताल को भी समर्थन देकर नाराज कर्मचारी-अधिकारी को साधने की कोशिश करेगी। भाजपा ने पूरे एक साल का प्रोग्राम बना लिया है, जिसके तहत क्रमबद्ध आंदोलनों को मूर्त रूप देगी। जिसमें सभी समाजों के प्रमुखों से संपर्क कर उनके सामाजिक शोषण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने के साथ विभिन्न कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ कर्मचारी आंदोलनों को हवा देने की रणनीति बनाई है। जैसे शिक्षा कर्मी नियमितिकरण, बेरोजगारी भत्ता, खाद की कमी के मुद्दों को लेकर चुनाव की तैयारी करने जा रही है।

हंटरवाली और जामवाल सब कुछ बदल देंगे: सीएम भूपेश

प्रदेश भाजपा में लगातार हो रहे बदलाव पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज कसा है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हंटरवाली (प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी) और जामवाल (क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल) दोनों मिलकर सबकुछ बदल देंगे। भाजपा के सभी 14 विधायकों का टिकट कटने वाला है। यह बात मैंने सदन में भी कही है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को राज्यपाल बनाए जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको चले जाना चाहिए। उनके रहते प्रदेश में बड़े-बड़े बदलाव हो गए। अब डा. रमन के लिए रास्ता ही क्या बचा है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर की टिप्पणी पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अजय कुछ भी कर लें, पार्टी उनको नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाने वाली। उनको प्रवक्ता पद से ही संतोष करना होगा। इससे पहले मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बदले जाने पर भी तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि भाजपा नेतृत्व को इससे पहले जो टीम थी, उस पर भरोसा नहीं है। भाजपा विधायक दल की बैठक में कोई विधायकों से रायशुमारी नहीं हुई है, बल्कि दिल्ली से पर्ची आई, जिसे सुनाया गया है। नारायण चंदेल से योग्य बहुत सारे लोग भाजपा में मौजूद हैं, जो यह पद संभाल सकते हैं। मुख्यमंत्री ने बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा के नाम का भी उल्लेख किया।

भूपेश सरकार ने योजनाओं के क्रियान्वयन का ऐसा ताना-बाना बुना है कि भाजपा विपक्ष में रहते हुए कोई आंदोलन नहीं कर पाई और न ही कोई भ्रष्टाचार का बड़ा मुद्दा उठा पाई है। बल्कि भूपेश सरकार की योजनाओं का पीएम से लेकर केंद्रीय मंत्रियों ने सराहना की जिसके कारण भाजपा कोई भी मुद्दा दमदारी से नहीं उठा सकी। भूपेश सरकार की योजनाओ को पिछले तीन साल में सैकड़ों पुरस्कार मिले हैं, जो सरकार की बेस्ट गवर्नेस की प्रमाणिकता है। मुद्दा विहीन विपक्ष होने का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा, उसे रमन सरकार में मंत्री रहे भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को कुर्सी गंवानी पड़ी। वहीं भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली में महंगाई सहित इडी मामले में जमकर विरोध दर्ज कराकर विपक्ष को मौन कर दिया।  

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