आम शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने से बच रही पुलिस!
धोखाधड़ी, ठगी, आपसी विवाद के पीडि़तों को लौटा रहे बैरंग
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। कई मामलों में सख्ती बरतने वाली पुलिस आम शिकायतों पर गंभीरता नहीं दिखा रही है। धोखाधड़ी, ठगी आपसी विवाद जैसे मामलों में पुलिस शिकायत दर्ज करने में भी आनाकानी कर रही है हाल हीं में ऐसे कई मामले सामने आये है जिसमें पुलिस ने मामला दर्ज करने की जगह पीडि़तों को वापस लौटने मजबूर किया। पीडि़तों को शिकायत लेकर एसपी, एएसपी तक दौड़ लगाने पड़ी है तब कहीं जाकर मामले दर्ज किये गए है। इससे पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे है। पुलिस द्वारा चोरियों पर लगाम कसने शुरू की गयी खाखी आइज़ जैसे अभियान भी सफल नहीं हो पा रही है। अभियान के दौरान भी चोरी की कई घटनाएं घटित हो रही है। पिछले कुछ महीनों से पुलिस नशे के खिलाफ कार्रवाई करने में ही सक्रिय रही बाकी हत्या, चाकूबाजी, जैसी गंभीर वारदातों को सुलझाने में ज्यादातर मामलों में नाकाम ही रही है। खुड़मुड़ा हत्याकांड और कुम्हारी में ट्रांसपोर्टर की हत्या मामले में पुलिस की हाथ अभी भी खाली है।
ट्रांसपोर्ट मैनेजर का मिला शव, पुलिस कर रही डायरी का इंतज़ार : खुड़मुड़ा हत्याकांड का मामला अभी तक सुलझा ही नहीं कि एक और घटना दुर्ग जिले के कुम्हारी थाना क्षेत्र अंतर्गत शहर के टांटीबंध में रेपिट टांसपोर्ट में काम करने वाले संजय नगर निवासी मेहबूब खान का घायल अवस्था में परसदा केवल्य धाम के पास के रेलवे ट्रैक में मिला। मृतक के शरीर में काफी चोट के निशान था। सिर फटा होने के साथ बाया पैर टूटा था। हम घटना स्थल परसदा पहुंचे तो पुलिस ने बताया कि वहां आसपास कुछ नहीं मिला है। इसके साथ मोबाइल हमें दो दिन बाद मिला। एक व्यक्ति को सरोना पुल में मिला था। लेकिन अब तक मोटर साइकल व टिफिन डिब्बा नहीं मिला है। पुलिस के पास जाते तो वहां जांच कर रहे मुंशी का रटा-रटाया जवाब रहता है कि हम जांच कर रहे आप बेफिक्र होकर घर जाइए । ऐसे एक नहीं कई मामले थाने में हैं जिसकी शिकायत दर्ज करने के बजाय वहीं से चलता कर दिया जाता है।
शहर में दिन दहाड़े होती चोरी का अब तक नहीं चला पता
राजधानी में आये दिन चोरी की वरदड़तें भी बढ़ती जा रही है। दिनदहाड़े चोरी होती है और शहर में सनसनी फैल जाती है। मगर चोरी करने वाले आरोपी खुलेआम घूमते है। चाकू की टनोक पर लोगों से लूट की वारदातों को आरोपी अंजाम देते है। मगर उस पर भी पुलिस आम धाराओं की ही एक दीवार कड़ी कर देती है। आम विवादों के बाद ही शहर में चाकूबाजी और गाली-गुफ़्तार जैसी वारदातें होती है। मगर उस पर भी पुलिस की सक्रियता कभी-कभी नहीं दिख पाती है।
खुड़मुड़ा हत्या कांड में पुलिस के हाथ खाली
राजधानी रायपुर से लगे अमलेश्वर के खुड़मुड़ा हत्याकांड का राजधानी से कनेक्शन सामने आया है। पुलिस ने रायपुर के आधा दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की है। सभी प्रापर्टी डीलिंग से जुड़े हैं। और किसी न किसी का अमलेश्वर इलाके में जमीन का कारोबार चल रहा है। पुलिस ने एक हत्यारे का स्कैच भी जारी किया है और उसकी तलाश में टीमें निकल गई है। पुलिस हत्या के पीछे प्रापर्टी को लेकर विवाद या दुश्मनी मान रही है, लेकिन हत्या करने का तरीका किसी प्रोफेशनल किलर का नहीं है। छत्तीसगढ़ में सिर पर पत्थर पटकर हत्या के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे मामलों में घरेलू रंजिश, पारिवारिक विवाद, अवैध संबंध ज्यादा होते हैं। हालांकि कई बार हत्यारे पुलिस का ध्यान बंटाने के लिए ऐसा करते हैं। रायपुर पुलिस भी दुर्ग पुलिस की मदद कर रही है। सायबर सेल की टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। और मामले की पूरी जानकारी लेकर कुछ बिंदुओं पर काम करना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि रविवार-सोमवार की रात बालाराम सोनकर, उनकी पत्नी दुलारी सोनकर, बेटा रोहित सोनकर, बहू कीर्तनबाई की बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या के बाद तीन लोगों को पानी की टंकी में फेंक दिया गया था। रोहित के 11 साल के बेटे दुर्गेश पर भी हमला किया गया था। वह घायल हो गया, तो हत्यारे उसे मरा समझकर छोड़ गए थे।
सक्रियता पर सवालिया निशान
शहर में दिनदहाड़े घर में घुस कर चोरी की घटना हो रही है। इन दिनों आरोपियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि चहल पहल वाले इलाके में दिनदहाड़े घर में घुस कर बड़ी-बड़ी चोरी की घटना को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जा रहे हैं। चोरी की घटना के आरोपियों का सुराग काफी दिनों के बाद भी पुलिस नहीं लगा पाती है। जिस पर पुलिस की पेट्रोलिंग की पोल खोल कर रख दी है। वहीं जिले की पुलिस कई पुराने कई गंभीर मामलों को सुलझाने में अब तक नाकाम रही है। वहीं कई अपराधी भी पुलिस की पकड़ से अब तक बाहर है। जिले की पुलिस कई बड़े मामलों को सुलझाने में अब तक नाकाम साबित हुई है। इन मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस ने अलग-अलग टीम का गठन भी किया, पर इन मामलों को सुलझाने में पुलिस के पसीने छूट जा रहे हैं। जिले की पुलिस के पास कई ऐसे लंबित मामले पड़े हुए हैं, जिनमें अभी तक आरोपियों का कुछ पता नहीं चल पाया है। जिसके कारण पुलिस हाथ में हाथ धरे बैठी हुई है। ये सभी मामले पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। बड़े और गंभीर मामलों में असफलता से पुलिस की सक्रियता पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। कई बड़े मामलों को सुलझाने के बाद पुलिस अपनी सक्रियता को दिखाने में पीछे नहीं हटती है। पर वहीं कई ऐसे मामले हैं जिनके बारे में अब पुलिस कुछ कहना ही नहीं चाहती है।