रूस-यूक्रेन युद्ध पर कविता

Update: 2023-03-11 04:44 GMT

रायपुर। जनता से रिश्ता के पाठक रोशन साहू निवासी मोखला ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक कविता लिखी है. 

  //जंग है समस्या,समाधान कतई नही//

जंग तो है खुद ही समस्या, समाधान तो कतई नही ।

रेख विनाश की मिटा सके , काल भी इतना सबल नही।।

क्रंदन करता हिरोशिमा ,नागासाकी भी है रोता।

नवसर्जन करने को आतुर,काँधों में बेबसी है ढोता।।

जली हुई धरती पे तिनका,हरियाली या फसल नही ......

विश्व शान्ति की बातें मिथ्या,सापेक्ष सभी निरपेक्ष नही ।

सबके जुबां में जड़े ताले, क्यों कोई अब मुखर नहीं ।।

"निरपेक्षता" सूक्ति वाक्य बस,लगता है संघ भी असल नहीं ......

सरहदों नक्शों से आंकी जाती,बलिदानों का मान।

मर जाते उस पार के सैनिक,इस पार शहीदी सम्मान ।।

युद्ध गान महा प्रलयंकार,ये कोई नज्म या गजल नही.......

युद्धोन्माद ऐसा है कि बस,आंखों में लहू उतरते ।

सुनाई न पड़ती चित्कार ,विजयी अट्टहास करते ।।

आह! रोको इस विनाश को,अधिनायकों में क्या अकल नहीं....


बारूद,मलबा,खण्डहर ,हृदयविदारक रूदन घर-घर ।

आसमान में गिद्ध मंडराते,अंग नोच श्वान खा जाते ।।

अनगिन लाशों पर रोने वालों की,आँखें भी तो सजल नहीं......

मांग की लाली मिट जाती,साया पिता का उठ जाता ।

बुढापे की लाठी भी जैसे,दूर छिटक चला जाता ।।

रहम की क्या उम्मीद करें, जब जंग में बिल्कुल फ़ज़ल नहीं....

रोशन साहू ( मोखला)

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