CG के मेडिकल हॉस्पिटल में आक्सीजन नहीं मिलने से मरीज की मौत

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Update: 2024-07-27 16:43 GMT
Ambikapur. अंबिकापुर। अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में आक्सीजन नहीं मिलने से मरीज की मौत हो गई। मरीज को सूरजपुर से रेफर करने के बाद मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लाया गया था। परिजनों ने आरोप लगाया है कि नर्सों को बार-बार आक्सीजन कम मिलने की शिकायत के बाद भी वे जांच के लिए नहीं पहुंची। परिजनों द्वारा लापरवाही का आरोप लगाए जाने के बाद प्रभारी सीएस ने मामले में जांच का आदेश दिया है। जानकारी के मुताबिक, सूरजपुर जिले के बांसापारा निवासी रामचन्द्र ठाकुर 50 वर्ष को लंग्स में दिक्कत के कारण इलाज के लिए सूरजपुर जिला अस्पताल में दाखिल किया गया था। सूरजपुर जिले से बेहतर उपचार के लिए उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। रात को एंबुलेंस से रामचंद्र ठाकुर को लेकर परिजन मेडिकल
कॉलेज हॉस्पिटल पहुंचे।

रामचंद्र ठाकुर के पुत्र संजय कुमार ठाकुर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रामचंद्र ठाकुर को ऑक्सीजन लगाया गया, लेकिन नोजल में खराबी के कारण उन्हंे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रहा था। ड्यूटी में उपस्थित नर्सों को इसकी कई बार जानकारी दी गई एवं चेक करने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने नहीं सुनीं। रात में पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलने के कारण उनकी मौत हो गई। मरीज की मौत के बाद परिजनों ने हॉस्पिटल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। परिजनों ने कहा कि अगर पैसे होते तो जिला अस्पताल कभी नहीं आते। मृतक का पुत्र संजय कुमार ठाकुर ने बताया कि कई बार बुलाने के बावजूद भी नर्स नहीं पहुंची। नोजल में खराबी की वजह से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं आने की कई बार
शिकायत नर्सों से की गई।

लेकिन एक बार भी किसी नर्स ने आकर उसे चेक नहीं किया और पिता की जान चली गई। अस्पताल में दूसरे मरीज के परिजनों ने भी स्वास्थ्य कर्मचारियों पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। अन्य मरीजों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में 650 बेड हैं, जिनमें से अधिकांश में मरीज भरे रहते हैं। मृतक के परिजनों ने कहा कि अगर पैसे होते तो जिला अस्पताल कभी नहीं आते, प्राइवेट अस्पताल में इलाज करने जाते। मामले में मेडिकल कालेज के प्रभारी सीएस अर्पण सिंह चौहान ने कहा कि इलाज में लापरवाही, स्टॉफ नर्सांे का आचरण और बुलाने पर नहीं आने की शिकायत की जांच के लिए टीम गठित करेंगे। आक्सीजन नोजल की भी जांच कराई जाएगी। उन्होंने माना कि गरीब तबके के लोग ही सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं। इलाज में गंभीरता दिखानी चाहिए।
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