सारंगढ़-बिलाईगढ़। चिरायु योजना अनेक बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। कलेक्टर डॉ. फरिहा आलम सिद्दीकी के निर्देशन में जिले के चिरायु टीम द्वारा शासकीय स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में गहन चिकित्सकीय परीक्षण कर विभिन्न बीमारी से ग्रस्त बच्चों का सफल एवं निःशुल्क इलाज़ किया जा रहा है।
सारंगढ़ के वार्ड क्रमांक 5 के आंगनबाड़ी केंद्र (2) में चिरायु टीम को एक गंभीर जन्मजात बीमारी ब्लैडर एक्सट्रॉफी (ब्लैडर एक्सट्रॉफी एपीसपेडियास कॉम्प्लेक्स) से पीड़ित बालक धैर्य मेहर पिता संजय मेहर मिला। यह एक गंभीर जन्मजात विकृति है जिसमें पेट की निचली दीवार एवं मूत्राशय ठीक से विकसित नहीं हो पाते हैं, जिसमें मां के गर्भ में ही यह जन्मजात दोष बच्चे में हो जाता है, जिसका कोई स्पेसिफिक कारण नही है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो संबंधित अंग के खुलेपन के कारण इंफेक्शन व अंततः घाव तथा मूत्र की थैली का प्रस्फुटन हो सकता है। साथ ही हाईरिस्क यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का चांस हो सकता है। अतः इस विकृति के कारण मूत्राशय की दीवार नाभि के क्षेत्र के ठीक नीचे बाहरी ओर देखी जाती है, जिसमें मूत्र त्याग की सामान्य प्रक्रिया देखने को नही मिलती है। इस गम्भीर जन्मजात दोष का प्रभाव 1ः10000 प्रति 50000 लाइव बर्थ में हो सकता है, जिसमें 3:1 का प्रभाव बालक-बालिका के लिए होता है।
चिरायु टीम द्वारा तुरंत इस गंभीर समस्या को देखते हुये नन्हे धैर्य को चिरायु से उच्च संस्थान रायपुर में उचित जांच एवं इलाज़ हेतु रेफर किया गया तथा रायपुर के डीकेएस अस्पताल में डॉ नितिन शर्मा के नेतृत्व में भर्ती करने की प्रकिया की गई। विभिन्न एवं आवश्यक जांच पश्चात धैर्य के इस गंभीर बीमारी का 22 जून 2023 को प्रथम स्तर का सफल ऑपरेशन किया गया है। साथ ही जरूरत पड़ने पर आवश्यकतानुसार अगला सर्जिकल प्रोसिजर किया जाएगा। इस ऑपरेशन के बाद नन्हें धैर्य की तबियत में सुधार है। आवश्यक जांच हेतु सैम्पल बाहर भेजा गया है तथा उसकी तबियत की जानकारी चिरायु टीम द्वारा ली जा रही है।
इस सफल इलाज के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफआर निराला, डीपीएम श्री नंदलाल ईजारदार, बीएमओ डॉ आर एल सिदार, चिरायु नोडल डॉ प्रभुदयाल खरे, चिरायु टीम के डॉ बद्री विशाल पंकज, डॉ बबीता पटेल, डॉ गौरी जायसवाल, डॉ प्रभा सारथी, डॉ नम्रता मिंज, फार्मासिस्ट हिंगलेश्वरी कुर्रे, योगेश्वर चन्द्रम, एएनएम मोंगरा कंवर, ललिता उरांव व अनिल कठौतिया, दुबे नर्स का विशेष सहयोग रहा।