छत्तीसगढ़ी को शिक्षा की भाषा बनाने कौशिल्या माता मंदिर तक पदयात्रा 18 को
छग
रायपुर। राजभाषा छ्त्तीसगढ़ी को शिक्षा की भाषा बनाने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता पदयात्रा के तीसरे चरण की शुरूआत रायपुर से करने जा रहे हैं। ‘मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी’ अभियान के तहत तीसरे चरण की पदयात्रा रायपुर से शुरू होकर अगले दिन चंद्रखुरी में समाप्त होगी। पदयात्रा की शुरूआत 18 मार्च शनिवार सुबह आठ बजे कलेक्ट्रेट चौक से होगी। छत्तीसगढ़ी भाषा जागरूकता अभियान के अगुवा नंदकिशोर शुक्ल प्रमुख रूप से यात्रा में शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि ‘मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी’ अभियान के तहत पहले चरण की पदयात्रा बिलासपुर से रतनपुर होते हुए फिर बिलासपुर में समाप्त हुई थी। वहीं इसका दूसरा चरण बिलासपुर से चकरभाठा होते हुए फिर बिलासपुर पहुँची थी। अभियान के माध्यम से इस बात के लिए जन जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है कि शिक्षा छत्तीसगढ़ी भाषा में दिए जाने से न केवल प्रदेश की संस्कृति की रक्षा होगी बल्कि बच्चों के बौद्धिक विकास में मातृभाषा का प्रयोग सबसे अनुकूल होगा। 28 नवंबर 2007 को छ्त्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाए जाने के बावजूद कामकाज की भाषा के तौर पर छत्तीसगढ़ी को वो स्थान और महत्व नहीं मिल रहा है जो उसे मिलना चाहिए।