दुर्ग। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3 व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा तथा किशोर न्याय बोर्ड, श्रम न्यायालय, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ), राजस्व न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
मामला कुटुम्ब न्यायालय के खंडपीठ क्र. 01 पीठासीन अधिकारी गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध देय भरण पोषण राशि में वृद्धि करने का मामला प्रस्तुत की थी।
आवेदिका एवं अनावेदक लगभग 10 वर्षों से पृथक-पृथक निवासरत थे। आवेदिका एवं अनावेदक के दाम्पत्य संसर्ग से एक पुत्र उका जन्म हुआ जो आवेदिका के साथ रहता था। आवेदिका पूर्व में देय भरण-पोषण राशि में वृद्धि करने हेतू मामला प्रस्तुत किया गया। पक्षकारों के मध्य सुलह कार्यवाही कराये जाने पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भूलकर, जो 10 वर्ष से पृथक-पृथक रह रहे थे, पुरानी बातों को भूलकर साथ-साथ रहकर साम्पत्य जीवन व्यतीत करने तैयार हो गये। इस प्रकार सुलह वार्ता सफल रही, मामला समाप्त हुआ। और उभयपक्ष अपने पुत्र सहित राजीखुशी घर चले गए। इस प्रकार एक बिखरा हुआ परिवार फिर से एक हुआ।