CONGRESS AICC : खुला खत आलाकमान के नाम

Update: 2024-07-01 10:57 GMT

रायपुर/दिल्ली Raipur/Delhi । छग के कांग्रेस नेता Congress leader ने खुला खत आलाकमान को लिखा है। जिसमें उन्होंने बताया कि चुनाव परिणामो पर समीक्षा करने आज नेता गण दिल्ली से रायपुर पहुचे और विधानसभा,लोकसभा में हार के कारणों पर चर्चा की, जबकि आप स्वयं राहुल, सेलजा , चन्दन, उल्का जांगीड और प्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है कि हार के मात्र दो कारण है, chhattisgarh

: - हाईकमान तक शिकायत रोकने फिर सेटिंग की तैयारी में भूपेश बघेल और छुटभैया गुर्गे

chhattisgarh news (1)भूपेश बघेल का घमंड अहंकार और बदतमीजी से बात करना, एकला चलो कि रणनीति संगठन को दरकिनार करके चलना उसकी जातिवाद कि घटिया मानसिकता और उसका भ्रष्टाचार और गलत टिकट वितरण ....आदिवासी, साहू और सवर्ण, सतनामी नेत्रित्व को दरकिनार तथा अपमानित करने कि राजनीति

Chhattisgarh Congress (2) सौम्या,रामगोपाल, गिरीश देवांगन अनिल टुटेजा सूर्यकांत विनोद वर्मा प्रदीप शर्मा राजेश तिवारी रुचिर गर्ग,ढेबर, जैसे लोग और सट्टा, शराब, कोयला, DMF, GST, PSC  जैसे कई घोटाले, जिनके कारण बघेल पिता पुत्र और दामाद के ऊपर ED की कार्यवाही से जेल जाने कि संभावना से डर कर भूपेश कि भाजपा से डीलिंग और उसके तहत विधानसभा और लोकसभा में कांग्रेस को हरवाने का पूरा षड्यंत्र हुवा जिसमे बघेल ने पूरी कांग्रेस को प्रदेश में हासिये में ला दिया, तभी इनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्री भी हार गए और लोकसभा में फिर हारे हुवे पुराने चेहरों को टिकट दी,दुर्ग से पांच मंत्री थे सब हारे थे फिर दुर्ग से चार लोगो को दुसरे क्षेत्रो से टिकट दे दी परिणाम ये हुवा कि सब हार गये ज्योत्स्ना महंत जीती तो उसमे चरणदास या कांग्रेस का कोई रोल नहीं है, सरोज पाण्डेय को भाजपा के बड़े नेताओ ने ही हराया,और उसमे दो मंत्री और तीन विधायक का रोल है अमित जोगी और तुलेश्वर मरकाम का भी पैसा लेकर सहयोग है और तो और भूपेश ताम्धवाज, चरणदास, चौबे, अकबर, सिंहदेव तो अपनी विधानसभा में भी पार्टी को लीड नहीं दिला सके.

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महंत चरणदास ने तो भूपेश को भी निपटाया अपने भाषण से और डहरिया से खर्चा भी लिया और निपटा भी दिया और मजे कि बात है कि बघेल जी को इस स्तिथि में पहुचने का सबसे बड़ा कारण सिंहदेव, महंत ,तम्धवाज, धनेन्द्र, सत्यनारायण अमितेश शुक्ला रविन्द्र चौबे मोहम्मद अकबर mohammad akbar जैसे नेता ही रहे जिन्हें बड़ा नेता मानने कि ग़लतफ़हमी आप लोगो को है, हम कार्यकर्ताओ को भी थी कि ये सब काफी लोकप्रिय और कद्दावर नेता है प्रदेश के पर जब मंत्री मंडल में इनको बघेल के सामने बकरी कि तरह मिमयाते इनको देखा तो समझ में आया कि ये सब कितने चापलूस और डरपोक है, भूपेश तो भूपेश इनके मुंह से तो सौम्या के सामने ही आवाज नहीं निकलती थी और भूपेश ने जब ये परख लिया तो उसने इन सब को उनकी औकात की, इनमे डहरिया और जय सिंह ही थोड़े अपवाद रहे ही रखा और खूब मनमानी बाकि तो न संगठन कि कोई औकात थी न कार्यकर्ताओ कि न कभी किसी का कोई काम हुवा नही किसी को कभी मिलने का समय मिला

गिरीश देवांगन ने भूपेश को बर्बाद करने में बड़ी भूमिका निभाई और जीस भूपेश ने अध्यक्ष रहते हुवे शानदार काम किया उस भूपेश को कार्यकर्ताओ से बिलकुल दूर कर दिया, और संगठन से लड़ाने में ही लगा दिया,गिरीश, विनोद वर्मा और रामगोपाल ने चुगली कर कर के भूपेश कि सोच संगठन के प्रति नकारात्मक कर दी उसकी आड़ में गिरीश, गोपाल वर्मा ने अपने व्यक्तिगत विरोधियो को भी निपटाया जबकि उनमे कुछ ऐसे भी थे जो भूपेश से जुड़े थे पर सच तो ये है कि आज भी इन सब नेताओ से मतलब महंत, सिंहदेव, तामधवाज, धनेन्द्र आदि से भूपेश ही मजबूत है दमदार है बोल्ड है जुझारू है और बेबाक है जो बोलना है बोल देता है, और जब वो बोलता है तो उसका घमंड अहंकार और बदतमीजी और अपमानित करने का लहजा खुल कर झलकता है .. उसके बावजूद इन बगेर रीढ़ कि हड्डी बाकि तथाकथित प्रदेश के बड़े नेताओ के मुंह से चूं भी नहीं निकलती भूपेश मुख्यमंत्री रहते हुवे खुले आम कहता था कि पूरी AICC मै चलाता हु,प्रियंका जी मेरी जेब में है, संदीप मेरा पेड वर्कर है, तब भी कभी किसी ने कुछ नहीं कहा" आज भी मीटिंग में भूपेश ने आते ही अपनी नाकामी छुपाने झूट आरोप लगाया कि 2018 से संगठन ने काम नहीं किया इसलिए हारे .. किसी के मुंह से कोई आवाज नहीं निकली .. कोई मर्द नहीं निकला मोहन मरकाम को बताना था कि कैसे गिरीश और रामगोपाल समान्तर संगठन चला रहे थे और राजीव भवन को गिरीश ने औरतबाजी का तथा रामगोपाल ने सिगरेट फूंक फूंक कर अवेध वसूली का अड्डा बना रखा था,विनोद वर्मा कैसे अपने लड़के को 19 लाख महिना दिला रहा था सनी अगरवाल जैसे लड़कियों के दलाल इनकी सेवा में थे मरकाम को बताना था कि जिस सनी अगरवाल को राजीव भवन में अश्लील गली गलोज करने के आरोप में पार्टी से निकला उसे भूपेश ने निगम का अध्यक्ष बना कर मंत्री का दर्जा दे रखा था मरकाम को बताना था कि एक भी निगम मंडल आयोग मंडी सोसायटी में संगठन कि अनुशंसा नहीं मानी गई.

मरकाम को बताना था कि कैसे संचार विभाग से उनके खिलाफ छपवाया जाता था मरकाम को बताना था कि कैसे अधिवेशन में उनके पोस्टर गायब कर दिए गए मरकाम को बताना था कि कैसे उनको हराने के लिए उनके जिले के कलेक्टर SP का और रवि घोश मनीष श्रीवास्तव का उपयोग किया गया, कैसे पीसीसी चलने के लिए खर्चा देने में ये अपमानित करते थे वहा बैठे दीपक को बताना था कि मै तो विधानसभा, लोकसभा टिकट वितरण तक आपका यस मेन रहा फिर कवासी से मुझे, मरकाम और कर्मा को हरवाने पैसा भिजवाए, लगातार अपमानित किये अभी भी संगठन को कमजोर करने और अध्यक्ष बदलने कि मुहीम दिल्ली में जारी रखे, आदिवासी नेत्रित्व को हमेशा कमजोर करने का षड्यंत्र आपके द्वारा होता है महंत भी भूल गए पिछले पांच सालो में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुवे भूपेश ने इनको कितनी बार अपमानित किया कभी चोलेश्वर चुन्नीलाल जैसे छुटभैयो के माध्यम से कभी सुरेन्द्र बहादुर आदि के माध्यम से, महंत भूल गए गिरीश देवांगन को भूपेश द्वारा लगातार जांजगीर जिले में भेजना, उनके समर्थक दिनेश शर्मा, मनहरण राठौर इत्यादि को बरगला कर महंत से अलग करना, और भी कुछ है जिसे महंत जानते है कि उन्हें कितना कड़वा घूंट पीना पड़ा

वैसे ही वहा मौजूद ताम्धवाज धनेन्द्र सत्यनारायण अमितेश, वोरा, जय सिंह, डहरिया आदि सबने कई बार अपमान का कड़वा घूंट पिया पर मजाल है कि किसी के मुंह से आवाज निकलती हम यहाँ अमरजीत भगत, कवासी, अकबर, चौबे, प्रेमसाय उमेश और चौबे कि तो बात ही नहीं करेंगे क्युकी ये सब तो अपना मान स्वाभिमान और जमीर पहले ही भूपेश के चरणों में गिरवी रख चुके थे इसमें रविन्द्र चौबे तो इतने चाटुकार हो गए थे कि सौम्या कि धौंस भी खा लेते थे हद तो ये हो गई थी कि प्रदीप चौबे जो रविन्द्र का बड़ा भाई है जो एक समय में भूपेश को पानी पि पि के गालिया बकता था एक राजेंद्र तिवारी है जो भूपेश को कोसते नहीं थकता था ऐसे भी बहुत से सो काल्ड बड़े नेता भी भूपेश कि चापलूसी और चाटुकारिता करने लगे.

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टीएस तो अपनी ही हक़ कि लड़ाई नहीं लड़ पाए, सूर्यकांत जैसे छोटे लोग ही उन पर भरी पड़ते रहे ,बघेल ने बृहस्पति और भगत, चिंतामणि के माध्यम से उनको भी निपटा दिया तो जो आदमी अपनी ही लड़ाई नहीं लड़ पाया वो कार्यकर्ताओ कि लड़ाई क्या लड़ पायेगा / ? अब तो वैसे भी इनकी उम्र हो गई है विधुर भी हो गए है तो इनको भी सन्यास ले लेना चाहिए, क्योंकि प्रदेश में इनसे जुड़े कार्यकर्ता भी सब समझ गए है कि ये मीठा मीठा बात करके सब को बेवकूफ बनाते है ..अरे वो बिचारे छन्नी साहू और शैलेश पाण्डेय इनके चक्कर में निपट गए ये उनको नहीं बचा पाए तो किसी और का क्या ही भला कर पाएंगे. 

और हा प्रदेश के लोग एक राज कि बात नहीं जानते वो भी आज बता दिया जाय सब को लगता था कि मरकाम को भूपेश ने निपटाया ? पर सच तो यह है मरकाम कि पीठ में छुरा टी एस ने भौंका और उसमे सहयोगी कि भूमिका निभाई सेलजा मैडम और चरणदास महंत ने .. खैर आपसे अनुरोध है कि प्रदेश में आज भी कांग्रेस और पार्टी के कार्यकर्ता काफी मजबूत है, पर जरुरी ये है पिछले 30 सालो से पार्टी का खा रहे और कार्यकर्ताओ को बजा रहे है,

इन सब उम्रदराज और नाकाबिल नेता, कार्यकर्ताओ कि भावना के साथ हमेशा खिलवाड़ करने वाले तथाकथित नेता ख़ास कर टी एस सिंहदेव चरणदास महंत, तमधवाज साहू, भूपेश बघेल, अमितेश शुक्ला धनेन्द्र साहू रविन्द्र चौबे, अकबर, प्रेमसाय सिंह रूद्र कुमार अमरजीत भगत, कवासी लकमा जैसे लोगो को मुख्य धारा से हटा कर मार्गदर्शक मंडल में भेजिए क्योंकि इन सब ने पैसा भी खूब कमा लिया है इनकी जगह ऐसे लोग जो संगठन का सम्मान करते है, कार्यकर्ताओ कि भावना का सम्मान करते है हाई कमान के आदेशो का ईमानदारी से पालन करते है, जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम है ऐसे नेत्रित्व को सामने लाये तथा जातिगत समीकरण को दरकिनार कर ऐसे नेताओ का चयन करे जो पड़े लिखे स्वच्छ और इमानदार छवि के है.

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इस खत की पुष्टि जनता से रिश्ता आधिकारिक रूप से नहीं करता है, सोशल मीडिया में कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ-साथ जनता से रिश्ता को भी शिकायतकर्ता कांग्रेसी ने टैग किया है. 


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