अब स्कूली बच्चों को बरसात के दिनों स्कूल जाने में नहीं होगी परेशानी, अठारह साल बाद खर्रा नदी में बना पुलिया
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश के अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक विकास की दूरदृष्टि सोच और निरंतर प्रयास से कवर्धा जिले के दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसे ग्राम भैंसबोड़ के ग्रामीणों को अब सुगम आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो गई है। खर्रा नदी में पुल बनने से अब भैंसबोड़, विकासखण्ड सहसपुर लोहारा और कबीरधाम जिला मुख्यालय कवर्धा से भैंसबोड़ के ग्रामीण सुगमता के साथ जुड़ गए हैं। ग्रामीणों ने इस खुशी में 75वें स्वतंत्रता दिवस को संपर्क आजादी दिवस के रूप में मनाया। अब स्कूली बच्चों को बरसात के दिनों में स्कूल आने-जाने में कोई परेशानी नहीं होगी, साथ ही ग्रामीण भी सुगमतापूर्वक कहीं भी आ जा सकेंगे।
दुर्गम वनांचल में बसे ग्राम भैंसबोड़ में आदिवासी और विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति परिवार भी निवास करते है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 18 बरस बाद गांव के लोग विकास के मुख्यधारा से जुड़ रहे है। अब बच्चों बच्चों को स्कूल जाने से लेकर ग्रामीणों को राशन सामग्री, स्वास्थ्य सेवाओं तथा अन्य सामग्री लाने-लेजाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
गौरतलब है कि कबीरधाम जिले के सहसपुर लोहारा विकासखण्ड़ में सुतियापाठ मध्यम जलाशय है। इस जलाशय के पीछे भाग में पहाड़ियों के बीच खर्रा नदी का बहाव होता है। इस नदी के उस पार मैकल पर्वत श्रृंख्ला की तलहटी पर छोटा सा गांव भैसबोड है। इस गांव के आदिवासी और बैगा परिवार सदियों में इस नदी पर पुलिया बनाने के लिए संघर्ष करते आ रहे थे।
भैंसबोड के बुजूर्ग ग्रामीण अमर सिंह गोड़ बताते है कि उनकी पूरी जिंदगी इस गांव में पुलिया बनाने की मांग में गुजर गई, वे भी अच्छे से पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन आसपास स्कूल और गांव के इसी नदी में पुलिया नहीं होने से उनके सपने अधूरे रह गए। अमरसिंह गोड़ अब गांव के हर बच्चें को शिक्षित और पढ़ा लिखा देखना चाहता है।