मंत्री की नहीं, अधिकारी की चलती है मर्जी

Update: 2022-06-02 05:53 GMT
  1. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में नियम-कायदे ताक पर
  2. प्रभारवाद की नाव में सवार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
  3. सीईओ ने प्रभार देने में की मनमानी
  4. नियमों में पसंद-नापसंद, मेरी मर्जी का फ़ार्मूले लागू
  5. अपने चहेतों अधिकारियों को किया उपकृत, दिए मनचाहे माल वाले प्रभार
  6. फोन पर जानकारी चाहने पर अधिकारी फोन उठाना भी नागवार लगता है
  7. हिटलरशही रवैया, शासन, मंत्री और जनता से भी डर नहीं, वेखौफ होकर भ्रष्ट्राचार को अंजाम दे रहे हैं

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रधानमंत्री सड़क योजना में वित्तीय प्रभार सौंपने के मामले में अधिकारियों द्वारा जमकर मनमानी करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों द्वारा वित्तीय प्रभार देने में नियमों की अनदेखी करने, दोहरे मापदंड अपनाए जाने, चहेतों को उपक्रत करने, प्रशासनिक आदेशों को ठेंगा दिखाने वाले कर्मचारियों को सरंक्षण देने और अधिकारी के तुगलकी गैरकानूनी फरमानों को पूरा नहीं करने वाले कर्मचारियों को परेशान करने का आरोप भी कटियार पर लगते रहते है। अभी हाल ही में आलोक कटियार ने नया फरमान जारी किया है जिसके तहत सहायक अभियता को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना धमतरी का प्रभारी ईई बनाया गया है। जो कि दोहरे प्रभार में है। आरबी सोनी, सांख्येत्तर सहायक अभियंता है, जल संसाधन विभाग का। मतलब सहायक अभियंता का दर्जा प्राप्त (सहायक अभियंता नहीं दर्जा) उप अभियंता है । केबिनेट/राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त (सुविधा मिलेगी, अधिकार नहीं) होता है,उसी तरह का है । रायपुर के सहायक अभियंता (जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना रायपुर का प्रभारी कार्यपालन अभियंता है उसी को धमतरी के ईई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का दोहरा प्रभार दे दिए। सवाल यह है कि-धमतरी के वरिष्ठ सहायक अभियंता को प्रभार क्यों नहीं दिया गया? जबकि आर बी सोनी जल संसाधन विभाग का उपअभियंता है, धमतरी में जब वरिष्ठ सहायक अभियंता मौजूद है तो उन्हें प्रभार देना चाहिए था। यानी यहां भी मेरी मर्जी। प्रभार वाद नियमों पर आधारित होता है या पसंद-नापसंद, मेरी मर्जी के फ़ार्मूले से तय होता है?

प्रभार देने में हुआ बड़ा खेल

सूत्रों ने बताया कि आरोप है कि सेवा निवृत होने के बाद अपनों को इधर से उधर करना, वित्तीय प्रभार देने आदि के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। वहीं कई चहेते अधिकारी अभी भी प्रभारवाद के चलते मलाई खा रहे है और विभाग को खोखला कर रहे हैं। इस मामले में प्रतिक्रिया लेने सीईओ आलोक कटियार से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल रिसिव नहीं की।

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