सामाजिक जागरूकता एवं प्रशासनिक सख्ती से अखती पर्व पर नहीं हुआ कोई बाल विवाह

Update: 2021-05-14 17:07 GMT

रायपुर। बाल विवाह के लिए प्रसिद्ध अखती पर्व पर इस साल जिले में बाल विवाह होने की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। समाज में इस विषय मे आई जन जागरूकता और प्रशासनिक सख्ती के कारण यह सम्भव हुआ है। जबकि पिछले साल इस दिन 2 प्रकरण दर्ज किए गए थे । कलेक्टर सुनील जैन के मार्गदर्शन में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पिछले लगभग एक महीने से बाल विवाह की सामाजिक बुराई को जड़-मूल से खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान लगभग डेढ़ दर्जन बाल विवाह रोकने में विभाग को कामयाबी भी मिली है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी एल.आर.कच्छप ने बताया कि जिले में दीवार नारा लेखन और सार्वजनिक मुनादी के जरिये व्यापक जन-जागरूकता फैलाई गई। गांवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा लगभग 34 हज़ार से ज्यादा दीवार लेखन कार्य किया गया है। कोटवारों की मदद से मुनादी भी की गई। बाल विवाह सम्बन्धी कानूनी प्रावधान एवं इसके कुप्रभाव की जानकारी प्रसारित की गई। उन्होंने बताया कि शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़के का उम्र 21 साल से एक दिन भी कम नहीं होने चाहिए। ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों का सहयोग भी इस बार जागरूकता अभियान में लिया गया है। ग्राम पंचायत वार विवाह पंजी का संधारण अनिवार्य रूप से करने का निर्देश दिये गये है। बाल विवाह रोकथाम हेतु चाईल्ड हेल्प लाईन नं. 1098 पुलिस हेल्प नं. 112 एवं सखी वन सेन्टर हेल्प लाईन नं. 181 पर काॅल करके सूचित किया जा सकता है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने स्वयं अखती के एक दिन पूर्व ग्रामीण क्षेत्र में जायज़ा लेने के लिए विकास खण्ड कसडोल अंतर्गत ग्राम छाता, बिलारी ज, कुरमाझर, कुशभाठा सोनपुर, बरपानी, नगरदा ग्रामों का दौरा किया। उन्होंने भ्रमण दौरान पंचायत के सरपंच, सचिव, विभिन्न समाज प्रमुखों और स्थानीय जनों से भेंटकर गांवो में होने वाली विवाहों के संबंध में चर्चा की। ग्रामीणों ने बताया कि सामाजिक जागरूकता और प्रशासन की सख्ती के कारण गांव में बाल विवाह नहीं हो रहे हैं जो कि अच्छी पहल है। बाल विवाह कानून के तहत बाल विवाह कराने वाले को दो वर्ष की कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपये तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

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