आईपीएस अवार्ड के लिए राज्य के 16 अफसरों के नाम लिफाफे में बंद, एक सीट खाली छोड़ी गई
रायपुर। दिल्ली में चली लंबी बैठक के बाद डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी ने आईपीएस अवार्ड करने के लिए राज्य पुलिस सेवा के 16 अफसरों के नाम लिफाफे में बंद कर दिया। हालांकि, रापुसे से आईपीएस बनने के लिए 17 सीटें खाली थीं। लेकिन, बीएसएफ से राज्य पुलिस सेवा में मर्ज हुए यशपाल सिंह के लिए एक सीट रोक ली गई। कैट ने भारत सरकार को उनके लिए एक सीट रोकने का आदेश दिया था।
डीपीसी में हिस्सा लेने चीफ सिकरेट्री अजय सिंह, डीजीपी एएन उपध्याय और पीएस होम अमिताभ जैन दिल्ली गए थे। डीपीसी ने दो घंटे की बैठक के बाद 16 अफसरों का नाम लिफाफा में बंद कर दिया। इनमें सीनियरिटी के अनुसार डीआर आंचला, बीपी राजभानू, डीएलएस आर्मो, एसआर सलाम, जीआर ठाकुर, तिलकराम कोशिमा, प्रशांत ठाकुर, अजातशत्रु बहादुर सिंह, लाल उम्मेल सिंह, विवेक शुक्ला, रजनेश सिंह, शशिमोहन सिंह, राजेश कुकरेजा, डीएस मरावी, श्वेता राजमणि शामिल हैं।
जानकारों का कहना है, सीआर के आधार पर इनमें से दो या तीन अफसरों का आईपीएस अवार्ड रुक सकता है। बाकी, 13 का लगभग तय है। बहरहाल, डीपीसी के बाद भारत सरकार द्वारा नोटिफिकेशन में करीब 15 दिन का वक्त लगता है। इस बार चूकि, अक्टूबर में आचार संहिता लगने वाली है। इसलिए, सरकार की कोशिश होगी जल्दी नोटिफिकेशन हो जाए। वरना, विभिन्न जिलों में तैनात पांच पुलिस अधीक्षकों की मुश्किलें बढ़ जाएगी।
उधर, यशपाल को आईपीएस अवार्ड न करने राज्य पुलिस सेवा के अफसर हाईकोर्ट चले गए थे। उधर, डीओपीटी ने भी यह कहते हुए डीपीसी से रोक दिया था कि यशपाल की राज्य पुलिस में आठ साल की सर्विस पूरी नहीं हो पाई है। जाहिर है, आईपीएस अवार्ड के लिए राज्य पुलिस सेवा में आठ साल की सर्विस अनिवार्य है। इसके लिए यशपाल ने कैट में अपील की थी। कैट ने फैसला होते तक भारत सरकार को उनके लिए एक सीट खाली रखने का आदेश दिया था