मोदी सरकार देश के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकानें में लगी है: कांग्रेस
छग
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि संसद का विशेष सत्र समाप्त हो चुका है। इस सत्र को लेकर एक बात बिल्कुल साफ़ है। मोदी सरकार देश को कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों- अडानी घोटाला, जाति जनगणना और विशेष रूप से बढ़ती बेरोज़गारी, बढ़ती असमानता और आर्थिक संकट आदि से भटकाने की कोशिश कर रही थी। मोदी सरकार आंकड़ों को चाहे कितना भी छिपा ले, हक़ीक़त यह है कि बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। ये पिछले सप्ताह रिपोर्ट किए गए कुछ तथ्य हैं जिन्हें दबा दिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं। इसका सबसे ज़्यादा असर आम परिवारों के घरेलू बजट पर पड़ रहा है। टमाटर की कीमतों में अनियंत्रित उछाल को सबने देखा। जनवरी 2023 से तुअर दाल की कीमतें 45 प्रतिशत बढ़ गई हैं। कुल मिलाकर दालों का इंफ्लेशन (मुद्रास्फीति) 13.4 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अगस्त से आटे की क़ीमतें 20 प्रतिशत बेसन की कीमतें 21 प्रतिशत गुड़ की क़ीमतें 11.5 प्रतिशतऔर चीनी की क़ीमतें 5 प्रतिशत बढ़ी हैं। आवश्यक घरेलू क्षेत्र में अनियंत्रित महंगाई अर्थव्यवस्था को मैनेज करने में मोदी सरकार की अक्षमता को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि सितंबर 2023 का आरबीआई का नवीनतम बुलेटिन, कोविड-19 महामारी से उबरने में मोदी सरकार की पूरी तरह से विफलता को दर्शाता है। फरवरी 2020 में 43 प्रतिशत लोग लेबर फोर्स में थे। 3.5 से अधिक वर्षों के बाद, यह भागीदारी दर 40 प्रतिशत के आस पास बनी हुई है। अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 25 वर्ष से कम आयु के 42 प्रतिशत से अधिक ग्रेजुएट 2021-22 से बेरोज़गार है। यह गंभीर चिंता का विषय है। महामारी से पहले 2022 में भी महिलाओं को उनकी वास्तविक आय का केवल 85 प्रतिशत ही मिल पा रहा था। हम यह भी जानते हैं कि महामारी की शुरुआत से पहले ही भारत में बेरोज़गारी 45 वर्षों में सबसे अधिक थी। यह एक ऐसा आँकड़ा था जिसे मोदी सरकार ने बहुत छिपाने की कोशिश की थी।