मनरेगा ने बदली वनाधिकार पट्टेधारकों की तकदीर

Update: 2023-03-10 11:21 GMT

कोंडागांव। शासन द्वारा आदिम जाति एवं गैर परम्परागत वन निवासी अधिकार अधिनियम के तहत जहां पात्र हितग्राहियों को उनके काबिज काश्त वनभूमि का वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदाय किया जा रहा है। वहीं इन वनाधिकार पट्टेधारकों की आय संवृद्धि की दिशा में मनरेगा सहित अन्य योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। इस ओर जिले में वनाधिकार मान्यता पत्र धारकों को मनरेगा से भूमि समतलीकरण, मेड़ बंधान, कूप निर्माण, डबरी निर्माण सहित गौपालन शेड, बकरीपालन शेड, कुक्कुट पालन शेड निर्माण के लिए प्राथमिकता देकर आवश्यक सहायता सुलभ कराने के साथ ही उन्नत खेती-किसानी, साग-सब्जी उत्पादन, मछलीपालन, गौपालन, बकरीपालन, कुक्कुटपालन के लिए शासन की जनहितकारी योजनाओं से मदद देकर उन्हे आयमूलक गतिविधियां संचालित करने प्रोत्साहित किया जा रहा है। मनरेगा के कार्यों में इन परिवारों को रोजगार सुलभ कराने के फलस्वरूप इन्हे अतिरिक्त आय भी हो रही है, जिससे इन-परिवारों में खुशहाली आयी है।

 जिले के कोण्डागांव ब्लाक में अब तक 2835 वनाधिकार मान्यता पत्र धारकों को मनरेगा के विभिन्न कार्यों के लिए सहायता दी गयी है। इस दिशा में सम्बन्धित हितग्राही की आवश्यकता सहित उनकी रूचि के अनुरूप कार्यों की स्वीकृति को प्राथमिकता दी गयी है, ताकि उनकी बेहतर आजीविका संवर्धन को बढ़ावा मिल सके। इसी सकारात्मक प्रयासों के फलस्वरूप सोनाबाल निवासी वनाधिकार पट्टेधारी ईश्वरी ने मनरेगा के तहत अपने निजी भूमि में करीब 2 लाख 73 हजार रूपए की लागत से डबरी निर्माण कर मछलीपालन को बढ़ावा दिया है। वहीं डबरी के मेड़ पर साग-सब्जी उत्पादन कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं। इसी तरह कोकोड़ी निवासी वनाधिकार पट्टेधारक घसियाराम द्वारा भी अपने निजी भूमि में मनरेगा से 2 लाख 73 हजार रूपए की लागत से डबरी निर्माण कर मत्स्यपालन किया जा रहा है। वहीं घसियाराम के खेत में डबरी के कारण लंबे समय तक नमी बनी रहती है और डबरी के पानी का सदुपयोग कर साग-सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। बड़ेबेंदरी के वनाधिकार पट्टेधारक मुरईबाई खेती-किसानी के साथ पहले से ही बकरीपालन कर रही थीं। उन्हे जब मनरेगा से बकरीपालन शेड उपलब्ध कराये जाने की जानकारी मिली तो इसे बढ़ाने का फैसला किया। मुरईबाई ने मनरेगा के तहत स्वीकृत 54 हजार रूपए की लागत से बकरीपालन शेड निर्माण कराया और जहां पहले 13 बकरे-बकरियां थीं, उसे गत वर्ष बढ़ाकर 60 कर चुकी थीं। स्थानीय लोगों की मांग के अनुरूप 9 बकरे-बकरियों के विक्रय से मुरईबाई को करीब 64 हजार रूपए की आमदनी हुई। इस आय से मुरईबाई को बकरीपालन को बढ़ावा देने प्रोत्साहन मिला और वे इस बेहतर ढंग से संचालित कर घर-परिवार को खुशहाल बना चुकी हैं। 

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