शहरों की ओर पलायन शुरू, गांव पड़े सूने

Update: 2024-03-28 07:05 GMT

गरियाबंद। जनजातियों के समुचित उत्थान के लिए प्रशासन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन का भले लाख दावा करे पर जनजाति बहुल पंचायत आमामोरा और ओड़ के आश्रित ग्राम हथौड़ाडीह, नगरारा और कुकरार निवासी 50 से भी ज्यादा कमार परिवार के घरों में लटक रहे ताले प्रशासन के दावों की सचाई बयां कर रहे हैं. उल्लेखित गांव में ज्यादातर घरों में ताला लटके है, कुछ घरों में बच्चे और वृद्ध भर नजर आए.

पलायन करने वाले ज्यादातर जोड़ो में पलायन कर गए हैं. हथौड़ा डीह के ग्रामीण रूपसिंह कमार ने बताया कि मनरेगा में यहा काम की कमी है.हालात ऐसे बन जाते हैं कि घर में सब्जी-भाजी जुटाना मुश्किल हो जाता है. बांस बर्तन बना कर किसी तरह पहले गुजारा हो जाता था, लेकिन अब कच्चा माल नहीं मिल पाता. आंध्र के लोग दलालों के माध्यम से संपर्क करते हैं, एक एक परिवार को 25-25 हजार का एडवांस पैसे दे जाते हैं.


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