Mandi मध्यस्थता योजना का पैसा चुकता

Update: 2024-07-08 11:22 GMT
Shimla. शिमला। बागबानों को सेब सीजन शुरू होने से पहले सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) का पूरा पैसा चुकता कर दिया है। इस समय सरकार के पास बागबानों की कोई देनदारी नहीं बची है। पिछले सालों का 54 करोड़ रुपए बकाया था जिसे पूरी तरह से चुकता कर दिया है। बागबानी विभाग ने हिमफेड व एचपीएमसी से इसे लेकर जानकारी मांगी है, जिन्होंने विभाग को बता दिया है कि बागबानों का एमआईएस का पूरा पैसा चुकता कर दिया है। एचपीएमसी के पास 20 करोड़ रुपए की देनदारी थी जिसे भी उसने चुका दिया है। बता दें कि पिछली सरकारों में बागबानों का एमआईएस का पैसा पूरी तरह से नहीं दिया जा सका था। कोई न कोई दिक्कत इसमें पेश आ ही जाती थी मगर प्रदेश सरकार ने बागबानों के पैसे को चुकता करने में गंभीरता दिखाई। ऐसे में अगले सेब सीजन में सेब की खरीद करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। सरकार की दो एजेंसियां बागबानों से
एमआईएस के तहत सेब खरीदती है।

एक तो सरकारी एजेंसियों को सेब देने में पैसा नहीं मरता और दूसरा उनका सी व डी ग्रेड का सेब भी बिक जाता है। सरकार ने इसका मूल्य 12 रुपए किलो रखा है। इसमें भी एक साथ अढ़ाई रुपए का इजाफा किया था जो पूर्व में नहीं हो सका। पिछली सरकारें हर सेब सीजन में 50 पैसे प्रति किलो रेट बढ़ाती थीं जिससे बागबानों को उतना ज्यादा लाभ नहीं था। इस बार भी 12 रुपए प्रति किलो की दर से ही सरकारी एजेंसियां सेब की खरीद करेंगी। इस बार पहले के मुकाबले सेब ज्यादा होगा। माना जा रहा है कि सरकारी एजेंसियां भी पहले से ज्यादा सेब खरीदेगी जिनको बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी की तरफ से ऐसे निर्देश हुए हैं। एमआईएस के तहत बागबान आराम से अपना सेब दे सकते हैं। हालांकि यूनिवर्सल कॉर्टन की शर्त उन पर लागू है, परंतु अब पिछला कोई पैसा सरकार से उन्हें नहीं लेना है इसलिए खुले मन के साथ वो सरकारी एजेंसियों को अपना सी व डी ग्रेड का सेब बेच सकेंगे। इस सेब की खरीद के लिए दोनों एजेंसियां अपने कलेक्शन सेंटर भी बनाने जा रही हैं। 15 जुलाई से पहले प्रदेश के सेब बहुल क्षेत्रों में 200 से ज्यादा कलेक्शन सेंटर स्थापित कर दिए जाएंगे।
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