मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान: घने जंगलों और पगडंडियों के सहारे लंका पहुंचा स्वास्थ्य अमला

Update: 2022-06-17 10:06 GMT

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा है कि छत्तीसगढ़ मलेरिया मुक्त हो, इसी उद्देश्य के किये मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश के सभी क्षेत्रों में खासकर अंदरूनी और आदिवासी बाहुल्य ईलाकांे में इस अभियान पर जोऱ दिया जा रहा साथ ही अन्य स्वास्थ्य सुविधायें भी दी जा रही। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल बरसो से अबूझ रहे अबूझमाड़ को बूझने की शुरुआत भी कर दी है। कलेक्टर श्री ऋतुराज रघुवंशी भी जिले की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सजग एवं संवेदनशील है। कलेक्टर रघुवंशी जिले को मलेरिया से मुक्त करने तथा बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराने एवं अंदरूनी क्षेत्रों तक पहुंच बनाने के लिए योजना तैयार कर, कार्य को प्राथमिकता से किया जा रहा है। जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की भी समीक्षा लगातार कर रहे हैं और अधिकारियो से कहा है कि जब जांच दल मलेरिया की जांच हेतु अदंरूनी क्षेत्रों में जाये तो मलेरिया के साथ-साथ स्कैबीज, मोतियाबिंद, टीबी, दाद-खाज-खुजली, सर्दी, खांसी सहित अन्य बीमारियों की भी लक्षण पाये जाने पर जांच करें।

कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी के निर्देश पर मलेरिया जांच करने बीते दिनों स्वास्थ्य अमला लंका और हांदावाड़ा क्षेत्र में नारायणपुर जिले के अबूझ कहे जाने वाले ओरछा विकासखंड (अबूझमाड़) के धुर नक्सल प्रभावित, घने जंगलों एवं पहाड़ों को पगडंडियों के सहारे पार करते हुए गांव लंका, पदमेटा, कारंगुल और रासमेटा बीजापुर जिले से पहंुचा। स्वास्थ्य अमले में डॉ सुखराम डोरपा, खण्ड चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के नेतृत्व में उनके सहयोगी डॉ.अनुराधा नेताम, डॉ. श्यामबर सिंह, स्टाफ नर्स कु सरस्वती दुग्गा शामिल थे। स्वास्थ्य अमले द्वारा इन गांवों में स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने मलेरिया, स्कैबीज, मोतियाबिंद का स्क्रीनिंग एवं अन्य बीमारियों की जांच सफलतापूर्वक की और वहां के बच्चों एवं ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा एवं स्वास्थ्य परामर्श दिया।

'हांदावाड़ा और लंका हैं बीहड़ क्षेत्र , जहां पहुंचने के लिए बीजापुर और दंतेवाड़ा जिले को पार कर जाना पड़ता है'

विदित हो कि हांदावाड़ा, लंका नारायणपुर जिले के ऐसे बीहड़़ एवं दुर्गम गांव है, जहां जाने के लिए बीजापुर और दंतेवाड़ा की ओर से नदी-नालों को पार कर पहुंचा जाता है। बारिश के दिनों में यहां स्थितियां और भी गंभीर होती है। डॉ डोरपा के नेतृत्व में यह दल भी इसी मार्ग के जरिये इन गांवों में पहुंचा और मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें आवश्यकतानुसार जीवनरक्षक दवाईयों का निःशुल्क वितरण किया।

जिले में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का शत प्रतिशत लक्ष्य पूर्ण, अब तक 1 लाख 42 हजार लोगों की मलेरिया जांच

जिले में बीते 17 मई से 16 जून 2022 तक मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का संचालित किया गया, जिसमें सर्वे किये गये कुल घर, स्कूल, आश्रम, छात्रावास, पोटाकेबिन अर्द्धसैनिक बलों के कैंप आदि की संख्या 25 हजार 500 है, जिसमें 1 लाख 41 हजार 891 लोगों की मलेरिया जांच की गयी। जिले को प्राप्त 1 लाख 41 हजार 731 में से जिसमें 1 लाख 41 हजार 891 लोगों की मलेरिया जांच कर लक्ष्य पूर्ण किया जा चुका है। जांच के दौरान कुल2 हजार 566 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाये गये, जिसमें वयस्क पुरूष 403, वयस्क महिला 472, 0 से 1 वर्श के 110, 1 से 4 वर्श के 559, 5 से 8 वर्श के 559, 9 से 14 वर्श के 463 पॉजिटिव पाये गये। वहीं 17 गर्भवती महिलायें पॉजिटिव मिली। इसी प्रकार ऐसे मलेरिया पॉजिटिव जिन्हें रेफर किया गया उनकी संख्या 19 है। अभियान के दौरान 477 घरों में मलेरिया के लार्वा पाये गये। जांच के दौरान 234 लोग टीबी रोग से ग्रसित पाये गये और 181 लोगों के बलगम जांच हेतु लिया गया। मोतियाबिंद सर्वेक्षण के दौरान 730 लोगों को कम दिखायी देने की शिकायत प्राप्त हुई। वहीं 76 लोगों ने दिखायी नहीं देना बताया। जांच के दौरान 414 लोगों ने 6 सप्ताह से अधिक खुजली होने की भी जानकारी दी।

शत-प्रतिशत लक्ष्य पूर्ण, लक्ष्य के अतिरिक्त भी जारी रहेगा मलेरिया जांच - कलेक्टर रघुवंशी

मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की शुरुआत 17 मई से हुई है। जिले में शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया लेकिन लेकिन जिले में यह अभियान अभी चलता रहेगा, लक्ष्य के अतिरिक्त लोगों की मलेरिया जांच की जाएगी। ओरछा ब्लाक के अबूझमाड़ क्षेत्र में जहां घने जंगल और पहाड़ से घिरा क्षेत्र है उस क्षेत्र में हम प्राथमिकता से पहुंच रहे हैं, हमारी टीम जिले के अंतिम व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ पहुचाने कृतसंकल्पित हैं, उन तक पहुँचने घने-जंगलों, उबाड-खाबाड़ रास्तों को पार कर पहुँच रही है। इस अभियान को शत-प्रतिशत पूर्ण करने के लिए कलेक्टर द्वारा दलों का गठन किया गया है। इस प्रकार सभी दलों में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकताओं के साथ मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों की मलेरिया की सघन जांच कर रहे है।

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