कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया: वर्ष 2020 के पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान राष्ट्रीय प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित

Update: 2021-07-16 10:48 GMT

देश के 722 कृषि विज्ञान केन्द्रों में वर्ष 2020 का सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र का पुरस्कार, कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया को प्राप्त हुआ है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा आई.सी.ए.आर. के 93 वें स्थापना दिवस पर छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया को वर्ष 2020 पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान राष्ट्रीय प्रोत्साहन पुरस्कार समारोह में तृतीय स्थान प्राप्त करने पर यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

आई.सी.ए.आर. के 93 वें स्थापना दिवस पर 16 जुलाई 2021 को केन्द्रीय मंत्री कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय राज्यमंत्री (कृषि एवं किसान कल्याण) सुश्री शोभा करंडलजे, एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री (कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण) श्री कैलाश चौधरी, महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, कृषि उत्पादन आयुक्त छ.ग. शासन श्रीमती एम. गीता, इं.गॉ.कृ.वि.वि. रायपुर के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल, कृषि प्रसार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के उपमहानिदेशक डॉ ए.के. सिंह, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जबलपुर के निदेशक डॉ. एस. आर. के. सिंह, कलेक्टर श्री श्याम धावड़े, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री कुणाल दुदावत एवं निदेशक विस्तार सेवाएं इं.गॉ.कृ.वि.वि. रायपुर डॉ. एस.सी. मुखर्जी की गरिमामय उपस्थिति में वर्चुअल माध्यम से कृषि विज्ञान केन्द्र कोेरिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. रंजीत सिंह राजपूत को सर्टिफिकेट, साईटेशन एवं 7 लाख रूपये का चेक प्रदान किया गया। पुरस्कार प्राप्ति पर कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के समस्त वैज्ञानिकों ने संसदीय सचिव एवं बैकुंठपुर विधायक श्रीमती अम्बिका सिंह देव, सविप्रा उपाध्यक्ष एवं भरतपुर-सोनहत विधायक श्री गुलाब कमरो तथा मनेन्द्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल का सदैव मार्गदर्शन व सहयोग प्रदाय करने के लिए धन्यवाद प्रेषित किया।

कलेक्टर श्री श्याम धावड़े ने इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र की पूरी टीम को इस सम्मान पर बधाई एवं इसी तरह बेहतर कार्य करते रहने हेतु प्रोत्साहित किया है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. रंजीत सिंह राजपूत ने बताया कि जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा 55 एकड़ में गौठान ग्रामों में चारागाह विकास कार्यक्रम के अंतर्गत चारा फसलों की उन्नत किस्मों जैसे-नेपियर, बहुवर्षीय ज्वार का प्रार्दश प्रक्षेत्र स्थापित किया गया है। गौठान ग्रामों में नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए 35 एकड़ में हल्दी की उन्नत प्रजातियाँ जैसे-रोमा, बी.एस.आर-2 एवं रश्मि का प्रदर्शन प्रक्षेत्र स्थापित किया गया है।

महात्मा गांधी नरेगा के अनुमेय कार्य पड़त भूमि विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषकों की सामूहिक बाड़ियों का चयन कर 75 एकड़ में ड्रिप पद्धति से फलदार मातृवाटिका तैयार कर अंतरवर्तीय खेती के रुप में सामूहिक बाड़ियों में फसल विविधकरण के अंतर्गत 40-50 एकड़ में पड़त भूमि विकास के अंतर्गत लेमनग्रास, खस, पामारोजा, सिट्रोनेला एवं शकरकन्द इत्यादि का रोपण कर पड़त भूमि की फसल सघनता को 300 प्रतिशत तक आंका गया। बाड़ी विकास कार्यक्रम में सब्जियों की उन्नत प्रजाति सह फलदार पौध रोपण का तकनीकी प्रदर्शन 200 बाड़ियों में क्रियान्वित किया गया। घुरवा प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी कृषक समूह द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया एवं मनरेगा से 100 केचुआ टांका की स्थापना कर केचुआ खाद, वर्मीवाश एवं केचुआ का विक्रय किया जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा गौठान ग्रामों में महिला समूह को गुणवत्ता युक्त केचुआ खाद उत्पादन एवं केचुआ उत्पादन का प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन निरंतर प्रदान किया गया।

दलहन एवं तिलहन फसलों की उन्नत प्रजातियों का कल्स्टर प्रदर्शन कृषि अभियांत्रिकी तकनीक जैसे-कतार बोवाई, जीरो सीड ड्रिल, मल्टीक्राप प्लांटर से बोवाई का प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण किसानों को प्रक्षेत्र पर दिया गया। जिले में मशरुम की विभिन्न प्रजातियों जैसे-पैरा, दुधिया, ऑयस्टर एवं बटन मशरुम का बीज तैयार कर उन्नत मशरुम उत्पादन तकनीक का प्रचार-प्रसार अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के माध्यम से किया गया। जिले में उच्च गुणवत्ता के फलदार पौधे एवं औषधीय फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा कार्यक्रम के अंतर्गत नर्सरी पौध तैयार कर जिले के कृषकों को पौध सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।

कृषकों को संगठित कर किसान उत्पादक संगठन (कोरिया एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड) की स्थापना की गई। ताकि कृषक उत्पादों का संग्रहण कर मूल्यवर्धन एवं प्रसंस्करण द्वारा कृषकों को सीधी एवं अधिक आय प्राप्त हो सके। जिला प्रशासन कोरिया के वित्तीय सहयोग से एवं कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के तकनीकी मार्गदर्शन में किसान उत्पादक संगठन के लिए प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन उत्पादों हेतु दुग्ध प्रसंस्करण, सगंध तेल निष्कासन हेतु भाप आसवन संयंत्र, दाल मिल, राईस मिल, खाद्य तेल मिल, सगंध अगरबत्ती निर्माण मशीन की स्थापना कर 20-25 मानक उत्पाद तैयार कराकर विपणन के लिए खादी इंडिया, ट्राईफेड इंडिया, हस्त शिल्प विकास बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग इत्यादि को उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान उत्पादक संगठन में 573 पंजीकृत कृषक है, किसान उत्पादक संगठन में आदिवासी कृषकों की भागीदारी 72 प्रतिशत है। पिछले वित्तीय वर्ष में किसान उत्पादक संगठन द्वारा 42 लाख रुपये का टर्नओवर किया गया।

हनी मिशन को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी कृषकों का समूह बनाकर मधुमक्खी पालन के साथ-साथ मधुमक्खी पेटी का निर्माण भी करके कृषक अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर रहे है। महिला समूहों की आजीविका उन्नयन हेतु हस्त निर्मित सगंध साबुन व सगंध अगरबत्ती का निर्माण कर विक्रय किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया द्वारा प्रचार-प्रसार के साधनों से निरंतर जिले के कृषकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एवं कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रदाय किये जा रहे हैं। कृषि, उद्यानिकी एवं संबंधित गतिविधियों में नवोन्मेषी कार्य जैसे-सिंदूर हर्बल पावडर, लेमनग्रास चायपत्ती, शकरकंद आटा, हल्दी, नीलगिरी एवं सौंफ की पत्तियों व टहनियों से सगंध तेल निष्कासन एवं गौठान ग्रामों में सौंफ की खेती का प्रदर्शन किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया द्वारा नवीनतम, उन्नत एवं नवोन्मेषी तकनीकियों का प्रचार-प्रसार अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, प्रक्षेत्र परीक्षण एवं प्रशिक्षण के माध्यम से निरंतर दिया जा रहा है।

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