Khusur Fusur: दो दीवाने शहर में, रात में और दोपहर में, आब-ओ-दाना ढूंढते हैं एक आशियाना ढूंढते हैं

Update: 2024-07-05 06:07 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

raipur news कांग्रेसी अब रोड में नजर आने लगी हैं। आएंगे भी क्यों नहीं, जनता ने उन्हें इसी काम में लगा दिया है। लगता है पांच साल में काम ही ऐसा किया है इन्होंने। अब महापौर शारदा चौक तात्यापारा सडक़ चौड़ीकरण के लिए रोड में घूम रहे हैं। उनका कहना है की पिछले 25 सालों से सडक़ चौड़ीकरण लंबित है, जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है व्यापारी भी परेशान हो रहे हैं धंधा चौपट हो रहा है। आम जनता सब समझती है जब प्रदेश में आपकी सरकार थी, तब तो बनवा नहीं सके और अब घडिय़ाली आंसू बहते सडक़ों पर फिर रहे हैं जनता में खुसुर-फुसुर है कि अब कांग्रेस की सरकार नहीं है तो रूतबा भी नहीं है ऐसे में कांग्रेसी एक फिल्मी गाने को गुनगुनाते फिर रहे है दो दीवाना शहर में, रात में और दोपहर में आब ओ दाना ढूंढते हंै एक आशियाना ढूंढते हंै ।

जनता कब होगी परेशानी से मुक्त

chhattisgarh news नगर निगम वाले शहर के मुख्यमार्गो से अवैध कब्जा हटाने के लिए निकलते हैं ताकि आम जनता को परेशानी न हो लेकिन उनके जाते ही जस का तस हो जाता है। दरअसल नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी दफ्तर से निकलने वाले ही होते हैं दूसरी ओर सडक़ों पर कब्जा जमाये लोगों को सूचना पहुंच जाती है और वे आनन-फानन में सब सामान अंदर कर लेते हैं, कुछ बचा उसे निगम वाले जब्त कर इतिश्री कर लेते हैं। उनके जाते ही फिर से कब्जा हो जाता है। उनको मालूम है कि आज निगम वाले आये अब दोबारा एक महीने बाद ही इधर आएंगे, तभी तो लाखेनगर में कपड़ा दुकानदारों ने फिर से डमी पुतलों से सडक़ को सकरी कर आवागमन को प्रभावित करने लगे थे। लेकिन भला हो कमिश्नर अबिनाश मिश्रा का जिन्होंने तुरंत पुन: कार्रवाई कर कब्जाधारियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया और फिर से उन पर कार्रवाई कर बता दिया जनता को किसी भी प्रकार से परेशानी में डालने वालों की खैर नहीं। जनता में खुसुर फुसुर है कि अगर अधिकारी ऐसा ही ध्यान देने लग जाएं तो जनता परेशानी से मुक्त हो जाएगी। लेकिन मुखबिरी करने वालों का धंधा कमिश्नर ने चौपट कर दिया।

पार्षद ही ठेकेदार, सफाई हो गया बंठाढार

पिछले दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण पर महापौर ने बैठक बुलाया था जिसमे पार्षदों के अलावा अधिकारी भी मौजूद थे। सबने एक स्वर में और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने शहर को साफ रखने में जोर दिया। बैठक में सारे जनप्रतिनिधि ढंग से सफाई नहीं होने पर काफी चिंतित दिखे, दूसरे शब्दों में चिंता में दुबले हुए जा रहे थे। सभी पार्षदों ने यह भी तय किया की प्रति सोमवार सीनियर पार्षदों का दल जोनवार सफाई देखने शहर में घूमेगा। लेकिन निगम में नए-नए अपर आयुक्त बने राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने तो मानो इनके दुखती नस में हाथ धर दिया, वे अचानक भरी सभा में सच बात बोल गए कि वार्डो में सफाई कैसे होगी जब सफाई का ठेका खुद पार्षदों ने ले रखा है। सच सामने आते ही सबको सांप सूंघ गया। अगल-बगल देखने लग गए। बात सही भी है जहां सफाई में 50 कर्मचारी लगना चाहिए वहां 20 सफाई कर्मचारी काम करते है और भुगतान पूरा 50 कर्मचारी का लेते हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अधिकारी ऐसा ही होना चाहिए, तब जाकर शहर की स्थिति सुधरेगी, वरना पार्षद ही ठेकेदारी शुरू कर दें तो सफाई भी वैसा ही होगा जैसा वे चाहते हैं न कि जनता। निगम में कमिश्नर अबिनाश मिश्रा भी इन लोगों और अवैध कब्जाधारियों के नाक में दम कर रखे हैं।

पांच साल सिर्फ सडक़ ही नापे

पिछले दिनों उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने पूर्ववर्ती भूपेश सरकार पर आरोप लगाया कि भूपेश सरकार पिछले पंद्रह सालो में बनी सडक़ो को पांच साल में खस्ताहाल बना दिया था।

अगर ठीक से मेंटेनेंस ही कर दिए होते तो ऐसी स्थिति नहीं बनती सडक़ों की। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पिछली सरकार सिर्फ सडक़ नापने में ही लगा दिया, अगर कुछ अच्छा काम करते तो मात्र पांच साल में बाहर कैसे हो जाते। अब फिर सड़क़ से सदन तक की राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा वाले उनके हर हरकतों पर नजर रख रहे है। ताकि वो वही रहे सत्ता से दूर ।

सटोरिये और घूसखोर कहां रहते हैं

जनता के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि छापों की भरमार के बाद भी पकड़े गए सटोरिये और घूसखोर रहते कहां हैं। सजा किसी को नहीं हो रही है। रंगेहाथ पकड़े जाते हैं करोड़ों रूपये जब्त भी होते हैं तब ऐसे लोगों को जेल में रहना चाहिए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सट्टा पर जुआ एक्ट लगता है, जिसका निजी मुचलके पर जमानत का प्रावधान है, यहीं कानून सटोरियों के लिए ब्रम्हास्त्र साबित हो रहा है। सट्टा लिखों करोड़ों का और जमानत में छूटो 5 सौ में ।

बाबाओं के जद में भोली-भाली पब्लिक

बाबाओं ने देश में इस तरह से जाल फैलाया है कि भोली-भाली जनता जो सब दूर से हार जाती है बाबा के शरण में पहुंच जाते है। वहां शोषण भी होता है तो बाबा की कृपा बताते हंै। ताजा मामला हाथरस का जहां भोले बाबा के भक्त चरण रज के चक्कर में 125 लोगों की मौत हो गई उसके बाद भी उनका यह कहना है कि इसमें बाबा का कोई दोष नहीं है, जो होना था वो तो होकर रहेगा। बाबा तो मुर्दे को जिंदा कर देते हंै। जनता में खुसुर-फुसुर है कि देश भर अब अंधश्रद्धा के खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि बाबाओं से मुक्त होकर लोग आत्मविश्वासी बनकर खुद के हौसले बुलंद करें। नहीं तो बाबाओं के चक्कर में लोग यूंही भीड़ में जान गंवाते रहेंगे।

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