Khusur Fusur: तेरे ये जां-निसार-ओ-तलब-गार देख कर, हैरां हूं एक अनार सौ बीमार देखकर

Update: 2024-07-22 05:36 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

raipur news रायपुर दक्षिण के चुनाव एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति हो गई है। बृजमोहन के सांसद चुने जाने के बाद भाजपा नेताओं की भी बांछे खिल गई है। कई तो अभी से अपने आप को विधायक समझने लगे हैं। कुछ तो नया कुर्ता पजामा बना रहे है जिसमें चार की जगह आठ जेबें लगवा रहे हैं । बीजेपी में अचानक छोटे से कार्यकर्ता को बड़ा नेता बना दिया जाता है। ऐसे में स्वाभाविक है हर कोई विधायक बनने के ख्वाब देख रहा है। दूसरी ओर प्रदेश में भाजपा की सरकार है और काम भी ठीकठाक है। इसलिए टिकट मिलना यानी जीत की गारंटी मानी जा रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में भी राजनीति तेज हो गई है। देखा गया है कि दक्षिण विधानसभा में कांग्रेसी जीतने के लिए नहीं बल्कि नोट कमाने के लिए प्रत्याशी बनते थे, ऐसा लोग मानते हैं। लेकिन अब बृजमोहन चुनाव मैदान में नहीं है तो पैसा कौन बांटेगा। ऐसे में कांग्रेस हाई कमान किसी टटपूंजियों को टिकट न देकर किसी खांटी कांग्रेसी को देकर चुनाव को रोचक तो बना ही सकती है? ताकि वो भी कुछ कमाई कर सके, यानी पार्टी फंड दे सके। किसी ने ठीक ही कहा है कि तेरे ये जां-निसार-ओ-तलब-गार देख कर, हैरां हूं एक अनार सौ बीमार देखकर । raipur

chhattisgarh news पुलिस मुख्यालय में भी होंगे फेरबदल

नए डीजीपी की नियुक्ति के बाद पुलिस मुख्यालय में भी बड़े फेरबदल के होने के आसार हैं। नए डीजीपी के लिए अब तक तीन नाम चल रहे थे, लेकिन बाजी अरूणदेव गौतम नेे लगभग मार ली है। राजधानी सहित प्रदेश के कई जिलों में अब अरूणदेव गौतम के खास रहे आईपीएस अधिकारी एसपी बनेंगे ऐसे कयास लगाए जा रहे है। साय सरकार ने आईपीएस अरुण देव गौतम डीजीपी बनाने का मन बना लिया है। वे अशोक जुनेजा का स्थान लेंगे। जुनेजा अगस्त के पहले हफ्ते में रिटायर हो रहे हैं। साय सरकार के आने के बाद पुलिस में शीर्ष स्तर पर यह पहला बदलाव होगा। जुनेजा को भूपेश सरकार ने सेवावृद्धि देकर पद पर बनाए रखा वरना यह फेरबदल पिछली सरकार में ही हो जाता। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोई भी डीजीपी बने प्रदेश अपराध हर हाल में रूकना चाहिए । जनता का कहना है कि पूरे प्रदेश में निजात अभियान चलाने के बाद भी नशाखोरी, हत्या, लूट, चोरी, गोलीबारी की घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली पर पर बट्टा लगा रहे है। अरूणदेव गौतम को सख्त अधिकारी के रूप में जाना जाता है। उन्हें अपराध रोकने में महारत हासिल है इसलिए माना जा रहा है कि सीएम साय का फैसला पुलिस महकमे के प्रतिष्ठा में चार चांद लगाएगा।

टिकरापारा पुलिस का दिन में गश्त

टिकरापारा थाना क्षेत्र अपराधियों का शरणगाह बना हुआ है। पुलिस सख्त तो है वो रात में गश्त करने के बजाय दिन में 112 वाहन में सायरन बजाते हुए फर्राटे मारते घुमते रहती है। 112 का वाहन क्रमांक सीजी 7010 दिन में ओव्हर ब्रिज में यातायात को व्यवस्थित करने के बजाय सायरन बजाते फर्राते इधर से उधर घुमते रहती है। पता नहीं उस वाहन को कौन से पाइंट की ड्यूटी दी गई है जो रिंग रोड में रात के बजाय दिन में गश्त करती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि रात में गश्त का दबाव ज्यादा होने के कारण तनाव कम करने के लिए सायरन बजाते घूमकर यह बताती है कि वह अपनी ड्यूटी में पूरी तरह मुस्तैैद है। भले ही क्षेत्र में रात में चोरी हो जाए उन्हें कोई मतलब नहीं।

टंक राम ने पटवारियों को दिया मंत्र

अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे पटवारियों को राजस्व मंत्री ने ऐसा मंत्र फूंका की वो हड़ताल छोडकर काम में लौट गए । जिसको लेकर पूरे प्रदेश में चर्चा है कि ऐसा क्या कहा टंकराम वर्मा ने जो पटवारियों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि राजस्व मंत्री ने शायद उन्हें यह कहा हो कि आपके हितों का ध्यान रखा जाएगा। जितना आप नक्शा-खसरा में फेरा फेरी करते है, वो आप करते रहे लेकिन हड़ताल मत करो। पटवारियों की सभी मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है जब तक उस पर निर्णय आएगा तब तक आप लोग करोड़ों रूपए कमा लेंगे । इसलिए हड़ताल तुरंत खत्म कर काम पर लौटो, यही मंत्र शायद कारगर साबित हो गया।

चौड़ीकरण का आंसू सुझाव के साथ बह रहे

महापौर एजाज ढेबर की अलग ही राजनीतिक रंग है। जब वो चौड़ीकरण करने में सक्षम थे, तब कुछ नहीं कर पाए. अब सत्ता बदल जाने के बाद और उनकी रवानगी का वक्त भी पास आ गया तब उन्हें शारदा चौक के चौड़ीकरण की याद आ रही है। याद ही नहीं आ रही है बाल्टी भर-भर के आंसू भी बहाते देखे जा रहे हैं। जनता में फुसुर-फुसुर है कि महपौर एजाज ढेबर की पांच सालों में कोई उपलब्धि नहीं है। उपलब्धि तो स्मार्ट सिटी वालों की रही है। जो महापौर से बिना पूछे ही ऐसे ऐसे काम कर दिए जिसको लेकर पूरे पांच साल महापौर और स्मार्ट सिटी में तनातनी रही। यूनीपोल का मामला अब तक नहीं सुलझा कि किसने बिना टेंडर के यूनीपोल लगवा दिया और निगम का करोड़ों हजम कर लिया। महापौर कि गठित जांच कमेटी भी ठंडे बस्ते में कंबल ओढ़े कोंटे में पड़ी है।

कौन से रंग का चश्मा पहनते हैं अधिकारी

मरीन ड्राइव में खाना यानी सेहत को नुकसान होना है ऐसा नगर निगम वाले बता रहे। रविवार को निगम आयुक्त के निर्देश पर तेली बांधा मरीन ड्राइव के दुकानों पर आकस्मिक निरीक्षण किया गया। जिसमें काफी सारी खामियां पाई गई निगम के सूत्रों के मुताबिक यहां के दुकानदारों के पास खाद्य सामग्री बेचने का लाइसेंस नहीं था, न ही गुमाश्ता लाइसेंस लिया गया था, उनके किचन में गंदगी का भरमार था। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मरीन ड्राइव के पास पिछले कई सालों से लग रही है अधिकारियों का वहां रोजाना आना जाना होता तब उनका लाइसेंम और गंदगी नहीं दिखा, इतने दिनों से जनता खराब और बासी खाना खा रही थी। तब ख्याल क्यों नहीं आया। यानी हरियाली वाला चश्मा लगाए थेे।

धड़ाधड़ फैसला ने सबको चौकाया

प्रदेस के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बहबारे में लोग कहा करते थे कि मुख्यमंत्री कडक़ नहीं है, फैसला लेने में देरी करते है। लेकिन कुछ दिनों से उनके फैसले ने बता दिया कि कडक़ मिजाज होना जरूरी नहीं है बल्कि त्वरित फैसला लेना जरूरी है। जनता के हित में त्वरित फैसला लेने वाला ही चाहिए । जनता में खुसुर -फुसुर है कि सीएम साय ने सिर्फ प्राशसनिक फैसला ही त्वरित नहीं लिया बल्कि राजनीतिक फैसला लेकर भी लोगों चौका दिया है। 

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