यूरिन से शुगर Test संभव, जानिए किसने की यह खोज?

Update: 2024-06-10 05:00 GMT

रायपुर। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रायपुर के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर कफील अहमद सिद्दिकी Kafeel Ahmed Siddiqui और उनके पीएचडी छात्र विभव शुक्ला vibhav shukla ने एक महत्वपूर्ण खोज की है। उन्होंने एक क्रांतिकारी टेस्ट स्ट्रिप विकसित की है, जो मानव शरीर में यूरिन के माध्यम से शुगर लेवल की जांच कर सकती है। यह नवाचार ग्लूकोज मॉनिटरिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो रक्त परीक्षण से डरते हैं।

Diabetes पारंपरिक रूप से, ग्लूकोज स्तर को डायबिटीज जैसी बीमारी की जांच के लिए ब्लड सैंपल blood sample लेकर मापा जाता है। हालांकि, उच्च रक्त ग्लूकोज स्तर ग्लाइकोसुरिया का कारण बन सकता है, जहां ग्लूकोज यूरिन में चला जाता है। सामान्यतः, यूरिन में ग्लूकोज स्तर नगण्य या अनुपस्थित होते हैं, लेकिन जब यह मौजूद होता है, तो यह अक्सर डायबिटीज या अन्य मेटाबोलिक समस्याओं को दर्शाता है। उच्च शुगर स्तर या हाइपरग्लाइसीमिया, अगर नियंत्रित नहीं किया गया तो, गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का सामान करना पड़ सकता है, जिससे किडनी, नसें, दिल और रक्त वाहिकाओं सहित अंग प्रभावित हो सकते हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, 2019 में लगभग 463 मिलियन वयस्क डायबिटीज से पीड़ित थे, और यह संख्या 2045 तक 700 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है। डायबिटीज के नियंत्रण और इसकी जटिलताओं को रोकने के लिए नियमित मॉनिटरिंग करना बहुत आवश्यक है।

इसके बावजूद कई लोग, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, रक्त परीक्षण से डरते हैं और गलतफहमियों के शिकार बनते हैं। वे मानते हैं कि एक बूंद खून बनने में एक साल लगता है, जिससे वे शुगर परीक्षण के लिए रक्त देने से बचते हैं। यह नई यूरिन-आधारित टेस्ट स्ट्रिप इस डर को कम कर सकती है, जिससे ग्लूकोज मॉनिटरिंग अधिक सुलभ हो जाएगी। डॉ. सिद्दिकी और उनकी टीम ने अपने अनुसंधान में आयरन डोप्ड जिंक-बेस्ड मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क का उपयोग किया, जिसमें उन्होंने क्रिएटिनिन, क्रिएटिन, यूरिया, ग्लूकोज आदि सहित यूरिन के विभिन्न घटकों का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क जब ग्लूकोज के संपर्क में आता है, तो यूवी लाइट पड़ने पर हरा रंग प्रदर्शित करता है, जबकि अन्य घटक कोई अलग रंग नहीं दिखाते। उन्होंने 80 से 300 एमजी/डीएल की ग्लूकोज सांद्रता का परीक्षण किया और 110 और 150 एमजी/डीएल की सांद्रता पर एक विशिष्ट तीव्रता देखी। यह परीक्षण मॉडल यूरिन और वास्तविक यूरिन दोनों का उपयोग करके किया गया, जिससे ऐसी टेस्ट स्ट्रिप्स का विकास हुआ जो इन ग्लूकोज सांद्रताओं पर एक विशिष्ट रंग परिवर्तन दिखाती हैं।

उन्होंने फ़िल्टर पेपर और डोप्ड जिंक-बेस्ड मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क कम्पोजिट से एक नवाचारी डिटेक्शन स्ट्रिप विकसित की। इस स्ट्रिप ने अल्ट्रा-सेंसिटिव डिटेक्शन क्षमताओं का प्रदर्शन किया, जो विभिन्न ग्लूकोज सांद्रताओं के अनुरूप ध्यान देने योग्य फ्लोरोसेंस परिवर्तन दिखाती है। इसका यह गुण इसे वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के लिए एक व्यावहारिक उपकरण बनाता है।

डॉ. सिद्दिकी ने कहा कि उनका लक्ष्य ऐसी टेस्ट स्ट्रिप्स बनाना है जो सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो, जैसे कि गर्भावस्था परीक्षण स्ट्रिप्स। उनका उद्देश्य यह है कि आम लोग अपने घर में बिना किसी इंजेक्शन या रक्त के अपने शुगर स्तर की सही जांच यूरिन के माध्यम से कर सकें। उनका अब तक किया गया यह शोध कार्य 'मटेरियल्स टुडे केमिस्ट्री' में प्रकाशित हुआ है। कहा जा रहा है कि यह अभूतपूर्व अनुसंधान ग्लूकोज डिटेक्शन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति लाएगा। यूरिन ग्लूकोज मॉनिटरिंग के लिए जिंक-एमओएफ और इसके आयरन-डोप्ड कम्पोजिट का विकास एक नया, कुशल और उपयोगकर्ता-अनुकूल तरीका प्रस्तुत करता है। दुनिया भर में उच्च शुगर स्तर से प्रभावित लाखों लोगों के साथ, यह नवाचार डायबिटीज प्रबंधन और समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए अपार संभावनाएं बनाएगा। नवविकसित एमओएफ-आधारित टेस्ट स्ट्रिप्स ग्लूकोज मॉनिटरिंग के लिए एक मानक उपकरण बनने की क्षमता रखती हैं, विशेष रूप से उन सेटिंग्स में जहां रक्त परीक्षण व्यावहारिक नहीं होतेहैं। अनुसंधान टीम की उन्नत, पर्यावरण-अनुकूल टेस्ट स्ट्रिप्स पर चल रही कार्यवाही भविष्य में और भी सुलभ और विश्वसनीय ग्लूकोज मॉनिटरिंग समाधान प्रदान करने हेतु प्रयासरत है।

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