जगदलपुर। मानव शरीर के सर्वांगीण विकास के लिये आयोडीन एक आवश्यक तत्व है। शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाएं आयोडीन पर निर्भर करती है। आयोडीन की कमी से कई प्रकार की स्वास्थ्य गत समस्याएं होती हैं और बच्चों के विकास पर भी इसका असर पड़ता है। इसलिए जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा 21 से 27 अक्टूबर के बीच वैश्विक आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को सही मात्रा में आयोडीन सेवन की जानकारी देना है।
सीएमएचओ डॉ.आर.के.चतुर्वेदी ने बताया: "जिले में 21 अक्टूबर से शुरू हुए आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण सप्ताह के दौरान आयोडीन युक्त नमक की महत्वता, उपलब्धता व इसके उपभोग को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। आयोडीन मानसिक विकास के लिए, थाइरॉयड का सही तरीके से काम करने और शरीर के सम्पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है। आयोडीन मनुष्यों में शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है।"
उन्होंने बताया: "विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार किशोर और व्यस्कों के लिए रोजाना 150 माइक्रोग्राम, एक से 11 वर्ष के बच्चों के लिए 90-100, एक वर्ष से कम शिशु के लिए 50-90 और गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन 200-220 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। आयोडीन की कमी होने से महिलाओं में गभर्पात का खतरा रहता है। गर्भस्थ शिशु का ठीक ढंग से मानसिक-शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता। आयोडीन की कमी से थायराइड अनियंत्रित हो जाता है। किसी को भी घेंघा रोग हो सकता है।"
21 अक्टूबर से 27 अक्टूबर के मध्य आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण के संबंध में जिला स्तर पर संगोष्ठी एवं कार्यशाला होगा। इसके साथ ही निबंध लेखन एवं अन्य प्रतियोगिताएं होंगी। जिला चिकित्सालयों, सभी स्वास्थ्य केन्द्रों एवं स्कूल में स्वास्थ्य शिक्षा शिविर आयोजित किए जाएंगे। आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण से संबंधित प्रचार सामग्री भी वितरित की जाएगी। इसके अलावा आयोडीन अल्पता से ग्रसित जिलों के मितानिन द्वारा उपलब्ध नमक परीक्षण कीट के माध्यम से ग्राम स्तर पर नमक जांच अभियान चलाया जाएगा। कमजोरी होना, वजन बढ़ना, थकान महसूस होना, त्वचा में रूखापन, बाल झड़ना, दम घुटना, नींद अधिक आना, मासिक धर्म अनियमित होना, हृदय गति धीमी होना, यादाश्त कमजोर होना, चेहरे व गले पर सूजन और मांसपेशियों में जकड़न।
आयोडीन की अधिकता से नुकसान
चाऊमीन, चिली पोटेटो, हाट डाग, बर्गर, फ्राइड राइस, सांबर, नमकीन सहित चटपटा भोजन सेवन के कारण करीब 70 फीसद लोग 250 माइक्रोग्राम तक आयोडीन ले रहे हैं। इससे नींद न आना, मोटापा, पीरियडस अनियमित होना, घबराहट और रक्तचाप के रोगी बढ़ रहे हैं। स्वाद ग्रंथियों भी प्रभावित हो रही हैं।