एलआईसी की 68 वीं वर्षगांठ पर बीमाकर्मियों ने बनाई मानव श्रृंखला

Update: 2024-09-01 10:07 GMT

रायपुर Raipur। रायपुर देश की आजादी के 78 साल की यात्रा में हासिल प्रगति और आत्मनिर्भरता में जो योगदान एल आई सी ने दिया है उससे यह साफ है कि मजबूत एल आई सी मजबूत भारत के लिए जरूरी है । 1 सितंबर को एल आई सी की 68 वीं वर्षगांठ पर बीमाकर्मियों की रायपुर राजधानी के जीवन बीमा मार्ग पंडरी में इस विशाल वित्तीय संस्थान के निजीकरण के केंद्र सरकार के प्रयासों का विरोध करते हुए इसे सार्वजनिक क्षेत्र में बनाये रखने का संकल्प लेते हुए बनाई गई मानव श्रृंखला के बाद साथियों को संबोधित करते हुए सेंट्रल ज़ोन इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के महासचिव का. धर्मराज महापात्र ने उक्त बात कही l उल्लेखनीय है कि भारत में कार्यरत 250 से अधिक निजी बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने 1 सितंबर 1956 को भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना की थी l बीमाकर्मियों के अ. भा. संगठन आल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के आव्हान पर देश भर में 1 से 7 सितंबर तक बीमा कर्मी मानव श्रृंखला, मशाल जुलूस, नुक्कड़ सभा, पर्चा वितरण, सेमिनार व अन्य कार्यवाहियों के माध्यम से आम जनता तक पहुंचकर एल आई सी की उपलब्धियों का प्रचार करेंगे l

chhattisgarh news का. धर्मराज महापात्र ने कहा कि एलआईसी ने वर्ष 2023-24 के लिए भारत सरकार को 3662.17 करोड़ का लाभांश दिया है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। कड़ी प्रतिस्पर्धा, नियामक चुनौतियों और घरेलू बचत में गिरावट के बावजूद, एलआईसी ने एक उल्लेखनीय लाभ दर्ज किया है। तेलंगाना में रितु बंधु जैसी सामाजिक रूप से उन्मुख योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एलआईसी ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को कभी नहीं छोड़ा है। हालांकि आईपीओ के बाद का परिदृश्य एलआईसी के लिए बदल गया है, शेयरधारकों के हितों के साथ अब प्राथमिकता दी जा रही है, सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति इसकी प्रतिबद्धता अपरिवर्तित बनी हुई है l एलआईसी के सभी सहयोगी इस उल्लेखनीय वृद्धि के लिए सराहना के पात्र हैं। सशक्त भारत के लिये सशक्त एल आई सी की अवधारणा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि निर्विवाद रूप से एल आई सी ने अपने 68 वर्षो की यात्रा के दौरान राष्ट्रीयकरण के घोषित लक्ष्यों को पूरा किया है l एक स्वतंत्र व आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में भारत की प्रगति के लिये बुनियादी अधोसंरचना के निर्माण मे एल आई सी का महत्वपूर्ण योगदान है l आज एल आई सी विश्व का नंबर एक बीमा ब्रांड है और उसे विश्व की दूसरी सबसे बडी जीवन बीमा कंपनी का दर्जा प्राप्त है l

भारत में बीमा बाजार को निजी प्रतिस्पर्धियों हेतु खोले जाने के 23 वर्षों बाद भी आज एल आई सी बाजार की नेतृत्वकर्ता बनी हुई है l एल आई सी की कुल परिसंपत्ति का मूल्य 53.59 लाख करोड़ रुपये हो चुका है, जो दुनिया के स्तर पर एक रिकार्ड है l दावा निष्पादन से लेकर ग्राहक सेवा तक के क्षेत्र में इस संस्था ने कीर्तिमान बनाये है l लेकिन उदारीकरण की आर्थिक नीतियों पर चलनेवाली केंद्र की एन डी ए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेशीकरण के रास्ते पर चलते हुए एल आई सी के 3.5% हिस्से को स्टाक मार्केट में सूचीबद्ध कर दिया है l देश भर मे इसका तीव्र विरोध जारी है l आज एल आई सी के सार्वजनिक चरित्र की रक्षा का संघर्ष देश की आम जनता के संघर्ष में परिवर्तित हो चुका है l इसी प्रकार बीमा प्रिमियमो पर 18% की भारी भरकम जी एस टी को पूर्णत: हटाये जाने की मांग भी ए आई आई आई ई ए के देश भर में सघन अभियान से , देश भर से उठी और विगत संसद सत्र में भी इसकी जबर्दस्त गूंज सुनाई दी। भाजपा के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी जी एस टी हटाने की मांग का समर्थन किया l ए आई आई ई e 1 से 7 सितंबर तक देश के कोने कोने में पहुंचकर एल आई सी के हिफाजत के संघर्ष को तेज करेगा l इस अवसर पर संगठन के मंडल महासचिव सुरेंद्र शर्मा, अध्यक्ष राजेश पराते, संदीप सोनी, करण सोनकर, गजेंद्र पटेल, ज्योति पाटिल, अनुसुइया ठाकुर, संध्या भगत, संध्या राज, टी के मिश्रा, के के साहू, ललित वर्मा, ऋषि मिश्रा, डी सी पटेल, सतीश ठाकुर, डी सी मजुमदार, सुखेन साहू, शांति बाई साहू, मंजु मिश्रा, बी के ठाकुर, अतुल देशमुख, दिलीप भगत, मसूद अंसारी, सुनील भारम्भे , सुभाष साहू, ईश्वर सेन, नागेंद्र यादव, मुकेश ठाकुर सहित बडी संख्या में बीमा कर्मी एवं उनके परिजन उपस्थित थे l एल आई सी की।रक्षा तथा बीमा धारकों को बेहतर सेवा के संकल्प के साथ यह कार्यक्रम समाप्त हुआ ।

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