15 से 50 हजार तक होगी आमदनी, जानिए मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के बारे में

Update: 2023-02-22 08:29 GMT
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में निजी भूमि पर व्यावसायिक उद्देश्य से वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना लागू की गई है। इससे राज्य में काष्ठ आधारित उद्योग लगेंगे। वहीं आय के साथ-साथ ग्रामीणों को रोजगार और आजीविका के साधन भी मिलेंगे। इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए वन विभाग से जुड़े अधिकारियों के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में निजी भूमि पर वृक्षारोपण के लिए इच्छुक एवं पात्र हितग्राहियों को 5 एकड़ भूमि में वृक्षारोपण करने के लिए शत् प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसी प्रकार 5 एकड़ से अधिक भूमि होने पर 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। कार्यशाला में यह भी जानकारी दी गई कि वृक्षों से अधिक मात्रा में काष्ठ की पैदावार को सुनिश्चित करने के लिए प्रति एकड़ 1000 एवं अधिकतम 5000 पौधे के रोपण करना उपयुक्त होगा। इससे निजी भूमि पर वृक्षारोपण करने वाले भूमिधारकों को प्रतिवर्ष 15 से 50 हजार रूपए प्रति एकड़ तक की आमदनी होगी।

संस्थाओं को मिलेगा 50 प्रतिशत अनुदान

मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, पंचायते भूमि अनुबंध धारक, गैर शासकीय संस्थाओं को अपने भूमि में रोपण कराने पर 50 प्रतिशत अनुदान की प्राथमिकता होगी। इन संस्थाओं को शेष राशि स्वयं वहन करना होगा। निजी भूमिधारकों, संस्थाएं वृक्षारोपण की तैयारी के लिए दिए जा रहे अनुदान राशि से क्षेत्र तैयारी, गड्डा खुदाई, रोपण निदाई गुडाई आदि करा सकेंगे। वृक्षारोपण उपरांत वृक्षों के काष्ठ विक्रय के लिए निजी भूमिधारकों, शासकीय अथवा निजी संस्थाओं को ट्रायो एग्रीमेंट करना होगा।

इन पौधों का होगा रोपण

योजना अंतर्गत रोपण किये जाने वाले टिशू कल्चर सागौन, चंदन, क्लोनल नीलगिरी, मिलिया डुबिया, टिशू कल्चर बांस व अन्य उपयोगी प्रजाति के पौधों के रोपण किया जाएगा। कार्यशाला में योजना के इच्छुक निजी भूमिधारकों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को योजना के प्रावधानों सहित इस संबंध में उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। कार्यशाला में निजी भूमिधारकों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों से अधिक से अधिक मात्रा में वृक्षारोपण कर इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया गया। कार्यशाला में वृक्षारोपण के लिए इच्छुक भूमिधारकों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपनी उपलब्ध भूमि में वृक्षारोपण किये जाने की इच्छा जतायी।

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