राजनांदगांव में महापौर के इशारे पर टेंडर दबाए बैठे हैं अधिकारी, कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया शहर – किशुन यदु
छग
राजनांदगांव। नगर की बेहाल व्यवस्था को लेकर मोर्चा खोलते हुए विपक्ष के भाजपा पार्षद सोमवार को नगर निगम पालिक के ईई रामटेके के दफ्तर में ही धरने पर बैठ गए। फर्श पर बैठे नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने कहा कि – शासन से मिले करोड़ों रुपए के मद से नगर के वार्डों में मूलभूत कार्य होने हैं लेकिन महिनों से निगम के अधिकारी महापौर के इशारे पर टेंडर दबाए बैठे हैं। विपक्ष के प्रदर्शन के बीच आनन – फानन में सोमवार को टेंडर खोलने की प्रक्रिया पूरी की गई। इस दौरान भी पार्षद जमीन पर ही बैठकर डटे रहे। नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु के साथ पार्षद पारस वर्मा, विजय राय, मणिभास्कर गुप्ता, शरद सिन्हा, गप्पू सोनकर, मधु बेद, रानू जैन,गगन आइच,मोंटू यादव, आशीष डोंगरे, कमलेश बंधे, अरुण साहू, जीवन चतुर्वेदी, अरुण दामले, वरुण भास्कर प्रदर्शन करते हुए विरोध दर्ज कराने डटे रहे। टेंडर खोलने में कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने कहा कि – हम लगातार कई हफ्तों से जमा की गई निविदाओं को खोलने की मांग कर रहे थे। महिनों पहले आए टेंडर को अब तक दबाए रखा गया था। सप्ताह दर सप्ताह तारीखें दी जा रही थी और अधिकारी बहानेबाजी करते रहे। 04 सितंबर को जब विपक्ष का पार्षद दल यहां दोबारा पहुंचा तो वे फिर टालमटोल करने लगे। इस स्थिति में नगर की मूलभूत सुविधाओं के लिए हमने यहां धरने पर बैठने का निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि – महापौर हेमा देशमुख के कार्यकाल में नगर बदहाल हो चुका है। न पानी मिल रहा है और न ही अंधेरे से घिरी सड़कों पर लाईट की व्यवस्था की जा रही है। सड़कों में गड्ढे दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं, आवाजाही में लोगों को मुश्किलें हो रही हैं। लेकिन सारे काम ठप्प हैं। राज्य सरकार से फंड मिलने के बावजूद विकास कार्यों के मामले में शहर पिछड़ता जा रहा है। और इसके पीछे की वजह है भ्रष्टाचार और मद की राशि में कमीशन की बंदरबांट। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि – महापौर और आयुक्त के इशारे पर ही टेंडरों को रोके रखा गया। विकास कार्यों के लिए स्वीकृत लाखों की राशि में कमीशन की बोली लगती रही। ठेकेदारों और जिम्मेदारों के बीच इसे लेकर चल रही खींचतान का खामियाजा शहर को भुगतना पड़ रहा है। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी निगम की कांग्रेसी सत्ता और उसके संरक्षण में फल-फूल रहे अधिकारियों ने संस्कारधानी से विश्वासघात किया है। लापरवाही का आलम इस हद तक हावी है कि अरबों के अमृत मिशन योजना के बावजूद बारिश में शहर प्यासा रहने मजबूर है। मूलभूत सुविधाओं के लिए नागरिकों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि – सत्ता चेत जाए वरना आम जनता सड़क पर आएगी और जब ऐसा होगा तो जिम्मेदारों के मुंह छिपाने के लिए किसी की आड़ नहीं मिलेगी।