बस्तर के आइइडी ब्लास्ट 1990 से ही रहा है नक्सलियों का बड़ा हथियार, बदलते रहे हैं रणनीति

नारायणपुर में जवानों की बस को ब्लास्ट से उड़ाने से पहले कई बार इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं।

Update: 2021-03-24 17:52 GMT

छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों का सबसे बड़ा हथियार आइइडी ब्लास्ट ही रहा है। 80 के दशक में बस्तर के जंगलों में पनाह लेने के बाद नक्सलियों ने शुरू में तो आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार का नारा दिया और वन विभाग के कर्मचारियों की पिटाई, तेंदूपत्ता गोदामों में आगजनी जैसी वारदातों को अंजाम दिया। बाद में हालात बदले तो उन्होंने आमने-सामने की लड़ाई की बजाय विस्फोट को ही अपना मुख्य हथियार बनाया। 2004 में माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर व पीपुल्स वार ग्रुप के विलय के समय नक्सलियों ने जो दस्तावेज जारी किया था उसमें आमने-सामने की लड़ाई शुरू करने का आह्वान किया गया था, लेकिन इसके बाद भी वो छिपकर ब्लास्ट करने में ही लगे हैं।

ताड़मेटला में उन्होंने फोर्स को घेरकर गोली चलाई, जिसमें 75 जवान मारे गए। हालांकि इस घटना के दौरान भी उन्होंने सड़क पर आइइडी लगा रखा था। जवानों का संदेश सुनकर चिंतलनर से उनके लिए पानी लेकर एक बख्तरबंद गाड़ी जैसे ही मौके पर पहुंची उन्होंने विस्फोट कर दिया, जिससे जिला बल का एक जवान मारा गया था। झीरम में कांग्रेस काफिले पर गोलीबारी से पहले उन्होंने एक ब्लास्ट किया जिसमें एक गाड़ी उड़ गई थी। नक्सली जहां भी एंबुश लगाते हैं आइइडी भी जरूर लगाते हैं। सूचना तो यह है कि उन्हें आइइडी लगाने की ट्रेनिंग लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम के आतंकियों ने बस्तर के जंगलों में आकर दी थी।

मंगलवार को नारायणपुर में जवानों की बस को ब्लास्ट से उड़ाने से पहले कई बार इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। नक्सलियों ने बस्तर में पहला ब्लास्ट बीजापुर के तर्रेम इलाके में 1990 में किया था। इसके बाद से वह लगातार विस्फोट कर रहे हैं। 1993 में एक नारायणपुर जिले में एक नक्सल वारदात के बाद एक डीएसपी जवानों को लेकर मौके पर पहुंच गए थे। नक्सलियों ने विस्फोटक लगा रखा था। इस घटना में 25 लोग मारे गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव के मतदान से एक दिन पहले उन्होंने दंतेवाड़ा के श्यामिगिरी में ब्लास्ट किया था, जिसमें दंतेवाड़ा के विधायक भीमा मंडावी और उनके चार सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। 14 मार्च 2018 को सुकमा जिले के किस्टारम इलाके में सीआरपीएफ के वाहन को ब्लास्ट से उड़ाया जिसमें नौ जवान शहीद हुए थे।
माइन प्रोटेक्टेड गाड़ी भी उड़ा चुके हैं
लगातार हो रही विस्फोट की घटनाओं के बाद फोर्स को माइन प्रोटेक्टेड गाडि़यां उपलब्ध कराई गई। 2007 में उन्होंने बीजापुर के पोंजर में सौ किलो बारूद लगाकर एक माइन प्रोटेक्टेड वाहन को भी उड़ा दिया। इस घटना में सीआरपीएफ के 17 जवान मारे गए थे। सलवा जुड़ूम के दौर में उन्होंने सुकमा जिले के दरभागुड़ा में ग्रामीणों से भरी एक ट्रक को उड़ा दिया था जिसमें 25 लोग मारे गए थे। 2010 में सुकमा जिले कोर्रा के पास मुख्य मार्ग पर एक बस को उड़ा दिया था। बस में आम लोगों के साथ ही जवान भी सवार थे। इस घटना में 30 लोग मारे गए थे।
बस्तर के आइजी सुंदरराज पी ने कहा, 'आइइडी का पता करने में अब फोर्स सफल हो रही है। नारायणपुर में आइइडी डिटेक्ट करने में चूक हुई। शायद नक्सली कोई नई तकनीक अपना रहे हैं। हम हालात के मुताबिक रणनीति तय करेंगे।'


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