कोरोना के खौफ से मरी मानवता, मौत के बाद दर्जनों लाशें छोड़ गए परिजन

जिला प्रशासन ने लाशों को लावारिस मानकर दाह संस्कार किया।

Update: 2021-05-15 17:39 GMT

कोरोना संक्रमण से मौत का खौफ इतना है कि मौत के बाद अपने भी मुंह फेर लेते हैं। मरने वाले को अपनों का कफन और दो गज जमीन भी नसीब नहीं हाे रही। कोरोना संक्रमित के बाद परिजन लाश छोड़कर नदारद हो जा रहे हैं। भरा-पूरा परिवार होने के बाद मरच्यूरी में लावारिस की तरह लाशें सड़ रहीं हैं। यह हाल सिर्फ रायपुर का नहीं बल्कि राज्यभर का है जहां दर्जनों लाशों को वारिस नहीं मिले। मानवता को झकझोर देने वाला कृत्य सिर्फ बुजुर्गों के साथ नहीं बल्कि युवाओं के साथ भी हाे रहा है। संक्रमण से मौत के बाद परिजन लाश को गांव नहीं ले गए। मौत के बाद मरच्यूरी में हफ्तों तक लाशें पड़ी रहीं और बाद में पुलिस, नगर निगम और जिला प्रशासन ने लाशों को लावारिस मानकर दाह संस्कार किया।

प्रशासन ने कराया दाह संस्कार जानकारी के मुताबिक रायपुर के अलावा बिलासपुर और दुर्ग समेत राज्यभर के अन्य जिलों में करीब 37 लाशें ऐसी मिलीं जिनकी कोरोना से मौत हो गई। इसके बाद उनके परिजन लाश छोड़ फरार हो गए। कई दिनों तक मरच्यूरी में लाशें पड़ी रहीं। परिजनों की तलाश के बाद थक-हारकर नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा इन लाशों का मुक्तिधाम में दाह संस्कार किया गया। नाम, पता और मोबाइल नंबर गलत जानकारी के मुताबिक कोराेना संक्रमित मरीज को एडमिट कराते समय परिजनों ने जो नाम, पते और मोबाइल नंबर दिए थे अधिकांश गलत थे। मरीज की मौत के बाद प्रशासन ने परिजनों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन मृतक के परिजनों का ठिकाना ही नहीं मिला। महीनेभर पड़ी रहीं लाशें गौरतलब है कि कोरोना से मौत के बाद 9 मृतकों के परिजन लाश छोड़ भाग गए थे। महीनेभर आंबेडकर अस्पताल की मरच्यूरी में लाशें पड़ी रहीं। दाह संस्कार करने परिजनों के आगे नहीं आने पर नगर निगम प्रशासन ने सभी लाशों का देवेंद्रनगर मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया था।


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