- पिरदा हाउसिंग बोर्ड कालोनी बना अंधेरों का शहर जहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा
- कचना हाउसिंग बोर्ड कालोनी का भी बुरा हाल ,जहां किराएदार भी नहीं मिलते
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। बिजली कंपनी और हाउसिंग बोर्ड में तालमेल नहीं होने का खामियाजा पिरदा के रहवासियों को भुगतना पड़ रहा है। बिजली सरप्सल वाले राज्य में हाउसिंग बोर्र्ड की मनमानी के चलते बिजली कंपनी ने पिरदा की बिजली बंद कर दी है। वहीं कचना हाउसिंग बोर्ड कालोनी का है जहां मकान खरीदने वाले तो अव्यवस्था को लकेर त्रस्त होकर किराए पर देना चाहते है लेकिन किराएदार भी नहीं मिल रहे है। हाउसिंग बोर्ड कालोनी पिरदा के रहवासियों ने जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि को बताया कि विगत कई महीनों से हाउसिंग बोर्ड के अधिकारीयों ने बिजली का बिल नहीं पटाया नतीजन सीएसईबी को स्ट्रीट लाइट की बिजली भी काट दी और पूरे कालोनी में अंधेरा छाया हुआ है। इस सम्बन्ध में हाउसिंग बोर्ड के एक अधिकारी से चर्चा करने पर उन्होंने जानकारी दी कि डोर टू डोर कलेक्शन कर रहे हैं जैसे ही कलेक्शन हो जायेगा बिजली का बिल अदा कर लाइन फिर से जुड़वा लिया जायेगा। लेकिन कब तक भुगतान होगा इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। कालोनीवासियों के अंधेरे में ही रहने मजबूर होना पड़ेगा। हाऊसिंग बोर्ड के अधिकारी सिर्फ अपनी जेबें भरने के चलते प्रोजेक्ट लेकर आते हैं। उन्हें शासन और जनता की पसीने की कमाई के पैसे से कोई सरोकार नहीं है।
सुविधा और क्वालिटी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए एक ही साल में बोर्ड द्वारा बनाये गए मकानों की हालत खस्ता हो जाती है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल राजधानी सहित प्रदेश भर में मकान और दुकानें तो बना रहा है, लोगों का मानना है कि क्वालिटी सही होने के कारण लेकिन उन्हें बेचना मुश्किल हो रहा है। रायपुर सहित छत्तीसगढ़ में हजारों मकान और दुकान ऐसी हैं, जिनकी बुकिंग नहीं हुई है। बिना बुकिंग मकान बनाना सिर्फ पैसे की बर्बादी है,जिसे बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी समझने को तैयार नहीं हैं। कम से कम जो कालोनी है उसी का मेंटेनेंस ही सही तरीके से करें। प्राइम लोकेशन की जमीन पर बनाएं मकान जिस प्रकार प्राइवेट बिल्डर शहर की प्राइम लोकेशन पर मकान बनाकर बेचते हैं वैसा ही हाउसिंग बोर्ड को भी चाहिए मुख्य मार्ग से लगी हुई भूमि पर मकान बनाकर बेचे लोग हाथों हाथ खरीदने तैयार रहते हैं। सरकार की काफी जमींन है जिस पर अवैध कब्जेधारियों की नजऱ रहती है ऐसे जगहों का चयन करना चाहिए। लोकेशन सही नहीं होने के कारण बोर्ड को जगह जगह स्टाल लगाकर मकान बेचने की कवायद करना पड़ता है। कई कालोनिया ऐसी है जो आज तक आबाद नहीं हो पाया है। बोर्ड द्वारा बनाये जा रहे मकानों की लोकेशन सही नहीं होने के कारण ग्राहक आसानी से मिल नहीं पाते और मकान कई साल तक नहीं बिकने और गुणवत्ता सही नहीं होने के कारण लोग दरवाजे खिड़कियां तक निकालकर ले जाते हैं। वहीं लोकेशन का सही चयन नहीं होने के कारण इन मकानों में रहने के लिए किराएदार नहीं मिल रहे हैं। पूरे छत्तीसगढ़ में हजारों मकान खाली पड़े हैं। कोई खरीदार नहीं मिल रहे हैं बिना बुकिंग मकान बनाना भी एक कारण है।
कायदे से देखा जाये तो हाउसिंग बोर्ड में इतनी बड़ी संख्या में मकान खाली नहीं होने चाहिए। क्योंकि हाउसिंग बोर्ड में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत बुकिंग की जाती है फिर निर्माण शुरू होता है। लेकिन अभी बिना बुकिंग किये मकान बना दिए गए हैं जिसे बेचने के लिए बोर्ड के अधिकारियों को पसीने छूट रहे हैं। आम तौर पर किसी भी स्कीम की 90 फीसदी मकान की बुकिंग होने पर ही निर्माण कार्य प्रारम्भ होना चाहिए लेकिन अपने निजी फायदे के लिए नियम कायदों को ध्यान में नहीं रखते और कंस्ट्रक्शन प्रारम्भ करवा देते हैं। सरकार के अरबो रूपये फंसा देने में कोई गुरेज करते। मजबूरन मकानों व दुकानों को बेचने के लिए अभियान चलना पड़ता है। लोगों ने यह भी कहा कि हाउसिंग बोर्ड की सबसे बड़ी कमजोरी है लोकेशन और क्वालिटी। अधिकतर खरीदारों ने हाऊसिंग बोर्ड का मकान नहीं खरीदने को एक सबसे बड़ा कारण मानते हैं। आज लोग था़ेडा-सा अधिक पैसा लगाकर अच्छे लोकेशन में क्वालिटी हाउसिंग लेना चाहते हैं। सुविधा के नाम पर भी हाउसिंग बोर्ड को ध्यान देना चाहिए।