पूर्व सरपंच की गिरफ्तारी को लेकर हाईकोर्ट ने दिया बड़ा बयान

छग

Update: 2024-03-19 17:16 GMT
रायपुर। पूर्व सरपंच की गिरफ्तारी वारंट आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. वहीं आदेश जारी करने वाले तत्कालीन एसडीओ को चेतावनी देते हुए कहा, भविष्य में इस तरह की पुनरावृति करने पर राज्य सरकार को उनके विरुद्ध विभागीय जांच चलाने का आदेश दिया है. बता दें कि याचिकाकर्ता सुशील जोशी की नियुक्ति सरपंच पद पर वर्ष 2015 में चुनाव जीतने के बाद ग्राम पंचायत मुर्रा में हुई. उसके बाद 2020 जनवरी में उनका सरपंच के पद का कार्यकाल समाप्त हो गया और वह जिला पंचायत बेमेतरा की सदस्य चुनी गई. उन्होंने नवनिर्वाचित दूसरे सरपंच को अपना चार्ज हैंडओवर कर दिया.13 मई 2020 को तत्कालीन विधायक के दौरे के दौरान उन्होंने एसडीओ को निर्देश दिया कि दौरे के दौरान उन्हें चार ग्राम पंचायत के संदर्भ में शिकायतें मिली है, जिसकी जांच कर तीन दिवस के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें. उसके अगले ही दिन एसडीओ नवागढ़ ने ग्राम पंचायत मुर्रा के सरपंच के खिलाफ बिना किसी धारा या लीगल प्रावधान के केस रजिस्टर कर ग्राम पंचायत मुर्रा के पिछले 5 वर्षों के कार्यों की जांच का आदेश दिया और सरपंच को नोटिस जारी किया. इस संदर्भ में पूर्व सरपंच ने अपना जवाब भी प्रस्तुत कर दिया. इसके बाद केवल पेशियां बढ़ती रही और 10 जनवरी 2024 को एसडीओ के अवेलेबल नहीं होने के कारण अगली तारीख 7 फरवरी 2024 निर्धारित की गई, परंतु 31 जनवरी 2024 को मामले को पूर्व डेट में लगाते हुए तत्कालीन एसडीओ ने याचिकाकर्ता पूर्व सरपंच सुशील जोशी के उपस्थित नहीं होने के कारण उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया.
इस मामले के विरूद्ध सुशीला साहू ने प्रतीक शर्मा अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की, जिसमें चलाए जा रहे सभी कार्यवाही एवं गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के आदेश को चुनौती दी. इसकी पहली सुनवाई में ही छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाते हुए एसडीओ नवागढ़ को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष 14 मार्चा 24 को उपस्थित होने का आदेश दिया. 14 मार्च को एसडीओ नवगढ़ हाईकोर्ट में उपस्थित हुए और उन्होंने न्यायालय को बताया कि वो अभी नए आए हैं और उन्होंने गिरफ्तारी वारंट के आदेश को कैंसिल कर दिया है. इसके पश्चात याचिकाकर्ता की बहस पर कि दुर्भावना पूर्वक याचिकाकर्ता के खिलाफ केस चलाया जा रहा है और पूर्व विधायक द्वारा कोई भी डिटेल आरोप नहीं लगाने के बावजूद केवल ग्राम पंचायत मुर्रा के सरपंच के 5 वर्षों की जांच को आधार बनाकर बिना किसी धारा बिना किसी प्रावधान के आवेदिका के विरुद्ध केस चलाया जा रहा है. दुर्भावना पूर्वक गिरफ्तारी वारंटी जारी किया गया है. इसके चलते सभी प्रोसीडिंग्स और गिरफ्तारी वारंट के आदेश को रद्द किया जाए. इसे स्वीकार करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राकेश पांडेय ने याचिकाकर्ता के गिरफ्तारी आदेश को निरस्त किया और संपूर्ण कार्यवाही जो याचिकाकर्ता के खिलाफ चलाई जा रही थी उसे भी निरस्त कर दिया. साथ ही गिरफ्तारी का आदेश पारित करने वाले तत्कालीन एसडीओ को चेतावनी देते हुए भविष्य में पुनरावृति करने पर राज्य सरकार को उनके विरुद्ध विभागीय जांच चलाने का आदेश दिया है.
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