छग हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, जब सास सरकारी सेवा में हो तब भी बहू को अनुकंपा नियुक्ति देने से नहीं कर सकते वंचित

Update: 2021-09-24 06:46 GMT

बिलासपुर। छग उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में कहा है कि यदि किसी शासकीय सेवक महिला के बेटे की मृत्यु होती है, तब उसकी बहू को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता बस्तर की मुनिया मुखर्जी के पति पीएचई में तृतीय वर्ग कर्मचारी थे। 30 अगस्त 2020 को उनकी मौत हो गई। याचिकाकर्ता ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विभाग में आवेदन लगाया लेकिन उसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि मृतक की मां मीना मुखर्जी शिक्षक के रूप में शासकीय सेवा में है, इसलिए उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा सकती। यह भी बताया गया कि नियुक्ति के नियमों में राज्य शासन ने वर्ष 2013 में आवश्यक संशोधन कर यह व्यवस्था की है।

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया कि परिवार में पति-पत्नी और बच्चे सदस्य होते हैं। पति की मौत के बाद सास को उसके परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता, न ही बहू और बच्चों को उन पर आश्रित रहने के लिए कहा जा सकता है। हाई कोर्ट ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए राज्य शासन को निर्देश दिया है याचिकाकर्ता मुनिया मुखर्जी के आवेदन को खारिज न कर उनकी नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।


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