दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में रेल विद्युतीकरण के स्वर्णिम अध्याय का विस्तार
छग
Bilaspur. बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अपने विद्युतीकरण अभियान में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। रेलवे क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता और हरित परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अब तक 6900.93 ट्रैक किलोमीटर (TKM) का विद्युतीकरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, जो 1 अप्रैल 2003 को अस्तित्व में आया, ने अपने गठन के बाद से ही रेलवे संरचना को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल बनाने पर विशेष ध्यान दिया है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न मंडलों – बिलासपुर, रायपुर और नागपुर – में तीव्र गति से विद्युतीकरण कार्य हुए हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में पहली बार झारसुगुड़ा-रायगढ़ खंड में 19 जनवरी 1970 को विद्युतीकरण शुरू किया गया था।
महत्वपूर्ण विद्युतीकरण परियोजनाएं:
बिलासपुर – अनुपपुर – कटनी खंड (1992-95)
गोंदिया – बल्लारशाह (2017-18)
रायपुर – नया रायपुर (2019-23)
भानुप्रतापपुर – अंतागढ़ – तरोकी (2024-25)
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे भारतीय रेलवे का पहला ऐसा क्षेत्र है जिसने 2x25 kV AT-AEC-BEC ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम को सफलतापूर्वक लागू किया। यह प्रणाली 14 दिसंबर 2024 को भानुप्रतापपुर – अंतागढ़ खंड में शुरू की गई। इसके अतिरिक्त, पहली बार 3-फेज इलेक्ट्रिक लोको ट्विन EF-12K को 26 नवंबर 2023 को भिलाई में चालू किया गया। विद्युतीकरण के चलते 2023-24 में विद्युत ऊर्जा की खपत 1859.19 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हुई और रेलवे परिचालन अधिक कुशल हुआ। इसके अलावा, नई विद्युतीकृत लाइनों से कोयला, लोहा और अन्य माल परिवहन में तेजी आई।
जिससे औद्योगिक उत्पादन को बल मिला। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे निकट भविष्य में नए रेल खंडों के विद्युतीकरण के साथ-साथ हरित ऊर्जा संसाधनों के समावेश की दिशा में भी कार्य कर रहा है। भारतीय रेलवे की 100 वर्ष की विद्युत रेल यात्रा के उपलक्ष्य में, 3 फरवरी 2025 को भानुप्रतापपुर – अंतागढ़ खंड में पहली 3-फेज इलेक्ट्रिक लोको ट्रेन चलाई जाएगी। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का यह विद्युतीकरण मिशन भारतीय रेलवे को ‘शून्य कार्बन उत्सर्जन’ की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिससे राष्ट्र की आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को नया आयाम मिलेगा।