रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप 28 जुलाई को ''हरेली-तिहार'' सभी शासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में विशेष रूप से मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य में हरेली त्यौहार को परंपरागत रूप से मनाए जाने के संबंध में सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. एस. भारतीदासन ने सभी कलेक्टरों एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि 7 जुलाई को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में हरेली पर्व को राज्य में परंपरागत ढंग से मनाने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई थी। मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी स्कूलों में हरेली पर्व के अवसर पर विद्यार्थियों के मध्य गेड़ी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन करने के निर्देश दिए थे।
सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. एस. भारतीदासन द्वारा जारी निर्देश के तहत सभी प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक, हाई स्कूल तथा हायर सेकेण्डरी स्कूलों, आश्रम शालाओं एवं छात्रावासों आदि में स्थानीय जनप्रतिनिधि, शाला प्रबंधन समिति, स्थानीय कला एवं संगीत मंडलियों की सहायता से हरेली त्यौहार का विशेष आयोजन होगा। विद्यार्थियों के मध्य 'गेड़ी नृत्य प्रतियोगिता' होगी। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को विशेष तौर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले प्रगतिशील कृषक प्रतिनिधियों के हाथों पुरस्कृत कर प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
स्कूल शिक्षा सचिव द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधताओं और गौरवशाली परंपराओं को संरक्षित एवं संवर्धित करने की दिशा में राज्य शासन निरंतर प्रयत्नशील है। इसी श्रृंखला में विगत वर्षों से राज्य की कृषि संस्कृति के प्रमुख त्यौहार 'हरेली' को प्रमुखता के साथ पूरे राज्य में मनाया जा रहा है। 'हरेली त्यौहार' को उत्साह से मनाने और इसमें लोगों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य शासन द्वारा शासकीय अवकाश भी घोषित किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से अक्षय तृतीया 3 मई 2022 से माटी पूजन महाअभियान की शुरूआत भी की गई थी। स्कूलों में किचन गार्डन विकसित करने के संबंध में संचालक लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा पूर्व में ही विस्तृत निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को हरेली के दिन जिला स्तर एवं विकासखण्ड मुख्यालयों में कृषि तथा वन विभाग के सहयोग से 'पर्यावरण संरक्षण और हरेली की महत्ता' पर केन्द्रित संगोष्ठी का आयोजन करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इस अवसर पर कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले उन्नत कृषकों, प्रयोगधर्मी कृषकों को विशेष तौर पर सम्मानित किया जाएगा। जारी निर्देश में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा द्वारा विद्यालयों में स्थानीय संसाधन से प्राकृतिक बाउण्ड्रीवाल तैयार किए जाने के निर्देश दिए गए थे। इस अनुक्रम में हरेली के दिन ऐसे विद्यालय जहां बाउण्ड्रीवाल नहीं है, उन विद्यालयों की चौहद्दी के किनारे प्राकृतिक बाउण्ड्रीवाल तैयार करने के लिए वृक्षारोपण करने का विशेष अभियान भी संचालित किया जाए। इसके अतिरिक्त विद्यालय परिसर में फलदार-छायादार पौधे भी लगाने और उसकी सुरक्षा एवं देख-भाल के लिए गोद लेने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए।