CG: 500 करोड़ के जमीन फर्जीवाड़े को लेकर अपर कलेक्टर को मिली क्लीन चिट

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Update: 2024-12-02 19:04 GMT
Raipur. रायपुर। मंत्रालय के अफसरों ने फाइल नस्तीबद्ध करने का आदेश निकाला है, उसमें लिखा है कि विभागीय जांच अधिकारी ने 2020 में रिपोर्ट सौंपी थी, उसका परीक्षण किया गया और केस को समाप्त किया जाता है। आदेश में इसका कोई जिक्र नहीं है कि जांच अधिकारी याने बिलासपुर संभागीय कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट में अफसर को बरी किया है या दोषी ठहराया है। मंत्रालय के अफसरों ने चार साल से पड़ी विभागीय जांच रिपोर्ट को क्लोज करते हुए 20 नवंबर 2024 को फाइल नस्तीबद्ध करने का आदेश निकाल दिया।
आदेश
हैरान करने वाला है क्योंकि उसमें अफसर के खिलाफ आरोप क्या था, इसका भी जिक्र नहीं है। बता दें, 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल रायगढ़ में एसडीएम थे, उस समय एनटीपीसी के लारा प्रोजेक्ट के लिए भूअर्जन चल रहा था। उसमें इतना बड़ा खेल हुआ था कि तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल भी हिल गए थे। उन्होंने नाराज होकर इसकी जांच कराई और 1300 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी। कलेक्टर ने एसपी राहुल भगत से बात कर पुलिस में मुकदमा भी दर्ज कराया था।


कलेक्टर की रिपोर्ट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह ने एसडीएम को सस्पेंड कर दिया था। वे करीब पौने दो साल सस्पेंड रहे। 2016 में उन्हें बहाल किया गया। यह घोटाला 2014 का है। देश की सबसे बड़ी सरकारी पावर कंपनी एनटीपीसी ने रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखंड में अपना प्लांट लगाने का प्रॉसेज प्रारंभ किया था। भूअर्जन में किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए 6 जुलाई 2012 को उस वक्त के तत्कालीन एसडीएम ने अधिसूचना जारी कर प्लांट लगने वाली जगह में से ग्राम बघनपुर, घनागार,और कोड़ातराई की जमीन की खरीदी बिक्री तथा खाता बंटवारे पर रोक लगाई थी। पर आरोप है कि ट्रांसफर पर आए नए एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल ने जमीनों की
खरीदी
, बिक्री के साथ ही खातों के बंटवारे पर लगी रोक चुपके से हटा दी। इसके बाद रायगढ़ के सफेदपोश लोगों ने किसानों से कौड़ियों के मोल जमीनें खरीद ली और उसे टुकड़ों में बांट एनटीपीसी को टिका दिया। ज्ञातव्य है, भूअर्जन नियम के अनुसार छोटे टुकड़ों का रेट कई गुना ज्यादा मिलता है, इसलिए एनटीपीसी के आंकलन से मुआवजा 500 करोड़ ज्यादा चला गया। इस पर हड़कंप मचा। एनटीपीसी का दिल्ली हेडक्वार्टर भी स्तब्ध था। भारत सरकार से इसकी शिकायत की गई। साथ कलेक्टर रायगढ़ की नोटिस में यह बात लाई गई। रायगढ़ कलेक्टर मुकेश बंसल ने इसकी जांच कराई तो वे चकित रह गए। नियम कायदों को धता बताते हुए बड़ी अफरातफरी की गई थी।
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