छग के रास्ते दूसरे राज्यों में पहुंच रहा गांजा

Update: 2022-03-21 05:25 GMT
  1. पुलिस की निगरानी, खुफिया तंत्र और मुखबिरों को और फैलाने की जरूरत
  2. राजधानी में रवि-आसिफ गैंग पर कब कसेगा शिकंजा - छग में नशे के कारोबार का मुख्य सरगना रवि और आसिफ हैं। इनके ही गैंग के माध्यम से गांजे की तस्करी से ले कर मादक पदार्थों की सप्लाई प्रदेश के पूरे इलाके में होती है। आखिर इनके ऊपर अधिकारी कब शिकंजा कसेंगे। रवि साहू और आसिफ पुलिस की कार्रवाई से बेखौफ हैं। छुटभैय्ये नेताओं से नजदीकी के कारण पुलिस कार्रवाई करन से बचती है।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस नशा तस्करों के खिलाफ जबर्दस्त एक्शन मोड में है। पिछले दस महीने में ही पुलिस ने इतना गांजा पकड़ा है जितना उसने दस सालों में नहीं पकड़ा है। पिछले छ महीने के दौरान गांजा और ड्रग तस्करों पर प्रदेश भर में कई बड़ी कार्रवाई हुई जिसमें गांजे के बड़ी-बड़ी खेप पकड़ी गई है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर तस्करों की धरपकड़ कर रही है बावजूद तस्करी बंद नहीं हो रही है। पुलिस जितनी कार्रवाई करती है उतने ही तस्कर और बड़ी खेप लेकर छग के रास्ते दिगर राज्यों में गांजा तस्करी कर रहे हैं। ओडि़शा और आंध्रप्रदेश से जुड़े होने के कारण उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में छत्तीसगढ़ के रास्ते से ही गांजे की तस्करी होती है। दिल्ली, मुंबई सहित तमाम बड़े शहरों और कई राज्यों में पकड़े तस्करों ने छत्तीसगढ़ और रायपुर होकर गांजे की खेप लाना स्वीकार कर चुके हैं। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में भी गांजे और दूसरे ड्रग का धंधा बड़े पैमाने पर होता है जिसमें लोकल के साथ अंतर्राज्यीय तस्कर संलिप्त हैं। राज्य में गांजे का कारोबार और तस्करी को लेकर मुख्यमंत्री ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिसके बाद पुलिस ने सीमाई जिलों में निगरानी तेज कर दी थी जिसके बाद तस्कर आए दिन पुलिस के जाल में फंस रहे हैें। अब पुलिस ने जिलों में नारकोटिक्स सेल का गठन किया है जिसके बाद कार्रवाई में और तेजी आई है। पुलिस तस्करों को पकडऩे में बड़ी मेहनत कर रही है। इसका नतीजे भी सामने आ रहे है और तकरीबन हर रोज तस्कर पकड़े जा रहे हैं और उनसे करोड़ों का गांजा भी बरामद हो रहा है।

सीमा पर चौकसी में पोल

मुख्यमंत्री ने गांजे की तस्करी रोकने सीमावर्ती इलाकों में सीसीटीवी कैमरा लगाकर चोकसी बढ़ाने और तस्करों को सीमा पर ही पकडऩे के निर्देश दिए थे। बावजूद तस्कर सीमा पार करके छग के रास्ते होकर अन्य प्रदेशों और शहरों में गांजे की बड़ी-बड़ी खेप ले जाने में कामयाब हो रहे हैं। मुखबीरों से मिली सूचना के आधार पर कुछ तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़ रहे हैं लेकिन आम तौर पर पुलिस सीमा पर तस्करों को पकडऩे में फिसड्डी साबित हो रही है। इसका मतलब साफ है कि पुलिस की निगरानी और खुफिया तंत्र विफल हो रहा है। शहरों में भी तस्करों को पकडऩे चौक-चौराहे पर सीसीटीवी लगाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शायद तभी तस्कर बड़ी खेप लेकर राजधानी और दूसरे प्रमुख शहरों से होकर भी अपनी मंजिल तक पहुंचने में कामयाब हो रहे हैं। पुलिस को अपनी निगरानी और खुफिया तंत्र को और मजबूत करने होंगे तभी गांजा की तस्करी पर पूरी तरह अंकुश लग पाएगा।

मेहनत पर नेता लगा रहे पलीता

पुलिस मादक पदार्थों की तस्करी रोकने कड़ी मेहनत कर रही है बावजूद तस्कर बाज नहीं आ रहे हैं। कार्रवाई के बाद भी तस्करी लगातार जारी है। ओडि़शा से गांजा लेकर हर रोज छग के रास्ते दूसरे राज्यों में तस्करी कर रहे हैं। पुलिस की सूचना तंत्र जिन तस्करों के बारे में सूचना जुटा पाती है पुलिस उनके खिलाफ एक्शन लेती है लेकिन जिनकी सूचना नहीं मिल पाती वे तस्कर आसानी से राज्य की सीमा पार करने में कामयाब हो रहे हैं। तस्करों के हौसले बुलंद होने का एक और कारण इनकों नेताओं का संरक्षण प्राप्त होना है जिसके कारण कई तस्करों की सूचना प्राप्त होने पर भी पुलिस दबाव में कार्रवाई नहीं कर पाती। लोकल तस्करों पर कार्रवाई नहीं होने के पीछे मुख्य कारण उनको राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होना ही है। नेताओं के कारण ही पुलिस की मेहनत पर पानी फिर रहा है और तस्करी पर पुरी तरह लगाम नहीं लग पा रहा है। रायपुर सहित पूरे प्रदेश की पुलिस गांजे की तस्करी रोकने जी तोड़ मेहनत कर रही है। पुलिस पर एक ओर कानून व्यवस्था बनाए रखने का दबाव है तो दूसरी ओर उसे प्रोटोकाल, नेताओं की सुरक्षा के साथ सामाजिक-सार्वजनिक आयोजनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है। इन सब के बावजूद अपराध और असामाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए पुलिस पर सरकारें अपनी-अपनी तरह से दबाव बनाती है। पुलिस तमाम दबावों के बावजूद अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से निभाने का प्रयास करती है। लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते उनकी मेहनत का पलीता निकल जाता है। अपराधी तस्कर नेताओं के आगोश में खुद को बचा ले जाते हैं और पुलिस फिर से मुहिम शुरु करने मजबूर हो जाती है। पुलिस ने गांजा की तस्करी रोकने जिस तरह सक्रियता दिखाई और विगत दस महीने में ही करोड़ों का गांजा पकड़ लिया। पुलिस की कार्रवाई काबिले तारीफ है लेकिन नेताओं के चलते उनकी कार्रवाई के बेहतर परिणाम सामने नहीं आ पाते।

चार राज्यों से नशे का कारोबार

गांजा और नकली दवा के कारोबार का कनेक्शन चार राज्यों से जुड़ रहा है। ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से अब तक कुल नौ सप्लायर पकड़े गए हैं। इन आरोपितों की गिरफ्तारी से ये भी स्पष्ट हो रहा है कि सारा खेल मेडिकल स्टोर से संचालित हो रहा है। नारकोटिक्स सेल ने हाल में जो कार्रवाई और धरपकड़ की है उससे यह बात सामने आई है। इस कार्रवाई से एक सप्लाई चेन का पता चला है जिसके बाद पुलिस इस मामले में और जानकारी जुटा रही है। रायपुर के राजातालाब क्षेत्र से तौकीर अहमद उर्फ बबलू, शेख महबूब और रवि नारायण दीप को सबसे पहले पकड़ा गया। इनसे 15 किलो 500 ग्राम गांजा, 240 ग्राम चरस, 2400 प्रतिबंधित नशीली टेबलेट जब्त किए. इन आरोपियों से पूछताछ के बाद ओडिशा के तापस कुमार परीदा और समीर कुमार बरद के नाम सामने आए। रायपुर पुलिस ने इन्हें ओडिशा जाकर पकड़ा। इनके पास से आठ हजार नग नशीली टेबलेट, 3,100 प्रतिबंधित नशीले इंजेक्शन जब्त हुए। इसमें तापस मेडिकल स्टोर चलाता था। बाद में उसने मेडिकल स्टोर बंद कर इन सब सामाग्रियों की सप्लाई शुरू कर दी। महासमुंद से निलेश शर्मा को 10 किलो गांजा के साथ पकड़ाया। निलेश की कडियां नंबर दो स्थान पर पकड़े गए समीर से जुड़ीं। सबसे अलग-अलग पूछताछ कर तथ्यों की जांच की गई। इनसे मिली जानकारी के आधार पर पश्चिम बंगाल निवासी अर्णब मजूमदार को ओडिशा से गिरफ्तार किया गया। मजूमदार निलेश और समीर को गांजा सहित नशे की अन्य सामाग्रियां सप्लाई करता था। नंबर चार पर पकड़ाया मजूमदार भी पूछताछ में टूट गया। उससे मिली जानकारी के आधार पर कमलेश उर्फ अमर यादव और सागर कुमार मोदी को पकड़कर रायपुर लाया गया। कमलेश यादव गया (बिहार) का और सागर मोदी बंगाल का रहने वाला है। पुलिस कहती है कि नंबर-5 पर पकड़ा गया सागर मोदी ही मुख्य तस्कर है। एसएसपी प्रशांत अग्रवाल का कहना है कि नारकोटिक्स सेल ने नशे के बड़े सप्लायरों को पकड़ा है। आगे जो भी तस्करों के नाम सामने आएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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