महिला मेट ने बनाई समाज में एक नई पहचान, पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कर रही है काम
छत्तीसगढ़
आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। वे सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। कल तक समाज में जिसे पुरूष प्रधान का कार्य माना जाता था उसे आज की महिलायें बिहान योजना से जुडऩे के बाद करके दिखा रही है।
रायगढ़ जिले के तारापुर गांव में ग्राम संगठन के सहयोग से चुनी हुई महिला मेट ने न केवल अपने गांव के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। पिछले साल प्रोजेक्ट उन्नति पहल के माध्यम से मनरेगा साइट पर कम से कम एक महिला मेट यानी कार्य स्थल पर्यवेक्षक प्रति पंचायत में रखा जाना निर्धारित किया गया था। अवंती एसएचजी से सागरमती सिदार, प्रगति एसएचजी से भोजकुमारी निषाद और तारापुर गांव के उन्नति एसएचजी से राजेश्वरी निषाद नाम की तीन महिला मेट को ग्राम सभा में कार्य स्थल पर्यवेक्षकों के रूप में चुना गया था। प्रदान संस्था द्वारा आरंभिक प्रशिक्षण एवं रजिस्टर मेन्टेन करने की जानकारी महिला मेट को दी गई।
मनरेगा से डबरी निर्माण, मजदूरों को जुटाने से लेकर मजदूरों की उपस्थिति लेने तक, क्षेत्र की माप कार्य स्थल की व्यवस्था को देखने, मस्टर रोल सुनिश्चित करने, रोजगार सहायक के साथ श्रमिकों के भुगतान का नियमित पालन ये प्रमुख जिम्मेदारियां हैं जो उन्होंने अब तक निभाई हैं। इसके लिये ग्राम संगठन, पंचायत प्रतिनिधिगण एवं महिला मेट ने मिलकर एक कार्य योजना बनायी ताकि मनरेगा में कार्य किए हुए मजदूरों का नाम नियमित रूप से मस्टर रोल में चढ़े। इसकी जिम्मेदारी मेट लोगों को सौपी गई। पिछले साल से जिसके परिणामस्वरूप तीन सौ लोगों ने गांव में मनरेगा के कार्य में भाग लिया, मनरेगा के तहत काम करने के लिए रुचि दिखाते हुए और आगे काम करने की भी मांग की। गांव के तीनों मेट को उनकी भागीदारी के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में अभी तक लगभग 13 हजार रुपये का मानदेय मिला है जो उनके नियमित काम के अलावा अतिरिक्त आय है। आर्थिक सशक्तिकरण के अलावा, गांव में महिला मेट की स्वीकृति भी ग्रामीण महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ा रही है, जिसका निश्चित रूप से गांव के सामाजिक परिवर्तन पर एक मजबूत प्रभाव पड़ रहा है।