रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कुटरू गांव से कुछ महीने पहले एक बुरी खबर आई। अड्डावली गांव में रहने वाले घनश्याम मंडावी को नक्सलियों ने मार डाला। घनश्याम अड्डावली ग्राम पंचायत की आदिवासी महिला महिला सरपंच रीता मंडावी के पति थे। गांव में कुछ नया करने और आदिवासी समाज में छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने का जिम्मा उठाकर लोगों को जागरूक करने वाले घनश्याम मंडावी नक्सलियों की नजर में खटक रहे थे। गांव वाले समाज की मुख्यधारा से कटे रहें। इसके लिए नक्सलियों ने घनश्याम मंडावी की हत्या कर दी।
नक्सलियों को लगा कि ऐसा करके वो गांव, समाज और घनश्याम के परिवार की हिम्मत को तोड़ देंगे, लेकिन उन्हें ये पता नहीं था कि मॉं, पत्नी और सरपंच तीनों की भूमिका निभा रही रीता मंडावी के हौसले कहीं ज्यादा बड़े हैं। पति की मौत के बाद भी डरने की बजाए रीता ज्यादा मजबूती से खड़ी हुईं। रीता अपने 4 साल के बेटे और 2 साल की बेटी के साथ अपना काम करती रहीं जो वो अपने स्वर्गीय पति के साथ करती थीं। लोगों को जागरूक करना और शासन की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाना उन्होंने नहीं छोड़ा।
विशेष संरक्षित जनजाति मुरिया की सदस्य रीता मंडावी, सरपंच के रूप में मिलने वाले मानदेय को भी गांव के लोगों के लिए खर्च कर देती हैं। पति के निधन के बाद रीता को बस एक ही बात की चिंता थी कि उसके बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, लेकिन अब रीता की ये चिंता भी दूर हो गई है जिससे वो पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गई हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुटरू क्षेत्र के अपने प्रवास के दौरान नक्सली हिंसा की पीड़ित रीता मंडावी को 5 लाख रूपए कि आर्थिक सहायता प्रदान की है। मुख्यमंत्री के हाथों सहायता राशि मिलने के बाद रीता मंडावी का कहना है कि वो इन पैसों को अपने बच्चों की शिक्षा और उनके बेहतर भविष्य के लिए खर्च करेंगी और अपने जीवन को पहले की तरह ही समाज सेवा और लोगों को जागरूक करने में समर्पित करेंगी।