हर कोई रखता है खबर गैरों के गुनाहों की अजब फितरत है कोई आईना नहीं रखता

Update: 2021-03-05 05:45 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो पिछले दिनों अपने ट्वीट में ममता बैनर्जी पर तंज कसने की कोशिश में खुद फंस गए। उल्टा लोग बाबुल पर ही तंज कसने लगे। मजबूरन उन्हें अपने ट्वीट हटाना पड़ा। हुआ ये था कि उन्होंने एक तस्वीर शेयर की थी जिसमे ममता बैनर्जी की फोटो थी जिसमे ममता बैनर्जी का कहना था कि मैं बंगाल की बेटी हूं, बाबूल सुप्रियो ने उस फोटो के नीचे अमित शाह की फोटो डालकर लिखा कि-बेटी पराया होती है इस बार बिदा कर ही देंगे। एक ओर प्रधानमंत्री जी बेटी बचाओ का नारा बुलंद किये हुए हैं और दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री बेटी को जल्दी बिदा करो का नारा दे रहे हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि ये कैसा बेटी बचाओ है समझ में नहीं आ रहा। इसी बात पर एक शायर कहता है कि यहां हर कोई रखता है गैरों के गुनाहों की, अजब फितरत है कोई आईना नहीं रखता ।

मोदी की तारीफ के मायने

पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खूब तारीफ की,उसके पहले मोदी जी ने भी आजाद की तारीफ के पुल बांधने में कोई कमी नहीं किये थे और दोनों ने मिलकर संसद में आंसू भी बहाये थे। आजाद द्वारा प्रधानमंत्री की तारीफ पर सब आश्चर्यचकित हैं और इसके राजनीतिक अर्थ निकल रहे हैं और मोदी जी के उस बयान से इसको जोड़कर देख रहे हैं जिसमे मोदी जी बोले थे कि आजाद के लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले हैं। जनता में खुसुर फुसुर है की अच्छे काम करने वालों की तारीफ तो होती ही है लेकिन इस तारीफ का क्या मतलब आने वाले दिनों में पता चलेगा।

चाय और राजनीति

देखा गया है की हिंदुस्तान की राजनीती चाय के इर्दगिर्द साल में एक बार जरूर घूमती है। और वैसे भी प्रधानमंत्री जी अक्सर सभाओं में बोला भी करते हैं कि वे पहले चाय भी बेचा करते थे। उनका बड़प्पन है जो ऐसी बात सभाओं में करते हैं। यहां तो छुटभैये नेता थोड़ा सा आगे क्या बढ़े अपना अतीत भूल जाते हैं। पुराने सटोरिये भी आज बड़े बड़े ओहदो में बैठे है और बताते है हम फलां राजा के खानदान से ताल्लुक रखते हैं, भले ही वो राजा के यहां का नौकर रहे हों। बहरहाल हमारा विषय यह नहीं है। जनता में खुसुर फुसुर है कि कही प्रियंका गांधी को भी तो नहीं लगा की चाय प्याली में भी तूफान आ सकता है सो उन्होंने असम दौरे पर में चाय बागान जाकर मजदूरों के साथ चाय की पत्ती तोड़ती नजर आयीं। जो भी हो चाय की प्याली में तूफान आया या नहीं आया,चुनाव बाद पता चलेगा। कि आखिर पत्ती कौन तोड़ ले गया। क्या उनके ऐसा करने से असम की राजनीति में चाय का जायका बढ़ जाएगा?

नेतागिरी जो ना करवाये कम

एक कहावत है हम करें तो अदा, तुम करो तो खता। केरल चुनाव में इसे चरितार्थ होते देखा गया और जहां भी चुनाव होगा वहां दिखेगा। एक ओर किसी के घर में बीफ मिल जाये तो लोग पीट-पीट कर मार डालते है और दूसरी ओर केरल में भाजपा के उम्मीदवार एन.श्रीप्रकाश ने चुनाव प्रचार के दौरान सभा में कहा कि अगर भाजपा जीती तो हम आपको उच्च क्वालिटी का बीफ उपलब्ध कराएँगे वही भाजपा गोमांस पर रोक लगाने कड़ा कानून बना रही है। दूसरी और उनके प्रत्याशी उच्च क्वालिटी बीफ की सप्लाई की बात करते हैं। बीफ तो बीफ है उच्च और निम्न क्वालिटी क्या होता है समझ में नहीं आ रहा। ये तो भाजपा प्रत्याशी एन.श्रीप्रकाश अच्छे से बता पाएंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है ये तो ऐसा हो गया हम करें तो अदा, तुम करो तो खता।

तुंहर सरकार, तुंहर द्वार

युवा महापौर एजाज ढेबर द्वारा आयोजित तुंहर सरकार, तुंहर द्वार रायपुर नगर निगम के सभी सत्तर वार्डो में हुआ, लोगों की समस्याओं को सुनकर दूर भी किया गया। जिन लोगों का काम नहीं हुआ उनका भी काम जल्दी ही हो जायेगा, ऐसा महापौर का कहना है। इसके समापन अवसर पर मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में ऐसे आयोजन होना चाहिए। एजाज ढेबर का यह अच्छा प्रयास था। जनता में खुसुर फुसुर है कि एजाज ढेबर को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना चाहिए। शाबाश एजाज भाई।

चुनाव में हर दांव-पेच आजमा रहे प्रत्याशी

आजकल चुनाव ऐसा हो गया है कि हर प्रत्याशी जीत का सेहरा पहनना चाहता है। ऐसा संभव नहीं है जीतेगा तो एक ही, बहरहाल चेंबर चुनाव की बात करे तो ऐसा लग रहा है कि एक तरफ अमर पारवानी हैं, दूसरी ओर श्रीचंद सुंदरानी है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि अमरपारवानी श्रीचंद सुंदरानी को सिंधी समाज से काटने की कोशिश में है। चैम्बर के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में कहने को योगेश अग्रवाल है, लेकिन मुकाबला अमर और श्रीचंद के बीच ही लगता है। देखना है ऊंट किस करवट बैठता है। अब तो चुनावी प्रचार सोशल मीडिया में धड़ाधड़ ग्रुप बनाकर समर्थन मांगने के लिए शुुरू हो गया है। ऊंट के दिन भी फिर गया है कल तक तो वह साधारण पानी 15 दिन में पीता था अब तो रोज बिसलरी से नहा रहा है।

सटोरियों और नेताओंं की दीवाली

क्रिकेट यानी सटोरियों और नेताओं की दीवाली है, नेता टिकट बेचने का ठेका अपनों को देते है, तो खिलाड़ी सटोरियों के हिसाब से खेल का प्रदर्शन करते है। इससे दोनों को दीवाली जैसा बंपर फायदा मिलता है। रोड सेफ्टी वल्र्ड क्रिकेट को लेकर राजधानी के चौक-चौराहों में तरह-तरह की चर्चा हो रही। कोई कह रहा है कि यह तो रोड सेफ्टी के नाम पर सटोरियों की सेफ्टी के लिए आयोजन हो रहा है। क्रिकेट के माध्यम रोड सेफ्टी कैसे होगी, इस पर पिछले एक सप्ताह से खुसुर-फुसर हो रही है। अब आज से मैच शुरू होते ही होटलों और दुकानों में क्रि केट से लाइव प्रसारण पर नजर टिक गई है। सचिन-सहवाग इरफान पठान के चौकों-छक्कों से शहीद वीर नारायण सिंह स्टेडियम मालामाल हो जाएगा। निजी कंपनी के इस आयोजन में कई ऐसे नामचीन सटोरिए है जो इपांसरशिप पार्टनर की भूमिका में है। अपने धंधे को चमकाने के लिए कुछ भी करने की ताकत तो सटोरिए ही रखते है, यह तो जगजाहिर है। वल्र्ड में जितने भी क्रिकेट के आयोजन होते है, उसमें वे बड़ी अहम भूमिका निभाते है। वन-टू का फोर करने में आज तक किसी ने भी सटोरियों का हाथ नहीं पकड़ पाया है। उनके हिसाब से ही रन बनाते है और विकेट लेते है, और कुछ ज्यादा हो गया तो आउट भी हो जाते है। क्योंकि क्रिकेट का रिमोट तो सटोरियों के पास ही होता है। एंपायर तो सिर्फ अंगुली दिखाकर खुश हो जाता है।

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