धन-धन रे मोर किसान, तैं हस धरती के भगवान

Update: 2020-10-23 06:14 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव


पिछले दो साल में भूपेश सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में केंद्र सरकार से एथेनॉल प्लांट लगाने की मंजूरी के साथ रेट तय होना माना जा रहा है। इससे ऐसा लग रहा है कि दाऊजी का सपना अब साकार होने लगा है। भूपेश बघेल किसानों का एक-एक दाना खरीदेंगे। क्योंकि एक्सेस धान से बायो एथेनाल बनेगा। मतलब भूपेश के राज में किसानों चारों ऊंगली घी में। विगत दिनों केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने धान से एथेनॉल बनाने के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इसके व्दारा धान से एथेनॉल फ्यूल बनाया जाएगा। इसमें 10 हजार करोड़ निवेश होगा। दाऊ जी के कापी प्रयास कर रहे थे कि इसके उत्पादन की अनुमति मिल जाए आखिरकार मिल ही गई। इससे छत्तीसगढ़ की जनता को रोजगार मिलेगा और सरकार को राजस्व । इसे कहते है जहां चाह, वहां राह, दाऊजी एक सपना साकार हुआ। अब दूसरे सपने को पूरा करने जा रहे है। किसान बिल में संशोधन करने विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर चल रहे टकराव का खात्मा हो चुका है। जय छत्तीसढिय़ा, जय छत्तीसगढ़ महतारी....

बयान सोच समझ कर देना चाहिए

पिछले दिनों मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री की जुबान फिसल गई। कहना कुछ और चाहते थे कह कुछ और गए। दरअसल मामला चुनावी है, जहां सारे भड़ास मंच से निकाले जाते है। वही मध्यप्रदेश में हुआ। कमलनाथ ने एक भाजपा नेत्री और प्रत्याशी जो कांग्रेस को छोड़कर गई हैं,उनके बारे में भारीभरकम टीका टिप्पणी कर सुर्खियों में आते ही बवाल मच गया। भाजपा वाले मौन धरने में बैठ गए । ठीक है महिलाओं का हर हाल में सम्मान होना चाहिए। वहीं कमलनाथ भावावेश में चूक गए। इस पर राहुल गांधी ने भी इस तरह के बयानबाजी पर नाराजगी जाहिर करते हुए परहेज की नसीहत दी है। भइया बयान सोच समझ कर देना चाहिए। चुनाव के वक्त तो और भी सतर्कता बरतनी चाहिए।

सेवा करो, मेवा खाओ

क्वींस क्लब का बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। दरअसल क्वींस क्लब में पार्टी और मजमस्ती किए हैं को कर्जा चुकाने का सही समय यही है, भइया सेवा करो और मेवा खाने तो मिलेगा ही । हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों का रवैय्या ऐसा ही रहा तो देर सबेर क्वींस क्लब की चाबी फिर उसी संचालक को मिल सकती है। अगर सही ढंग से कार्रवाई हुई तो लाइसेंस निरस्त होना तय है। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों के रहते यह संभव नहीं है।

18 महीने बाद जागी भाजपा

कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के 18 महीने बाद भाजपा नेताओं को जोश आने को लेकर स्थानीय बड़े नेताओं के समर्थकों में अमित साहू के शपथ समारोह में खुसुर-फुसुर करते देखे गए । भाजपा ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर आंदोलन की शुुरूआत गृहमंत्री के बंगले के घेराव करने से की है। भाजपाइयों का मन तो सीएम हाउस घेराव के लिए भी मचल रहा था। जैसे जोगी शासनकाल में पूर्ण मंत्री राजेश मूणत के नेतृत्व में हुआ था।

चुनाव जो कराए सो कम है

चुनाव की महिमा अपरम्पार है, चुनाव के वक्त आम जनता तो माहौल का मजा लेती है, लेकिन नेताओं की बीपी बढ़ जाता है। दहशत में रहते है, जिसके चलते ऊटपटांग बयान देने लगे जाते है। मप्र का आइटम वाला बयान तो सब सुन चुके है। सीएम शिवराज सिंह चौहान भी पीछे नहीं है, उन्होंने बयान दिया था कि हां मैं नंगे भूखे घर से हूं। जनता में खुसुर फुसुर है कि चुनाव जो कराए से कम है, अगर शिवराज सिंह नंगे भूखे घर से है तो भगवान सबको ऐसे घर में पैदा करें जिससे वे भी सीएम बन जाए, जय श्रीराम।

टीआरपी ने परिभाषा ही बदल दी

टीवी चेनल रिपब्लिक टीवी की कोर्ट ने खिंचाई की और कहा कि खोजी पत्रकारिता का मतलब ये नहीं कि आप दर्शकों से पूछे कि किसकी गिरफ्तारी हो, ये अदालत का काम है। अदालत ने यह भी कहा कि खोजी पत्रकारिता क्या यहीं है कि मृतकों के प्रति आपके मन में सम्मान नही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये सब टीआरपी का कारण है। टीवी चेनल सुशांत आत्महत्या को हत्या बता रहा और कह रहा है यह खोजी पत्रकारिता है।

कवासी ने छोड़े शब्दबाण

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने केंद्रीय किसान बिल को लेकर जो बयान दिया, उससे भाजपाइयों के कान खड़े हो गए। इसके पलटवार में विष्णुदेव साय ने ब्रम्हास्त्र छोड़कर काट निकाल लिया है। किसान आत्महत्या के बयान पर विष्णुदेव ने कहा कि तीनों किसान बिल किसान आत्मनिर्भर होगा।  

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