हर साल करोड़ों का बजट, फिर भी ब्लीचिंग पाउडर और फागिंग मशीन का नहीं हो रहा इस्तेमाल
दूषित जल से फैल रही जलजनित बीमारियां
मलेरिया, टायफाइड और डेंगू के चपेट में शहर
जिम्मेदारों ने आंखें मूंदी, कोई सवाल तक नहीं पूछ रहा
मेडिकल स्टोर में बेवजह दर्द निवारक दवाई की बिक्री बढ़़ी
डॉक्टर की पर्ची के अलावा मनमाना नकली और दोयम दर्जे की दवाई की बिक्री मेडिकल स्टोर वाले कर रहे हैं
पानी के केमिकल में करोड़ घोटाल का दोषी कौन
विपक्ष पार्षद मौन, मीडिया घराने चुप
सामाजिक संगठन मुंह खोलने को तैयार नहीं, पूरे शहर में डेंगू और टाइफाइड का कहर
एक ओर शहर डेंगू, मलेरिया और मच्छर से परेशान हैं दूसरी ओर सदर बाजार वार्ड के अंतर्गत रहमानियां चौक में डॉ. दिनेश मिश्रा के पीछे गली में गंदगी का अंबार। न अधिकारियों को झांकने की फुरसत है न ही जनप्रतिनिधियों को। ऐसे में कैसे डेंगू-मलेरिया की रोक थाम होगी।
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। बारिश का मौसम शुरू होने के बाद से ही राजधानी में पहले पीलिया फिर आई फ्लू और अब वायरल के साथ मलेरिया, टायपाइड और डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों ने लोगों को जकड़ लिया है। अंबेडकर अस्पताल सहित सभी बड़े प्राइवेट अस्पतालों में रोज सैकड़ों मरीज इलाज करवाने पहुंच रहे हैं जिन्हें कई-कई दिनों से बुखार और बदन दर्द जैसी तकलीफें हैं। खून जांच के बाद किसी को मलेरिया, किसी को टायफाइड तो किसी को डेंगू तक की पुष्टि हो रही है। इन बीमारियों के पीछे वजह है गंदा पानी। हालांकि शहर की लगभग 90 फीसदी आबादी निगम के नलों से सप्लाई किए जा रहे पानी का उपयोग कर रही है, इसके बावजूद जल जनित बीमारी से पीडि़त होना मतलब नल का पानी ही पूरी तरह शुद्ध नहीं है।
दूषित पेयजल, न फिटकरी न क्लोरिन सही मात्रा में डाली जा रही न ही ब्लीचिंग पावडर
शहर को पानी सप्लाई करने के लिए खारुन के एनीकट के पास इंटकवेल बनाकर वहां पानी स्टोर किया जा रहा है। वहीं से पानी पाइप लाइन के माध्यम से रावणभाठा फिल्टर प्लांट लाया जा रहा है। यहां से रोज करीब 250 एमएलडी पानी को शुद्ध कर निगम की सभी टंकियों में सप्लाई की जा रही है। यहां पानी को शुद्ध करने के लिए सिस्टम तो तगड़ा है, लेकिन लापरवाही के कारण वही सिस्टम फेल हो गया। नदी से आने वाले पानी को शुद्ध करने के बाद भी हर घंटे उसका टेस्ट किया जाना है। प्लांट में ब्लीचिंग पावडर की मात्रा कितने पानी में कितना ब्लीचिंग पाउडर मिलाया जाना है यह तय करने के लिए निगम में एक एनालिस्ट नियुक्त है। हर घंटे पानी की टेस्ट करने और उसके अनुसार पानी में ब्लीचिंग पाउडर, एलम और क्लोरीन इत्यादि मिलाने की मात्रा तय करने का प्रावधान है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। पानी शुद्ध करने के लिए हर 15 मिनट में पांच बोरी ब्लीचिंग पाउडर एक साथ पानी में मिलाया जाना है। प्लांट में कर्मचारी तीन-चार बोरी डालकर ही काम चला रहे हैं, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार पानी शुद्ध करने के लिए ये सबसे प्रमुख तत्व है। इससे पानी में मौजूद सभी तरह के बैक्टीरिया और वाइरस नष्ट हो जाते हैं। बीमारियों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया ब्लीचिंग से नष्ट हो जाता है। इसके लिए जरूरी है कि ये सही मात्रा में पानी में मिलाया जाए। विशेषज्ञों के अनुसार एक लीटर पानी में चार ग्राम ब्लीचिंग पाउडर मिलाया जाना चाहिए। निगम के कर्मचारी इससे बहुत कम मात्रा में की औसत से ब्लीचिंग मिला रहे हैं।
सबसे ज्यादा गड़बड़ी ब्लीचिंग और एलम की मात्रा को लेकर ही की जा रही है। ब्लीचिंग के बाद हर पंद्रह मिनट में पांच किलो एलम (फिटकरी) मिलाया जाना है। यहां एलम भी कम मात्रा में डाला जाता है। इतना ही नहीं प्लांट में हर छह महीने में फिल्टर बेड की रेत बदलना है। इसके अलावा रोज दो बार इसकी सफाई जरूरी है। प्लांट के कर्मचारी इसमें ही गड़बड़ी करते हैं। न तो नियमित सफाई होती है और न ही रेत बदला जाता है।
करोड़ों का बजट फिर भी सवाल नहीं
शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए निगम करोड़ों का बजट रखता है। जिससे क्लोरीन, ब्लीचिंग पाउडर, फिटकरी, पोटाश जैसी जरूरी चीजें खरीदी जाती हैं। अगर ये चीजें हर साल आवश्यकता नुसार खरीदी जाती हैं तो फिर लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति आखिर क्यों नहीं हो रही है। लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ आखिर किसके इशारे पर हो रहा है। जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इस मसले पर कोई भी पार्षद, जोन अध्यक्ष व अन्य जन प्रतिनिधि भी मुंह नहीं खोल रहे हैं। आखिर करोड़ों का क्लोरीन, ब्लीचिंग पाउडर जा कहां रहा है।
बुखार आने पर तुरंत कराएं चेक
बरसात में डेंगू का सीजन आते ही राजधानी रायपुर में डेंगू के शक से काफी लोग हॉस्पिटल में एडमिट हो रहे हैं। मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। डेंगू होने से शुरुआती लक्षण सामान्य बुखार लगता है। इसे लोग अनदेखा कर देते हैं। इस दौरान तबीयत बहुत ज्यादा बिगडऩे लगती है, तब डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। इस लापरवाही से लोगों को जान गंवानी पड़ती है। बारिश के मौसम में बुखार, सिर में तेज दर्द जैसी समस्याएं लगातार होने से तुरंत डेंगू का टेस्ट कराएं।
इन जगहों को रखें साफ
संचालक, महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि डेंगू एडीस नामक मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है। मच्छर सामान्यत: दिन में काटता है। ये मच्छर स्थिर पानी जैसे कूलर, टंकी या घर में खुले में रखे बर्तन जिसमें पानी बदला न गया हो। अन्य जगहों पर पानी जमा हुआ हो, वहां पनपता है। इसलिए इन जगहों पर सप्ताह में एक दिन ड्राई-डे मनाते हुए पानी को पूरा बदलना चाहिए।
डेंगू के लक्षण
डॉ. मिश्रा ने बताया की बरसात शुरू होते ही मच्छरजनित रोग जैसे डेंगू का खतरा बढ़ता है। तेज बुखार, बदन, सर और जोड़ों में दर्द, जी मचलाना, उल्टी होना, आंख के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, नाक, मसूढ़ों से रक्तस्त्राव, काला मल का आना जैसे डेंगू के लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण हों, तो शासकीय स्वास्थ्य केंद्र जाकर डेंगू की जांच कराएं।
डेंगू से बचने के उपाय
डेंगू से बचाव के लिए घर में साफ-सफाई करें। कूलर, गमले, बर्तन आदि में पानी जमा न होने दें। पानी रोज बदलें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहने, कमरों की साफ-सफाई के साथ उसे हवादार रखें। घर के आसपास गंदगी जमा न होने दें। जमा पानी और गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें। खाली बर्तन, टायर और पुराने बर्तन जैसे अन्य समानों में पानी जमा न होने दें।
जमे हुए पानी में मच्छर के लार्वा दिखने पर लर्विसायिड या मिट्टी का तेल डालें। 24 घंटे के बाद इस पानी को फेंके। मच्छरों से बचने घरों के दरवाजे और खिड़कियों में जाली जरूर लगाएं। डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर स्वास्थ्य की जांच कराएं।