रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री कन्हैया अग्रवाल के नेतृत्व में जीएसटी कमिश्नर के नाम ज्ञापन सौंप कर राज्य में पचास हजार से अधिक मूल्य के विक्रय पर ई-वे बिल अनिवार्य किए जाने का प्रतिकार करते हुए इसे व्यापारियों के लिए काला कानून बताते हुए वापस लेने की मांग की गई है । जीएसटी के नोटिस का निराकरण करने की बजाय व्यापारियों से अधिकतम राशि पटाने,सेटलमेंट के लिए दबाव बनाए जाने से भी व्यापारी भयभीत है आक्रोशित है।
ज्ञापन में छोटे छोटे ट्रांसपोर्टर ,मालवाहक वाहन चालकों की परेशानी दूर करने रास्ते में वाहनों की जांच के नाम पर भयभीत किए जाने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई... जीएसटी कमिश्नर रजत बंसल की अनुपस्थिति में सहायक कमिश्नर सुनील चौधरी को ज्ञापन दिया गया। कन्हैया अग्रवाल ने राज्य में ई-वे बिल के प्रावधानों में दी गई छूट को समाप्त किए जाने का कड़ा प्रतिकार करते हुए कहा कि सरकार के इस निर्णय से अफसरशाही बढ़ेगी, व्यापारी परेशान होगा और भ्रष्टाचार का बोलबाला होगा।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में व्यवसायियों के लिए अब जिले के अंदर भी 50 हजार रुपए मूल्य से अधिक के सामान विक्रय कर परिवहन करने पर ई-वे बिल जेनरेट करना आवश्यक होगा जिससे व्यापार में जटिलता बढ़ेगी और व्यापारियों को जबरन चोर ठहरा कर वसूली होगी। उन्होंने कहा कि सरकार बने अभी 06 महीने भी नहीं हुए हैं और व्यापारियों की कथित रूप से सहयोगी सरकार ही व्यापारियों के ऊपर लगातार आफत ढा रही है । पहले स्टेट जीएसटी के लगभग सवा लाख नोटिस व्यापारियों को भेजे जा चुके हैं । भारी संख्या में जारी नोटिस से व्यापारी घबराया हुआ था अब ई - वे बिल के रूप में एक और मुसीबत आ गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार व्यापारियों को प्रताड़ित करना तत्काल बंद करे । जीएसटी के नोटिस के माध्यम से जिस तरह से अधिकारी व्यापारियों को धमका रहे हैं उस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए और जिले के अंदर पचास हजार से अधिक के प्रत्येक बिल पर लगने वाले ई वे बिल के कानून को सरकार तत्काल प्रभाव से वापस ले अन्यथा व्यापारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। ज्ञापन देने गए प्रतिनिधि मंडल में प्रमुख रूप से संतोष बाघमार,राजेश केडिया, सुरेश बाफना, नितेश अग्रवाल, शरद गुप्ता ,मनोज सोनकर, मनोज पाल, रवि शर्मा, देवेंद्र पवार और राजेश त्रिवेदी शामिल थे।