छात्रावास भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार, छग गृह निर्माण मंडल का प्रभारी उपायुक्त निलंबित

Update: 2024-07-30 05:48 GMT

आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी का बड़ा एक्शन, अन्य अफसरों को भी नोटिस

छात्रावास भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार छग गृह निर्माण मंडल का प्रभारी उपायुक्त निलंबित

रायपुर raipur news (जसेरि)। राजधानी रायपुर के एकलव्य खेलकूद प्रकल्प परिसर, रायपुर छात्रावास भवन एवं स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण कार्य में गड़बड़ी की शिकायत पर पर्यावरण एवं आवास मंत्री ओपी चौधरी ने मामले को गंभीरता से लिया। मंत्री के निर्देश पर छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के प्रभारी उपायुक्त संदीप साहू को निलंबित किया गया है। वहीं इस मामले में शामिल अन्य अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मंत्री ओपी चौधरी ने कहा है कि गुणवत्ताविहीन कार्य करने और काम में लापरवाही बरतने वाले किसी भी अधिकारी को बक्शा नहीं जाएगा। chhattisgarh

chhattisgarh news बता दें कि वनवासी विकास समिति के लिए एकलव्य खेलकूद प्रकल्प परिसर रायपुर में 15।23 करोड़ की लागत से बनने वाले छात्रावास भवन के लिए कलेक्टर ने छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल को नोडल एजेंसी बनाया था। यह राशि एनएमडीसी और एसईसीएल के सीएसआर मद से प्राप्त की गई। संदीप साहू द्वारा तैयार किए गए प्रारंभिक अनुमानों और 10 फरवरी 2022 को स्वीकृत अनुमानों में विसंगतियां पाई गईं है। इन अनुमानों के आधार पर टेंडर स्वीकृत हुआ, जिसके परिणामस्वरूप प्रारंभिक स्वीकृत राशि 1।35 करोड़ से अधिक 6।47 करोड़ की अतिरिक्त बजट आवश्यकता उत्पन्न हुई। यह असंगति तकनीकी लेखा प्रकोष्ठ (ञ्ज्रष्ट) द्वारा 15 फरवरी 2022 को निरीक्षण में नोट की गई।

संदीप साहू ने सही आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए और अतिरिक्त धनराशि के अनुमोदन के लिए गलत जानकारी दी गई। इससे 1,35,63,573 रुपए की सार्वजनिक निधि का दुरुपयोग हुआ है। वनवासी विकास समिति के पदाधिकारियों डॉ। अनुराग जैन सचिव, पुरुषोत्तम विधानी, राघव जोशी, रामनाथ कश्यप ने इस कार्य में हो रही गड़बड़ी और अनियमितता की शिकायत पर्यावरण एवं आवास मंत्री ओपी चौधरीआवास से की थी। इस मामले में मंत्री ने तत्काल संज्ञान लेते हुए आयुक्त कुदंन कुमार को मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच के दौरान तत्कालीन कार्यपालन अभियंता संदीप साहू द्वारा बिना प्रशासकीय स्वीकृति और तकनीकी स्वीकृति प्राप्त कार्य कराने व छलपूर्वक पूर्व में पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा कर लिए गए कार्य की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने, प्राक्कलन बिना सहायक अभियंता और उप-अभियंता के हस्ताक्षर के प्रस्तुत करने और स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स का कार्य बिना प्रशासकीय स्वीकृति एवं तकनीकी स्वीकृति करा लेने का दोषी पाया गया। अधिकारी द्वारा फर्नीचर आदि की खरीदी के लिए ठेकेदार मेसर्स गणपति इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिलासपुर को 1,35,63,573 रुपए का भुगतान माह जनवरी, 2023 में किया गया है, जबकि उस समय सिविल कार्य पूरा नहीं हुए थे। ठेकेदार को उक्त प्रयोजन से भुगतान किए जाने पूर्व निक्षेपदाता विभाग अथवा संस्था जिसे निर्मित भवन हस्तांतरित किया जाना था, अर्थात् वनवासी विकास समिति से सहमति प्राप्त नहीं की गई थी। संदीप साहू ने सामग्रियों को राशि के भुगतान से पूर्व सामग्रियों की वास्तविक कीमत और उसकी गुणवत्ता का सत्यापन न कराते हुए मनमाने ढंग से ठेकेदार को भुगतान कर उसे लाभान्वित किया है। इस मामले की जांच रिपोर्ट आते ही मंत्री ओपी चौधरी ने त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिए। जांच में पाया गया कि संदीप साहू ने आवश्यक दस्तावेजों का रखरखाव नहीं किया और निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। उनके कार्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965, और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1966 के उल्लंघन में पाए गए हैं।

मंत्री के निर्देश पर आयुक्त छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने तत्कालीन कार्यपालन अभियंता संदीप साहू को निलंबित करते हुए मुख्यालय प्रक्षेत्र बिलासपुर निर्धारित किया है। इस मामले में शामिल अन्य अधिकारी नीतू गणवीर कार्यपालन अभियंता, ताराचंद सिन्हा सहायक अभियंता एवं राजकुमार परस्ते उप-अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस मामले में आईएएस कुंदन कुमार ने कहा कि छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल एक गहन जांच करेगा, ताकि इस प्रकार की विसंगतियों दूर किया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सके। संबंधित अधिकारी, निर्माण और विकास गतिविधियों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

तालपुरी घोटाले के दोषी अधिकारियों पर कब होगा एक्शन

राज्य सरकार इसमें भी धयान दे, देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार हाउसिंग बोर्ड का संदीप साहू से ज्यादा बड़े भ्रष्ट अधिकारी 25 साल से आम जनता के पैसों का खून चूस रहे है सरकार ध्यान दें कि इसी तरह का हज़ारों करोड़ का तालपुरी घोटाला इसी प्रकार बिना प्रशासनिक स्वीकृति एवं प्राकलन के बिना टेंडर के निर्माण बड़े पैमाने में किया गया था तत्कालीन अधिकारी ष्ठ्य दीवान जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ये पूरी जांच बैठाई गई थी और जांच के उपरांत संबंधित भ्रष्ट अधिकारियों से से वसूली की बात थी उस जांच रिपोर्ट में दर्शाई गई थी तत्कालीन कमिश्नर बाजवा की फ़ाइनल रिपोर्ट के आधार पर अपराध दर्ज करने को लिखा गया था। हज़ार करोड़ का घोटाले की वसूली तत्कालीन भ्रष्ट्र अधिकारियों से करना था। वही भ्रष्ट अधिकारी वर्तमान में गृह निर्माण मंडल में बड़े ऊचे पद पर आसीन है। हर्ष कुमार जोशी, एमडी पनरिया जो किसी भी तालपुरी घोटाले की जांच के दस्तावेज या प्रतिवेदन मांगा जाता है तो ये दोनों अधिकारी मुख्यलय में बैठकर दस्तावेजों को गायब करने का ही कार्य करते है। वर्तमान में तालपुरी घोटाले की जांच लोकायुक्त में शिकायत के बाद की गई। तभी संबंधित भ्रष्टाचार के तालपुरी प्रकरण में लोकायुक्त बार-बार हाउसिंग बोर्ड को प्रतिवेदन भेजने हेतु लिख रहा है लेकिन हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने तालपुरी घोटाले की सभी फाइलें और जांच रिपोर्ट को कई गंवा दिए या जला दिया है या दस्तावेजों को गायब करवा दिया है। तालपुरी घोटाले की सच्चाई प्रोजेक्ट की भौतिक सत्यापन करने पर ही भ्रष्टाचार की परते खुलनी शुरु हो जाएगी।

संदीप साहू के कार्यकाल में ही बाबू बैनर्जी द्वारा पानी के नाम पर लगभग 1 करोड़ का घोटाला किया गया था जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। आवास एवं पर्यावरण मंत्री इसे भी संज्ञान में लेकर जांच कराए।

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