कलेक्टर पी.एस. ध्रुव की अभिनव पहल: प्रिंस अब कचरे में नहीं किताबों से संवारेगा भविष्य, स्कूल भिजवाने का इंतजाम किया
रायपुर (आईएएनएस)| कहते है कि कई बार इंसान ही इंसान के लिए देवता बन जाता है। छत्तीसगढ़ के चिरमिरी के आठ साल के प्रिंस के लिए मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में कलेक्टर पी.एस. ध्रुव भी देवता से कम नहीं है, जिन्होने सड़क किनारे कचरे में पन्नी और प्लास्टिक की बोतल बीनने वाले प्रिंस को स्कूल भिजवाने का इंतजाम किया। प्रिंस का सोमवार को स्कूल में दाखिला होगा और वह आम बच्चों की तरह यूनिफार्म पहनकर और बैग टांगकर स्कूल जाएगा। कलेक्टर ध्रुव शनिवार सुबह लगभग छह बजे कड़ाके की ठंड के बावजूद चिरमिरी नगर पहुंचे और यहां विभिन्न चौक-चौराहों और वाडरें में पैदल घूमकर साफ-सफाई की व्यवस्था का जायजा लिया। इस दौरान पोड़ी बाजार के करीब उनकी नजर कचरा बीनते बालक प्रिंस पर पड़ी। कलेक्टर उसके पास पहुंचे। उसका नाम, पता और पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछताछ की।
पढ़ने की उम्र में कचरा बीनते बच्चे को देखकर कलेक्टर ध्रुव ने प्रिंस को स्कूल जाकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि अभी उसकी उम्र पढ़ने-लिखने की है। उन्होंने उसे कचरा बीनने का काम बंद करने और स्कूल जाने की समझाइश दी।
कलेक्टर ध्रुव के पूछने पर प्रिंस ने बताया कि वह कक्षा दूसरी में पढ़ता है, जबकि बाद में यह हकीकत सामने आयी कि वह स्कूल ही नहीं जाता। कलेक्टर ने नगर पालिक निगम आयुक्त को प्रिंस को पठन-पाठन, सामग्री ड्रेस उपलब्ध कराने के साथ ही उसका पोड़ी बाजार स्कूल में दाखिला कराने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि जिले में बाल-जतन अभियान के माध्यम से अनाथ, बेसहारा और घुमंतू बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में सहयोग के लिए स्वयं सेवी, समाज सेवी संगठनों की भी भागीदारी होगी।
प्रिंस का सोमवार को दाखिला चिरमिरी के पोड़ी बाजार स्थित सरकारी स्कूल में हो जाएगा। प्रिंस को स्कूल जाने के लिए नया ड्रेस, पुस्तक, कॉपी और बैग मिल गया है। नगर निगम चिरमिरी के अधिकारी प्रिंस को अपने साथ ले जाकर उसे स्कूल में प्रवेश दिलाएंगे। वह नियमित रूप से स्कूल जाए और अच्छे से पढ़ाई करे, इसकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी।
कलेक्टर ध्रुव ने प्रिंस जैसे घूमंतू, कचरा बिनने वाले, अनाथ और बेसहारा बच्चों को शिक्षा की व्यवस्था कर उनका भविष्य को संवारने के लिए बाल-जतन अभियान की शुरुआत की है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि जिले के नगरीय निकायों के क्षेत्र में सर्वे कराया जाएगा और बच्चों को स्कूल भेजने के इंतजाम किए जाएंगे। इसके साथ ही जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है उसके लिए भी पहल होगी। नगरीय निकाय और शिक्षा विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से घुमंतू, कचरा बीनने वाले, अनाथ और बेसहारा बच्चों को चिन्हित कर उनका स्कूल में दाखिला कराएंगे। इन बच्चों को पठन-पाठन सामग्री सहित अन्य सुविधाएं भी शासकीय योजनाओं एवं गैर-शासकीय संगठनों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी।