सीएम भूपेश बघेल ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र...की ये मांग
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के नक्सल पीड़ित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराने और विकास कार्यो के लंबित प्रस्तावों को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया है, वहीं उन्होंने बस्तर से वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन के लिए कई नवीन प्रस्ताव प्रेषित करते हुए उन्हें भी केन्द्र सरकार से स्वीकृति देने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मुझे आशा है केन्द्र सरकार के आवश्यक सहयोग से बस्तर के लोगों के जीवन स्तर में सुधार और शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में उनके साथ पिछले महीने 16 तारीख को हुई बैठक का जिक्र करते हुए कहा है कि- बैठक में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों मंे वृहद पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराए जाने हेतु कार्ययोजना कि जानकारी दी गई थी। आपसे हुई चर्चा अनुसार राज्य के पूर्व के लंबित प्रस्तावों एवं नवीन प्रस्तावों का विवरण निम्नानुसार है-
सीएम बघेल ने पत्र में लिखा है कि विशेष केन्द्रीय सहायता योजना (Special Central Assistance Scheme) को निरंतरी जारी रखना। Scheme (1028) अंतर्गत 1028 मोबाइल टॉवरों की Installation. Special Striking Force ब्लैक पैंथर की तैनाती हेतु एक भारत रक्षित वाहिनी (IR Battalian) के गठन की स्वीकृति। Improving Resolution Of UAV Cameras नक्सल विरोधी अभियानों हेतु भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए NTRO UAV में प्रयुक्त कैमरा का Resolution बढ़ाए जाने एवं के.के. लाईन अंतर्गत रेल्वे संपत्ति एवं दोहरीकरण कार्य की सुरक्षा हेतु कुमारसाडरा (जिला बस्तर) एवं कामालूर, जिला दंतेवाड़ा में रेल्वे प्रोटेक्शन सिक्यूरिटी फोर्स (RPSF) की तैनाती किया जाना प्रस्तावित है।
इसी प्रकार राज्य के बस्तर क्षेत्र में वर्ष 2020 में एल.डब्ल्यू.ई (LWE) योजना के अंतर्गत स्वीकृत 1991 किलोमीटर मार्ग में से शेष मार्गों के निर्माण के लिए प्रशासकीय स्वीकृति में प्रावधानित आयटम में कार्य पुनरीक्षित स्वीकृति अपेक्षित है।
बस्तर एवं एलडब्ल्यूई प्रभावित क्षेत्र में IT & Telecom Infrastructure हेतु टॉवरों की संख्या बढ़ाने एवं 3G/4G नेटवर्क की सुविधा लोगों पहुंचाने हेतु OFC Connectivity की अत्यंत आवश्यकता है।
बोधघाट परियोजना के क्रियान्वयन हेतु डीपीआर तैयार करने की कार्यवाही की जा रही है। डीपीआर पूर्ण होने के पश्चात योजना के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक राशि का आकलन किया जा सकेगा। अन्य सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति भी अपेक्षित है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि बस्तर क्षेत्र के 214 बसाहटों के लंबित विद्युतीकरण हेतु 63.47 करोड़ रूपए स्वीकृत किया जाना है। इसी प्रकार पंप विद्युतीकरण के 5275 प्रकरण हेतु लगभग रूपए 53 करोड़ स्वीकृत किया जाना प्रस्तावित है। PMGSY-I अंतर्गत पूर्व में Stage-A में स्वीकृति प्राप्त नक्सल प्रभावित 05 जिलों की 122 सड़को की पूर्णता के पश्चात उक्त सड़कों की Stage-B के प्रस्ताव की स्वीकृति तथा 18 नवीन वृहद पुलों की स्वीकृति भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय में लंबित है, जिसकी स्वीकृति अपेक्षित है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रांे में विशेष अभियान के तहत 31 अक्टूबर 2020 तक 141 नई शाखाएं/ ATMs खोली गई हैं। बैंकों द्वारा 09 स्थानों पर अभी तक बैंक शाखाएं नहीं खोली गई है, जिसके लिए बैंकों को आवश्यक निर्देश देने हेतु भारत सरकार की पहल की आवश्यकता है।
एनएमडीसी को लौह अयस्क की कीमत कम करने आयरन ओर आबंटित करने हेतु खनिज संसाधन विभाग, एनएमडीसी एवं एसआईपीबी द्वारा संयुक्त रूप से नवीन नीति पर विचार किया जाना अपेक्षित है। बस्तर अंचलों में स्टील संयंत्रों की स्थापना वन भूमि पर ही किया जाना संभव है। वन भूमि के समय सीमा में डायवर्सन किए जाने हेतु भी केन्द्र सरकार से निर्देश अपेक्षित है।
वर्ष 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य योजनांतर्गत शासन द्वारा स्वीकृत 38 लघु वनोपज की खरीदी हेतु तथा शेष राशि 100 रूपए करोड़ अधोसंरचना विकास (मार्ट एवं जिला यूनियन हेतु गोदाम) एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य योजनांतर्गत पूर्व वर्षों में हानि प्रतिपूर्ति किया जाना प्रस्तावित है। सीएम बघेल ने पत्र में लिखा है कि केन्द्रीय रेशम बोर्ड, बैंगलोर को बस्तर संभाग से Integrated Scheme for Development of Silk Industry ( ISDSI) के तहत कुल राशि 1032.54 लाख रूपए का कुल प्रस्ताव है, जिसकी स्वीकृति भी अपेक्षित है।
इसी तरह मॉ दंतेश्वरी प्रोसिसिंग प्लांट के लिए केन्द्रांश एलोकेशन राशि 72.45 करोड़ रूपए को पुनरीक्षित करते हुए केन्द्रांश एलोकेशन राशि 123.48 करोड़ रूपए किए जाने का अनुरोध भारत सरकार, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय में स्वीकृति हेतु लंबित है। मुख्यमंत्री ने बस्तर में वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन हेतु उक्त सभी प्रस्तावों पर केन्द्र सरकार से स्वीकृति देने का अनुरोध करते हुए आशा व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के आवश्यक सहयोग से बस्तर के लोगों के जीवन स्तर में सुधार एवं शांति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।