सीएम भूपेश बघेल ने भाजपा पर कसा तंज : नेता जी को अपनाने वाले पहले गोडसे-सावरकर को छोड़ें

राजीव भवन में सुभाष चंद्र की जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए भूपेश बघेल

Update: 2021-01-24 05:23 GMT

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जो लोग सुभाष चंद्र बोस को अपनाना चाहते हैं, उन्हें सावरकर और गोडसे को छोडऩा होगा। भारतीय जनता पार्टी को लेकर की गई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस टिप्पणी को सुनकर कांग्रेसी नेताओं ने खूब तालियां बजाईं। यह नजारा रायपुर के सिविल लाइन स्थित राजीव भवन का था। कांग्रेस के इस दफ्तर में पार्टी ने सुभाष चंद्र बोस जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया था । इस मौके पर सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी पर एक्सपर्ट सौरभ बाजपेई ने बातचीत की।

कार्यक्रम में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि एक सिविलियन व्यक्ति जो आगे चलकर जनरल बना । नेता जी की जिंदगी काफी कुछ सिखाती है। देश में इन दिनों हड़पनीति चल रही है। हमने भाजपा नेताओं से विधानसभा में कहा कि महात्मा गांधी को अपनाने के लिए एक बार गोडसे मुर्दाबाद बोलकर तो दिखाएं। मैं भाजपा वालों को बधाई देना चाहता हूं कि वह दिखावे के लिए ही सही मगर गोडसे मुर्दाबाद नहीं कह पाए। खैर आज इन सब बातों को याद करने का वक्त नहीं है। आज सुभाष बाबू के देश के प्रति योगदान को याद करने का अवसर है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस क्यों छोडऩी पड़ी ? लोग कह देते हैं कि नेहरू के कहने पर या महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने कांग्रेस का पद छोड़ दिया ।

दरअसल यह सच्चाई नहीं है सुभाष चंद्र बोस देश की आजादी के लिए सशस्त्र लड़ाई लडऩा चाहते थे। कांग्रेस के संविधान में है कि हम किसी भी सूरत में अहिंसा का रास्ता नहीं छोड़ेंगे । ऐसे में सरदार पटेल ने सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि आप पार्टी की मूलभूत विचारधारा से अलग होकर काम कर रहे हैं तो आप अध्यक्ष कैसे रह सकते हैं, इसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ दिया। हम इतिहास नहीं जानते हैं इसीलिए व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हमारी अधूरी जानकारी का दुरुपयोग करते हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनके लिए हम नेताजी शब्द का इस्तेमाल करते हैं । वह देश के असल नेता रहे हैं। नेताजी को स्वीकार करना है तो असल में नेताजी के विचारों को अपनाना होगा। भाजपा के दो -तीन बड़े नेता हुए जैसे दीनदयाल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी। श्यामा प्रसाद बंगाल के ही थे, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बीच हमेशा ठनी रहती थी। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को और देश के प्रधानमंत्री को नेताजी सुभाष चंद्र बोस और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के रिश्ते कैसे थे, इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। 

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