JDA द्वारा समय समय पर शासन को अपनी मांगों से अवगत कराया गया। लेकिन उनकी मांगे पूरी नहीं की गई। महोदय तेजी से बढ़ते मंहगाई के इस दौर में वित्तीय इंक्रीमेंट हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। फिर जहां स्टाइपेंड/मानदेय अन्य की तुलना में काफी कम है, वहां यह और भी जरूरी हो जाता है। फिर यहां तो विगत कई वर्षों से तिनके भर की भी वित्तीय बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
जब भी डॉक्टर अपने हक और वित्तीय लाभ की बात करता है, तो उसे नोबल प्रोफेशन की दुहाई. देकर शांत करा दिया जाता है। लेकिन ऐसा डॉक्टर कब तक सह पाएगा। कब तक वो इस महंगाई की दौर में छोटी छोटी जरूरतों के लिए तरसता रहेगा। शायद यही वजह है कि अब मेडिकल एथिक्स और नोबल प्रोफैशन खंडहर की दीवारों की तरह ढहने लगे हैं। इसलिए हताश रेजिडेंट्स ने स्ट्राइक जैसा बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया।