मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐतिहासिक गढ़िया पहाड़ जैव विविधता पार्क में 'व्यू पाईंट' का किया लोकार्पण
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज अपने कांकेर प्रवास के दौरान ऐतिहासिक गढ़िया पहाड़ जैव विविधता पार्क में व्यू पाईंट का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नैसर्गिक और मनोरम सुंदरता से भरपूर गढ़िया पहाड़ जैसी ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार सदैव तत्पर हैं। ऐसे ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन की दृष्टि से भी बेहतर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मनुष्य और वन के बीच संबंधों को जीवंत करने एवं प्राकृतिक पारिस्थितिकीय तंत्र के संतुलन के लिए भी प्रयास कर रही है।उल्लेखनीय है कि कांकेर स्थित गढ़िया पहाड़ को जैव विविधता पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से बेहद सुंदर कांकेर में ऐतिहासिक महत्व के गढ़िया पहाड़ पर जिम्मेदारिन-मटिहारिन माता का मंदिर स्थापित है। इसका निर्माण कंडरा राजा धर्मदेव ने कराया था। राजा धर्मदेव अपने परिवार तथा ईष्टदेवी के साथ कांकेर गढ़िया पहाड़ पर उसे सुदृढ़ किले का रूप देकर निवास करने लगे थे। कंडरा राजा काल के भग्नावेश यहां आज भी देखे जा सकते हैं। इस पहाड़ में कंकऋषि के पूर्व गढ़िया देवता (गढ़िया बाबा) का निवास स्थान रहा है, इसलिए इस पहाड़ का नाम गढ़िया पहाड़ पड़ा। इसके बाद कंकऋषि से अपभ्रंश होकर कांकेर नाम से जाना जाने लगा।
आदिवासी बहुल वनांचल गढ़िया पहाड़ के बीचांे-बीच आदिवासियों के वंशज कंकऋषि की गुफा के अंदर तपस्या स्थल पर आज भी काष्ठ चरण पादुका स्थित हैं। इसके अलावा गढ़िया पहाड़ में दर्शनीय स्थल सिंह द्वार, धर्म द्वार, सोनई-रूपई तालाब, छुरी पगार (गुफा), टुरी हटरी, फॉसी भाठा (किला), प्राचीन शिव मंदिर, खजाना स्थल, सुरंग, झण्डा शिखर, होलिका दहन स्थल और जोगी गुफा स्थित है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने गढ़िया पहाड़ के पुरातात्विक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्वरूप को बनाये रखने तथा पौधारोपण व सौंदर्यीकरण कार्य के लिए कैम्पा मद से दो करोड़ रूपये भी प्रदान की हैं। चैनलिंक फेंसिंग के माध्यम से इसे सुरक्षित किया जा रहा है। विद्युत व्यवस्था के लिए सोलर लाईट भी लगाया जा रहा है।