Chhattisgarh: जमीन किसी की, खरीदा व बना कोई और रहा...‘माल’ को बेच कोई और रहा

Update: 2024-07-24 05:42 GMT

सावधान यदि कारोबार में मॉल में पूंजी निवेश करना चाहते है तो जमीन की सत्यता जांच करा लें

मॉल के नाम पर राजधानी सहित पूरे प्रदेश में चल रहा सरकारी और कोटवारी जमीन पर कब्जा का खेल

सावधान कभी भी आपकी पूंजी शून्य हो सकती है

माल में दुकान और ऑफिस खऱीदने वाले हो जाए सावधान कभी भी आपकी पूंजी शून्य हो सकती है आपके खऱीदी गई ऑफि़स या दुकान आपके हाथ से जा सकती है क्योंकि आप ऑफिस और दुकान निर्मित भूमि के असली मालिक से नहीं खऱीद रहे है माल किसी और का बनाया हुआ है, और बिक्री भी किसी और ने की, निर्माण कोई और कर रहा है । इस हालात में आपकी पूंजी का क्या होगा। इसका अंदाज़ा लगाना ये ख़तरनाक हो सकता है आपकी पूंजी शून्य बटे सन्नाटा हो जाएगी।

सच्चाई सामने आएगी

अगर माल मालिक का सरकारी स्तर में सरकार से पंगा हो जाए या राज्य सरकार मॉल मालिक के समर्थक की न हो तभी सारी वास्तविक जांच और भौतिक सत्यापन होगा और चांदा मिलान से सरकारी भूमि की सच्चाई सामने आएगी।

raipur news रायपुर (जसेरि)। राजनीति में पहले लोग जनसेवा के लिए आते थे, अब पिछले कुछ सालों से राजनीति का ट्रेंड बदल गया है। यह अब एक कारोबार का रूप ले लिया है। जितना पैसा पार्टी फंड में दो उससे सौ गुनी सरकार जमीन पर कब्जा कर लो। यह खेल पूरे प्रदेश में चल रहा है। मॉल बनाने वाले पहले किसान से ऐसी जमीन को खरीदने है जो सरकारी जमीन यानी कोटवारी, घासभूमि या सरकारी प्रोजेक्ट से लगे किसानों की जमीन को औने -पौने दाम में अपने राजनीतिक अस्त्र का उपयोग कर साम-दाम- दंड-भेद की नीति से खरीद लेते है। भू-माफिया और तथा कथित बिल्डर अपने राजनीतिक रसूख के जरिए सरकार और प्रशासन के करीबी बनकर सारे सरकारी जमीन पर धीरे -धीरे कब्जा करना शुरू कर देतेऔर फिर पूरी जमीन को कब्जा कर लेते है चाहे वो सरकारी प्रोजेक्ट का क्यों न हो। आज प्रदेश में जितने भी मॉल बने वो सभी किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े कारोबारी की है जो कोटवारी जमीन और मंदिर से जुड़े दान की जमीन के साथ घासभूमि और सरकारी प्रोजेक्ट से जुड़े जमीनों को कब्जा करने के लिए राजनीति में प्रवेश करते है और अपना राजनीतिक ब्रम्हफांश का उपयोग करते है। आज पूरे प्रदेश की कमोबेस यही स्थिति है, सरकारी जमीन चाहे वन भूमि हो या कोई और सारे के सारे राजनीतिक रसूख वालों के पास ही है जो कारोबारी बहरूपिया बनकर राजनीतिक पार्टियों को फंड की मदद करके फायदा उठा रहे है। chhattisgarh

chhattisgarh news शासकीय और कोटवारी ज़मीनों में मॉल बनते जा रहे है, अवैध ढंग से क़ब्ज़ा करने के किस तरीक़े से होता है आइए हम आपको समझते है। कोटवारी ज़मीन के आस-पास की ज़मीन जो बहुत छोटा टुकड़ा होता है, उसको मॉल माफिय़ा उसे औने- पौने दाम में खऱीद लेता हैं और उसके उपरांत उक्त ज़मीन का नक्शा पास कराया जाता है और निर्माण करने से पहले आसपास की कोटवारी जमीन में निर्माण सामग्री गिरा दी जाती है। उसके बाद होता है कब्जा करने का खेल। कोटवारी ज़मीन को पहले दबाना शुरू करते है फिर अपने हिस्से का निर्माण शुरू करते है। लोगों को लगता है कि पूरी जमीन मॉल वाले ने खरीद ली है जबकि वो पूरी तरह से अवैध और गैरकानूनी कब्जा है। जो जमीन कब्जा और निर्माण के दौरान दबा दिया जाता है उसके लिगल दिखाने की कोशिश करते है ताकि कोई आपत्ति न उठा सके। इस तरीक़े से जनता का पैसा लूटने का काम माल माफिय़ा लोग करते हैं माल माफय़िा गैंग पूरी तरीक़े से नक्सा पास ब्रेशर का लेआउट दिखाकर माल का बड़ा स्वरूप दिखाकर भव्य माल निर्माण कार्य शासकीय भूमि पर अवैध तरीक़े से बनवा माल पूरी तरीक़े से बेचकर सुरक्षित निकल जाते हैं । अभी तक और शासन ने किसी भी मॉल की कोटवारी ज़मीन भौतिक सत्यापन या वास्तविक जांच नहीं कराया है। सत्यापन करने पर और ख़सरा नक्शा मिलाने पर सच्चाई सामने आएगी पुराने पटवारी रिकॉर्ड को चांदा मिलान करने पर ही है शासकीय और कोटवारी ज़मीन को समझा जा सकता है।

भू-माफिया-माल माफि य़ा जनता के पैसे को निगल रहा है जिस दिन भी जाँच शासकीय अधिकारी ईमानदारी से करेंगे राजस्व अमला भौतिक सत्यापन करेगा और पटवारी चन्दा मिलाकर नक्षा नजरी का मिलान करेंगे तभी भू माफिय़ा द्वारा अवैध रूप से क़ब्ज़ाई गई शासकीय भूमि और कोटवारी भूमिका पर्दाफाश होगा।

तेलीबांधा, छेरीखेड़ा, जोरा में जो मॉल मालिक किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से एक पद प्रतिष्ठा प्राप्कत कर अपने अवैध धंदे को शुचारू रूप से संचालित करते है. एक मॉल मालिक ने तो हद ही कर कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी बनकर रायपुर शहर के चारों ओर कोटवारी और शासकीय जमीन में कब्जा कर बड़े -बड़े निर्माण कार्यो को शुरू किया और सबसे बड़े बिल्डर और सबसे बड़े प्रोजेक्ट लाने वाले के रूप में सामने आए। 

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